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आचार्य गुरु विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य जिनवाणी पुत्र क्षुल्लक श्री ध्यान सागरजी महाराज के श्री मुख से रत्नकरण्ड श्रावकाचार स्वाध्याय
३-१०-१७
youtube पर प्रवचन सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे
https://youtu.be/DAhfe0H5g1w
Source: © Facebook
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आपने बाहुबली जी में बहुत बार दर्शन किये होंगे 57 फीट प्रतिमा के पर ऐसे दर्शन नहीं किये होंगे जो इस Wonderful.. मन को हरने वाले द्रश्य से दिखाए गए हैं.. Beautiful Darshan @ Early Morning via Drone Camera -बाहुबलु स्वामी.. जग केल्लानामी! शांति मुरितिये... श्रवणबेलगोला में गोमटेश्वर बाहुबली भगवान् की Special Darshan.. #BahubaliBhagwan #Gometheswar #Shravanbelgola:) #share maximum..
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News in Hindi
Conversation with 'GOD' #AcharyaVidyasagar G @ Ramtek, Part -2 -Ds article must be shared!! 🤔
आज मेंने पुनः अपने आप को बहुत ही धन्य और ऊर्जावान महसूस किया जब मैने अपने भगवान आचार्य श्री जी का दर्शन रामटेक महाराष्ट्र में किया. और जब आप उनसे (आचार्य श्री) समय, वात्सल्य, स्नेह और पूरी समपर्ण से आशीर्वाद प्राप्त करते हो। मैने ये सब आज अनुभव किया।।
आचार्य श्री का वर्णन-: वो एक महान, आध्यत्मिक और अदभुत संत हैं, जो 16 भिन्न- भिन्न भाषाओं के जानकार हैं, जो आज के समय में भी बहुत ही न्यूनतम आवश्यकताओं और बहुत ही सादा जीवन शैली के साथ अपना जीवन बहुत आनंदपूर्वक जी रहे हैं, जो आज भी बिजली का प्रयोग नही करते, जो अपने नंगे पैरों से भारत के बहुत से नगर और गाँवों को धन्य कर चुके हैं, लाखों व्यक्तियों के जीवन का उद्धार और सुधार कर रहे हैं! जिनके दर्शन मात्र से लाखों व्यक्तियों की आंखे और हृदय आनंदित हो जाते हैं, जो आज के समय के सबसे बड़े और उत्कृष्ट साधु हैं...
जो आज भी इस भारत देश और यहां विद्यमान सभी चीजों के उद्धार के लिए बड़े उत्साही हैं.. जो पूरी तरह और निःस्वार्थ भाव से इस संसार के सभी प्राणियों की मंगल कामना करने में ही विश्वास रखते हैं।
भाइयों और बहिनो में आपके सामने आचार्य श्री और मेरे बीच रामटेक मे हुए वार्तालाप के कुछ अंश यह प्रस्तुत कर रहा हूं-: उन्होंने बताया कि प्रत्येक व्यक्तियों को अपने जीवन के निर्वाह के लिए सबसे उत्कृष्ट अगर कोई साधन है तो वह हे उत्पादन, अपनी जरूरतों की पूर्ति स्वयं अपने द्वारा उत्पादित कृषि, कपड़ा आदि अहिंसा के माध्यम से करना चाहिए, दूसरा मध्यम साधन व्यापार करना और तीसरा जघन्य साधन नौकरी है। उन्होंने बताया कि इन सब में श्रेष्ठतम, सभी को अपनी आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन अपने द्वारा ही अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करना चाहिए। पुराने समय मे सभी व्यक्ति अपने पहनने के लिए कपड़ा हथकरघा के माध्यम से बनाते थे, जो कि हमारे शरीर और स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा रहता था, उस माध्यम से हमारा शरीर "श्रम" करता था और हमारा पहनावा उत्तम होता था, यह पहनावा हमे एक आत्मविश्वास और स्वाधीनता देता था।
