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👉 कांदिवली, मुम्बई - सम्बोध कार्यशाला का आयोजन
👉 नोहर - कारागृह में प्रेक्षाध्यान का कार्यक्रम
👉 बल्लारी - जैन प्रतीक हाथ से बनी हुई तोरण हस्त निर्मित प्रतियोगिता व प्रदर्शनी का आयोजन
👉 बल्लारी - जैन संस्कार विधि द्वारा दीवाली पूजन कार्यशाला
👉 बेंगलोर - जैन संस्कार विधि द्वारा दीवाली पूजन कार्यशाला का आयोजन
👉 गांधीनगर, बेंगलुरु: तीन दिवसीय तेरापंथ साहित्य एवं हस्तकला प्रदर्शनी परिसम्पन्न
👉 आसीन्द - प्रदुषण रहित दीपावली मनाने पर कार्यक्रम
👉 आसीन्द - जैन जीवन शैली कार्यशाला का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*
👉 *अवदारिक शरीर से परकल्याण का हो प्रयास: आचार्यश्री महाश्रमण*
👉 *-‘ठाणं’ आगम में वर्णित शरीर के पांच भेदों को आचार्यश्री ने किया सरस विवेचन*
👉 *-मानव को प्राप्त होने वाले अवदारिक शरीर को बताया सबसे महत्त्वपूर्ण*
👉 *-‘तेरापंथ प्रबोध’ आख्यान शृंखला में आचार्य मघवागणी के शासनकाल का आचार्यश्री ने किया वर्णन*
👉 *-आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में गीत-गायन प्रतियोगिता के विद्यार्थियों ने दी अपनी प्रस्तुति*
👉 *-विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पाने वाले विद्यालयों व विद्यार्थियों को किया गया पुरस्कृत*
👉 *-आचार्यश्री ने विद्यार्थियों को प्रदान किया मंगल आशीष, महाप्राण ध्वनि का कराया प्रयोग*
👉 *-आचार्यश्री के आह्वान पर विद्यार्थियों ने स्वीकार की संकल्पत्रयी*
दिनांक - 10-10-2017
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 171* 📝
*आलोक कुटीर आचार्य अर्हद्बलि*
दिगंबर परंपरा के आचार्य अर्हद्बलि समर्थ संघनायक थे। उन्हें नंदी, वीर, अपराजिता आदि एक साथ कई संघों की स्थापना करने का श्रेय है। वे ज्ञानबल से संपन्न थे। अष्टांग महानिमित्त के ज्ञाता थे और अंगों के एक देशपाठी विद्वान थे। उन्हें पूर्वांशों का ज्ञान भी था। अर्हद्बलि का दूसरा नाम गुप्तिगुप्त था।
*गुरु-परंपरा*
'इंद्रनंदी श्रुतावतार' की गुरु परंपरा के अनुसार आचार्य अर्हद्बलि की पूर्व गुरु-परंपरा में लोहाचार्य के पश्चात् अंग और पूर्वों के एक देशपाठी आचार्य विनयदत्त, श्रीदत्त, शिवदत्त, अर्हदत्त हुए। उनके बाद अर्हद्बलि का उल्लेख है। तिलोयपण्णत्ती में आचारांग के संपूर्ण ज्ञाता तथा शेष अंगों और पूर्वों के एक देशपाठी आचार्य सुभद्र, यशोभद्र, यशोबाहु तत्पश्चात् लोहाचार्य का क्रम है। इससे आगे की गुर्वावली तिलोयपण्णत्ती में नहीं है। नंदी संघ की प्राकृत पट्टावली में सुभद्राचार्य, यशोभद्राचार्य, भद्रबाहु, लोहाचार्य के पश्चात् अर्हद्बलि का उल्लेख है। नंदी संघ की पट्टावली में प्राप्त उल्लेखानुसार अर्हद्बलि से पूर्व गुरु लोहाचार्य थे।
*जीवन-वृत्त*
