Update
Video
Source: © Facebook
आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
👉 विषय -शब्धमुक्ति और अतिन्द्रिय चेतना
👉 खुद सुने व अन्यों को सुनायें
*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
प्रसारक: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
👉 सादुलपुर - आध्यात्मिक मिलन एवं अभिनन्दन समारोह आयोजित
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻
Source: © Facebook
👉 शाहीबाग (अहमदाबाद) - मंत्र अनुष्ठान त्रिदिवसीय कार्यशाला का आयोजन
👉 नौंगांव - असम महिला परिषद द्वारा कार्यक्रम आयोजित
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Update
सिरसा - साध्वीवृंद का तेरापंथ भवन में प्रवेश
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
News in Hindi
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆
जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 13* 📝
*आगम युग के आचार्य*
*श्रमण-सहस्रांशु आचार्य सुधर्मा*
*आगम-रचना*
जैन शासन आज आचार्य सुधर्मा का आभारी है। उन्होंने आत्मविजेता भगवान् महावीर के उपपात में बैठ कर उनकी भवसंतापहारिणी, जनकल्याणकारिणी शिक्षा-सुधा से मनीषा-घट को भरकर और द्वादशांगी की रचना कर हमारे लिए अगाध आगम ज्ञानराशि को सुरक्षित रखा। वर्तमान में उपलब्ध एकादशांग की आगम संपदा आचार्य सुधर्मा ने प्रदान की।
अङ्गागमों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है--
*आयारो (आचारांग)* यह प्रथम अङ्गगम है। तीर्थंकरो ने अङ्गों में सर्वप्रथम इस अङ्गागम का प्रवर्तन किया है। इसके आयारो और आयारचूला नामक दो श्रुतस्कंध हैं। प्रथम श्रुतस्कंध के 9 अध्ययन एवं द्वितीय श्रुतस्कंध के 16 अध्ययन हैं। कुल 25 अध्ययन हैं। इस आगम की पद्य संख्या 18000 बताई गई है। अभयदेवसूरि आदि ने यह पद्य संख्या प्रथम श्रुतस्कंध की मान्य की है।
प्रथम श्रुतस्कंध का नाम ब्रह्मचर्य भी है। अध्ययनों की संख्या 9 होने के कारण इसे नव ब्रह्मचर्य कहा गया है। द्वितीय श्रुतस्कंध चूलिका रूप है इसका दूसरा नाम आचारांग है।
दिगंबर ग्रंथ राजवार्तिक, धवला, जयधवला, गोम्मटसार अङ्गपण्णत्ति आदि में तथा श्वेतांबर ग्रंथ समवायाङ्ग और नंदी में इस ग्रंथ का उल्लेख और विषय वर्णन मिलता है। आगम साहित्य में यह प्राचीनतम है। इसमें गद्यात्मक और पद्यात्मक दोनों प्रकार की शैली है। वर्तमान में इस आगम के गद्य-पद्य कहीं-कहीं सम्मिश्रित हो गए हैं। दोनों का पृथक्करण अत्यंत श्रमसाध्य है। पद्य भाग में जगती, आर्या, वैतालीय आदि छन्द प्रयुक्त हैं।
प्रथम श्रुतस्कंध की भाषा द्वितीय श्रुतस्कंध की अपेक्षा अधिक प्राचीन है। इस श्रुतस्कंध के सूक्त मर्मस्पर्शी और प्रभावकारी हैं। महापरिज्ञा नामक इसका सातवां अध्ययन लुप्त है।
द्वितीय श्रुतस्कंध की पांचवी चूलिका निशीथसूत्र के रूप में स्वतंत्र ग्रंथ है। वर्तमान में यह चतुर्चूलात्मक है। प्रथम दोनों चूलिकाओं के प्रत्येक के सात-सात अध्ययन हैं। तृतीय चूलिका का नाम भावना और चतुर्थ चूलिका का नाम विमुक्ति है। परिशिष्ट पर्व में प्राप्त उल्लेखानुसार इन चूलिकाओं की उपलब्धि साध्वी यक्षा के द्वारा हुई। मुनिचर्या के वस्त्र, पात्र, भोजन आदि से संबंधित विधि-विधानों का वर्णन इन चूलिकाओं में है।
ज्ञान-दर्शनादि आचार विषय का मुख्यतः वर्णन होने के कारण इस आगम का आयारो नाम है। भद्रबाहु की निर्युक्ति, जिनदास महत्तर की चूर्णी और शीलाङ्ग की टीका प्रस्तुत आगम पर उपलब्ध है।
*दूसरे आगम सूयगडो (सूत्रकृतांग)* के बारे में विस्तार से जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆
💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠
*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*
अनुक्रम - *भीतर की ओर*
*विकास की पहली भूमिका*
मनुष्य के जीवन में कामवासना, लोलुपता आदि वृत्तियों होती है । वहां वैराग्य, समाधि और अन्तर्दृष्टि की शक्तियां भी होती है ।
जो व्यक्ति वृत्तियों को संयत करना और आन्तरिक शक्ति का विकास करना चाहता है उसे चैतन्यकेन्द्रों की शरीर में अवस्थिति और उनके कार्य का बोध अवरद करना चाहिए । इनका अन्तः स्त्रवी ग्रन्थितन्त्र एवं मस्तिष्क के विभिन्न परतों और अवयवों के सन्दर्भ में प्रस्तुतीकरण बहुत उपयोगी होगा ।
25 मार्च 2000
प्रसारक - *प्रेक्षा फ़ाउंडेशन*
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠
💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢
आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी
📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 13📝
*आचार-बोध*
*सामाचारी*
लय- देव! तुम्हारे...