एक पुरानी पुराण पुस्तक के अनुसार एक मनुष्य की 72 कलाएँ (महारथ) होती थी, जिनमें से कुछ-: नाचना, लिखना, पढ़ना, भोजन बनाना आदि।
पुरुषों को भी भोजन बनाना सीखना चाहिए यदि उसे भोजन बनाना नहीं आता है😃😃
उन्होंने बताया कि भारत देश के अनेकों गाँव के लोग किसान आदि उत्पादक और स्वतंत्र होते हैं लेकिन उन्हें अपने द्वारा उत्पादित वस्तु (अनाज) आदि का सही मूल्य प्राप्त नहीं होता। यह ठीक नही है हम सभी को इस बारे में इस तरह प्रयास करना चाहिए कि किसानों को उनके द्वारा उत्पादित फसल का सही सही मूल्य मिलने लग जाए।।
अंग्रेजी और हिंदी के प्रयोग में उन्होंने बताया कि इस चीज ने हमारे भारत देशवासियों में बहुत ही असमानता का माहौल बना दिया है। जो व्यक्ति अंग्रेजी का उपयोग करता है वो सम्मानीय, प्रतिष्टित और ज्यादा पैसे वाला कहा जाता है, वो बुद्धिमान समझ जाता है और दूसरी और जो हिन्दी बोलता है उसे लोग अलग दृष्टि से देखते हैं जबकि रोचक तत्व ये है कि हिंदी भाषा अंग्रेजी भाषा की तुलना में बहुत ही सम्पन्न है। हिंदी भाषा में जहाँ 77000 प्रायोगिक शब्द है वहीं पर अंग्रेजी भाषा में मात्र 12000 प्रायोगिक शब्द ही हैं। हिंदी भाषा शब्दों को भंडार है, तथा इस भाषा की अभिव्यक्ति में भावनात्मकता और संबंध आदि बनाने की शक्ति है। भाषा और भावना दोनो ही सीधे संबंध बनाने में बहुत ही उपयोगी हैं। भारत देश का नागरिक होने के साथ साथ हमारी मातृभाषा पर हमारी पकड़ होना हमारे लिए एक वरदान है। हम अपनी मातृभाषा में किसी भी बात को बहुत अच्छे और बड़ी सरलता से समझ सकते हैं। इस तरह का अभ्यास और चलन दुनिया के बहुत से विकसित देशों-: फ्रांस, चीन जापान, जर्मनी आदि में चलता है। उन्होंने बताया कि ऑक्सफ़ोर्ड शब्दकोश में इंडिया शब्द का अर्थ दिया है- पुरानी सभ्यता के आपराधिक प्रवृत्ति के लोग, अपराधी, गुलाम, ये ही मानसिकता इस महान देश का नाम भारत से इंडिया रखना हो सकता है।। उन्होंने बताया कि हम क्यों आज भी अंग्रेजों द्वारा दिये गए इस इंडिया नाम को पिछले 190 वर्षों से ढो रहे हैं? भारत का नाम इंडिया क्यों बदला गया, ज़रा सोचिए?
मैने उनके इस उदार दृष्टिकोण और कार्यक्षमता में इस संसार के सभी जीवों के प्रति एक बहुत ही महान औए दया का भाव देखा। वो इस संसार के सभी लोगों के लिए आनंद और शांति चाहते हैं, वो ऐसा संसार चाहते हैं जिसमे कहीं भी भेदभाव,असमानता और गरीबी जैसा कोई कष्ट किसी भी प्राणी को न हो।।
- अमित कासलीवाल 29h Sept
Amit Kasliwal, Gurgoan [ Ford India, Sales Head & IIT, IIM's visiter guest lecturer ]
admin words -when will I be meeting him in a person, will be most pious moment of my life. bcoz of whom my feeling gets alive like goose-bumps.. standing and watching him feels me earth-rooted. I’ve nothing to ask, just want feel his persona by behold his gesture.. that is rendered as per Jainism philosophy Exactly!! 🙂
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