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🌏 आज की प्रेरणा 🌎
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी
आलेखन - संस्कार चैनल के श्रवण से:-
आर्हत वाड्मय में एक सिद्धांत है - संसारी अवस्था में आत्मा का पुनर्जन्म होता है | ध्यान दें कि पुर्नजन्म के साथ ही पूर्व जन्म भी है | इस पुनर्जन्म का कारण है हमारे चार कषाय - क्रोध, मान, माया और लोभ | ये चारों कषाय पुनर्जन्म के मूलों को सिंचित करते रहते हैं | आध्यात्म की साधना का लक्ष्य है - पुनर्जन्म की परम्परा को समाप्त करना, भौतिक सुख समृद्धि को प्राप्त करना नहीं है | हम सम्बोधि प्राप्त करें | थोड़े से सुखों के लिए बड़े सुखों को न खोएं | यह काम भोग जन्य इन्द्रिय सुख दुखों की खान है | यह विभ्रांत चित्त वाला जीव संसार में भ्रमण करता है | इस भ्रमण से हमें आत्मरमण की ओर आना चाहिए | मोक्ष में जाने वाला जीव अनंत अनंत जन्म पहले ले चुका होता है | पुनर्जन्म व कर्म- वाद के सिद्धांत से प्रेरणा लेकर आदमी जन्म मरण से मुक्ति की ओर बढ़े | इसके लिए सत्संगत का भी महत्व है | सत साहित्य भी एक प्रकार का सत्संग है | गुस्सा आदमी के पतन का कारण होता है | अतः गुस्से का निमित्त मिलने पर भी हम गुस्से पर नियंत्रण करें |
दिनांक - १ जून, २०१७ बृहस्पतिवार
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🔯 गुरुवर की अमृत वाणी 🔯
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