*36.*
आवस्सइ-आवस्सइ हो उद्घोष
स्थान बाहर जाते।
और निस्सही कहे निरंतर
वैसे ही वापस आते।।
*37.*
आपृच्छा निर्देश प्रथम
पुनरावश्यक प्रतिपृच्छा हो।
है मनुहार छन्दना
साधर्मिक संतों की इच्छा हो।।
*38.*
आज्ञा लेते समय शुरू से
अथवा औरों से सहयोग।
मुनिचर्या में इच्छाकार
समाचारी का करे प्रयोग।।
*39.*
अपनी त्रुटि को मुक्तभाव से
स्वीकृत करना मिच्छाकार।
तहक्कार गुरु शिक्षा वाणी
'तहत्ति' कह करना स्वीकार।।
*40.*
सविनय समुचित सदा बड़ों का
आदर करना अभ्युत्थान।
गुरु आज्ञा से गच्छांतर में
लेना उपसंपदा महान।।
(लावणी)
संघीय भावना समाचारियां भरतीं,
सात्विक आमोद-प्रमोद प्रसारण करतीं।
रख जागरूकता बनो सुघड़ संस्कारी,
नवदिक्षित इनके रहो सदा आभारी।।
*9. समाचारी*
सामाचारी का अर्थ है व्यवहारात्मक आचरण। इसके दस प्रकार हैं--
*1. आवश्यकी--* उपाश्रय से बाहर जाते समय आवश्यकी- आवश्यक कार्य के लिए बाहर जाता हूं, का उच्चारण करना।
*2. नैषिधिकी--* कार्य से निवृत्त हो उपाश्रय में प्रवेश करते समय नैषिधिकी- मैं निवृत्त हो चुका हूं, का उच्चारण करना।
*3. आपृच्छना--* कार्य करने से पूर्व गुरु की अनुमति लेना।
*4. प्रतिपृच्छना--* किसी कार्य के लिए गुरु से अनुमति ली, उसे तत्काल नहीं कर पाए। एक अंतराल के बाद उसे करते समय पुनः अनुमति लेना। एक कार्य के बीच में दूसरे कार्य का प्रसंग उपस्थित होने पर पुनः अनुमति लेना अथवा दूसरे व्यक्ति का कार्य करने की अनुमति लेना।
*5. छन्दना--* आहार के लिए साधर्मिक साधुओं को आमंत्रित करना।
*6. इच्छाकार--* काम करने और कराने में 'इच्छाकार' का प्रयोग करना- आपकी इच्छा हो तो मैं आपका अमुक कार्य करूं। आपकी इच्छा हो तो कृपया आप मेरे अमुक कार्य करें।
*7. मिथ्याकार--* अपनी त्रुटि को सहज भाव से स्वीकार करना, भूल हो जाने पर मिथ्याकार- *'मिच्छा मि दुक्कड़ं'* का प्रयोग करना।
*8. तथाकार--* गुरु आदि द्वारा प्राप्त निर्देश की स्वीकृति के लिए तथाकार- *'तहत'* शब्द का प्रयोग करना।
*9. अभ्युत्थान--* गुरु आदि का आदर करना, उनको आहार आदि लाकर देना।
*10. उपसंपदा--* ज्ञान, दर्शन और चारित्र की विशेष प्राप्ति के लिए कुछ समय तक दूसरे गण के आचार्य का शिष्यत्व स्वीकार करना।
(उत्तरज्झायणाणि 26/2-7)
(ठाणं 10/102)
*उद्गम के दोष* के बारे में जानेंगे-समझेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢
♻❇♻❇♻❇♻❇♻❇♻
*श्रावक सन्देशिका*
👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 38 - *चारित्र आत्मा*
*मार्ग सेवा आदि* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
👉 आज के मुख्य प्रवचन के कुछ विशेष दृश्य..
👉 गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
👉 प्रवचन स्थल: R.B.S महाविधालय, "धनुषी" में..
दिनांक - 25/03/2017
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद 🌻
Source: © Facebook
👉 पूज्य प्रवर का आज का लगभग 14.4 किमी का विहार..
👉 आज का प्रवास - R.B.S महाविधालय, "धनुषी" पधारेंगे
👉 आज के विहार के दृश्य..
दिनांक - 25/03/2017
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद 🌻
Source: © Facebook
Source: © Facebook