इंद्रनंदी के श्रुतावतार में प्राप्त उल्लेखानुसार आचार्य अर्हद्बलि पूर्व देश मध्यवर्ती पुण्ड्रवर्धन के निवासी थे। वे विशुद्ध सत्क्रिया करने वाले आचार्य थे तथा उनमें संघ पर अनुग्रह-निग्रह करने का सबल सामर्थ्य भी था।
पंचवर्षीय युग प्रतिक्रमण के समय एक बार आंध्र प्रदेश में वेणा नदी के तट पर बसे महिमा नगर में महामुनि सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन की अध्यक्षता आचार्य अर्हद्बलि ने की।
धार्मिक महोत्सव के इस प्रसंग पर 100 योजन तक के मुनिनायक अपने गण सहित उपस्थित हुए। इन मुनिगणों में विद्वान, स्वाध्यायी, ध्यानी, मौनी, त्यागी, तपस्वी, अध्ययन और अध्यापनरत श्रमण थे।
आचार्य अर्हद्बलि ने मुनिजनों से पूछा "सर्वेप्यागताः" आप सब आ गए हैं? मुनिजनों की ओर से उत्तर था 'हम अपने गण सहित पहुंच गए हैं।'
आचार्य अर्हद्बलि अनुभवी थे। प्रखर मेधा के धनी थे। मानव मन के कुशल पारखी थे। मुनिजन के उत्तर से उन्होंने सबकी पक्षपातपूर्ण अंतरंग नीति को पहचाना। धर्मसंघ के समग्र वातावरण का सूक्ष्मता से अध्ययन किया।
उस समय दिगंबर परंपरा में मूल संघ काफी बड़ा था। इस संघ में अनेक प्रभावी मुनि थे। ज्ञानादि गुणों से संपन्न थे। धृतिवान, क्षमावान थे एवं संघ संचालन की दिशा में भी वे सुदक्ष थे।
गण की सारणा-वारणा करने में प्रवीण आचार्य अर्हद्बलि के द्वारा महामुनि सम्मेलन के इस अवसर पर ग्यारह नए संघों की स्थापना हुई। उनके नाम इस प्रकार हैं— *1.* नंदी संघ, *2.* वीर संघ, *3.* अपराजित संघ, *4.* देव संघ, *5.* पंचस्तूप संघ, *6.* सेन संघ, *7.* भद्र संघ, *8.* गणधर संघ, *9.* गुप्त संघ, *10.* सिंह संघ, *11.* चंद्र संघ।
ये ग्यारह ही संघ मूल संघ के उपसंघ अथवा शाखा रूप थे।
मौलिक सूझ-बूझ के साथ इन संघों की स्थापना कर आचार्य अर्हद्बलि ने एक नई संघ व्यवस्था को जन्म दिया। इन संघों को स्थापित करने में धर्म वात्सल्य की अभिवृद्धि एवं जैन संघ की एकता को अखंड बनाए रखना ही उनका प्रमुख उद्देश्य था। महामुनि सम्मेलन की अध्यक्षता एवं नए संघों की स्थापना आचार्य अर्हद्बलि के सफल एवं सबल संघ नायकत्व को सूचित करती है।
*आचार्य अर्हद्बलि के काल के समय-संकेत के बारे में* पढ़ेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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👉 जाखलमण्डी- जैन संस्कार विधि कार्यशाला का आयोजन
👉 मदुराई - राजा हरिश्चन्द्र पर नाट्य प्रस्तुति
👉 चेन्नई: अणुव्रत समिति द्वारा "काव्य संध्या" का आयोजन
👉 इंदौर - तेयुप द्वारा भक्ति संध्या का आयोजन
👉 सेलम - अभातेमम महामंत्री नीलम सेठिया के नेतृत्व में प्रदूषण रहित दीवाली अभियान
👉 गांधीनगर (बेंगलोर) - संघीय दायित्व एवं संस्था संचालन कार्यशाला
👉 दक्षिण हावड़ा - दीवाली पूजन पर कार्यशाला का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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