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VISHWA JAIN SANGATHAN
त्यौहार / नवबर्ष के नाम पर पटाखे फोड़कर या कुर्बानी / बलि देकर निर्दोष मूक प्राणियों की हिंसा तो हिंसा ही होती है......संजय जैन - विश्व जैन संगठन
चाहे वो....
दीपावली पर या ईसाईयों के नवबर्ष के पूर्व 31 दिसम्बर को पटाखे चलाने या...
ईद पर कुर्बानी देने.....
नवमी के दिन नालंदा जिले में घोषरावां स्थित देवी मंदिर / तरकुलहा देवी मंदिर (गोरखपुर) / कामख्या मंदिर में जिन्दा कबूतर को मुंह में रख / कुल्लू दशहरे में / असाम में नलवारी के बेलसर में पशु बलि देने में हो या......
रेलवे द्वारा दुर्गा पूजा में यात्रियों को शाही मुर्ग, चिकन आदि खिलाने में हो या..
एक बूंद पानी में 36450 जीव होने वाले करोड़ों लिटर पानी को होली में बर्बाद करने में हो या.....
प्रतिवर्ष लाखो टन मांस निर्यात में हो या.....गन्ने के रस को सडाकर उसमें लाखों जीव पैदा कर उससे बनने वाली शराब को सरकार द्वारा बिक्री में हो.....
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों में दीपावली पर पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगाने से पटाखा व्यापारियों द्वारा प्रचारित किया जा रहा है कि हिन्दुओं के त्यौहार पर पाबंदी लगाई जा रही है लेकिन 31 दिसम्बर को ईसाईयों के नवबर्ष पर पटाखे में छूट और ईद पर कुर्बानी पर रोक न लगाने आदि अनेकों उदाहरण दिए जा रहे है और इसमें हमारे #SayNoToCrackers कहने वाले अहिंसा प्रेमी भी शामिल हो गए कि "हम तो पटाखे छुडाएंगे”!
यदि सुप्रीम कोर्ट ने ईद पर कुर्वानी पर रोक नहीं लगायी तो नवमी को देश में कई प्रसिद्ध मंदिरों में दी जाने वाली बलि पर भी कौन सी रोक लगाई है? निर्दोष जीवों की हत्या तो कुर्वानी / बलि के नाम पर हो ही रही है! अहिंसा प्रेमी होकर आप यह कैसे कह सकते हो कि यदि वो कुर्बानी होगी तो हम भी पटाखे फोड़कर निर्दोष जीवों को परेशान करेंगे और 31 दिसम्बर रात्रि को ईसाइयों के नववर्ष पर कौन पटाखे छुड़ाता है?..अरे वो भी तो हम सब ही है वर्ना ईसाई है ही कितने भारत में?
क्या पटाखे जला कर उनके धुंए / आवाज के प्रदुषण आदि से निर्दोष पशु / पक्षियों के अतिरिक्त मासूम बच्चों / बुजुर्गों / गर्भवती महिलाओं को नुकसान पहुचाकर दीपावली जैसे पवित्र त्यौहार को आप त्यौहार मनाना कहते है?
क्या आपके धार्मिक ग्रन्थ ऐसा करने हेतु निर्देश देते है? या.....
इस पवित्र त्यौहार पर किसी असहाय या मजबूर की मदद करने / मंदिर में प्रभु दर्शन करने / अपने घर की सफाई कर सजावट करने / अपने परिवार, रिश्तेदारों, मित्रों आदि के साथ खुशियाँ बांटने के लिए कहता है!
बंधुओं....हिन्दू, जैन, सिख धर्म में दीपावली का बहुत ही महत्व हैं! कृपया इसे किसी निर्दोष प्राणी को परेशान न करते हुए अपने धार्मिक व सामाजिक मान्यताओं के अनुसार मनाने का प्रयास करें और यदि संभव हो तो पटाखों में खर्च होने वाली राशी किसी गौशाला / पशुशाला व किसी मजबूर और असहाय परिवार को दान देकर पुण्य कमाएं.....संजय जैन मो. 9312278313
उपरोक्त पोस्ट में बलि आदि का ब्यौरा दिया गया है वह सब देश के प्रसिद्ध समाचार पत्रों में प्रकाशित है व उपलब्ध है! यदि किसी भी बंधु को उपरोक्त पोस्ट में लिखे गए किसी भी शब्द से ठेस पहुची हो या धार्मिक भावना आहत हुई हो तो कृपया क्षमा करें!
अच्छा लगे तो अन्य अहिंसा प्रेमियों को जागरूक करना और उपरोक्त विषय फॉरवर्ड करना..