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👉 जोधपुर - गुरु इंगित सामायिक कार्यशाला का आयोजन
👉 मदुरै (तमिलनाडु) - जैन संस्कार विधि कार्यशाला का आयोजन
👉 सांताक्रुज - दीवाली पूजन जैन संस्कार विधि द्वारा पर कार्यशाला का आयोजन
👉 कोलकत्ता - तेमम द्वारा प्रदुषण मुक्त दीपावली अभियान
👉 बारडोली - विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन
👉 विजयवाड़ा - पर्यावरण सुरक्षा के अन्तर्गत आतिशबाजी को कहें ना पर कार्यशाला का आयोजन
👉 हुबली: ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा भगवान महावीर के ऊपर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन
👉 राजरहाट, कोलकत्ता - कोलकत्ता महिला मंडल द्वारा प्रदुषण मुक्त दीपावली अभियान
👉 गांधीनगर, बैंगलोर: तेरापंथ महिला मंडल द्वारा "प्रदूषण मुक्त दीपावली" अभियान का प्रचार-प्रसार
👉 नोएडा - तेमम द्वारा प्रदुषण मुक्त दीपावली अभियान
👉 लुधियाना - तेमम द्वारा प्रदुषण मुक्त दीपावली अभियान
👉 नागपुर - तेमम द्वारा प्रदुषण मुक्त दीपावली अभियान
👉 कोलकत्ता - प्रदुषण मुक्त दीपावली महाअभियान की गूंज पहुंची राजभवन में
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 177* 📝
*प्रबुद्धचेता आचार्य पुष्पदन्त एवं भूतबलि*
पुष्पदंत और भूतबलि मेधा संपन्न आचार्य थे। उनकी सूक्ष्म प्रज्ञा आचार्य धरसेन के ज्ञान को ग्रहण करने में सक्षम सिद्ध हुई। उन्होंने अगस्त्य ऋषि के सागर-पान की परंपरा को श्रुतोपासना की दृष्टि से दुहरा दिया।
*गुरु-परंपरा*
आचार्य पुष्पदंत और भूतबलि के शिक्षा गुरु धरसेन थे। धरसेन आचार्य ने महिमा नगरी में होने वाले धार्मिक महोत्सव में सम्मिलित आचार्यों के पास पत्र भेजा। उस पत्र में दो मुनियों को अध्ययनार्थ प्रेषित करने की मांग की। इसी पत्र के अनुसार दक्षिणापथ के आचार्यों ने मेधा संपन्न श्रमण पुष्पदंत और भूतबलि को धरसेन आचार्य के पास भेजा। दोनों ने विनयपूर्वक धरसेन आचार्य से षट्खंडागम का तथा सैद्धांतिक तत्वों का गंभीर अध्ययन किया। अतः पुष्पदंत और भूतबलि धरसेन आचार्य के विद्या शिष्य थे। श्रवणबेलगोला 105 संख्यक अभिलेख में पुष्पदंत और भूतबलि को अर्हद्बलि का शिष्य बताया है।
*जीवन-वृत्त*
पुष्पदंत श्रेष्ठिपुत्र थे और भूतबलि सौराष्ट्र के नहपान नामक नरेश थे। गौतमपुत्र शातकर्णी से पराजित होकर नहपान नरेश ने श्रेष्ठिपुत्र सुबुद्धि के साथ दिगंबर श्रमण दीक्षा ग्रहण की। धरसेन आचार्य के पास सौराष्ट्र के गिरिनगर की चन्द्रगुफा में उन्होंने अध्ययन किया। शिक्षा संपन्न होने के बाद आचार्य धरसेन से आशीर्वाद पाकर पुष्पदंत और भूतबलि वहां से विदा हुए। दोनों ने एक साथ अंकलेश्वर में चातुर्मास किया। वर्षावास समाप्त होने के बाद पुष्पदंत और भूतबलि ने दक्षिण की ओर प्रस्थान किया। दोनों सानंद करहाटक पहुंचे। करहाटक में श्रमण पुष्पदंत जिनपालित से मिले। जिनपालित योग्य बालक था। पुष्पदंत ने उसे मुनि दीक्षा प्रदान की ओर से नवदीक्षित मुनि जिनपालित को साथ लेकर वनवास देश में गए। भूतबलि द्रविड़ देश की मथुरा नगरी में रुके। उत्तर कर्णाटक का प्राचीनतम नाम वनवास बताया गया है।
*साहित्य*
दिगंबर परंपरा में कषाय प्राभृत के रचनाकार आचार्य गुणधर के बाद साहित्य रचना के क्षेत्र में आचार्य पुष्पदंत और भूतबलि का अनुदान सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। षट्खंडागम की रचना इन दोनों आचार्यों के सम्मिलित प्रयत्न का परिणाम है। षट्खंडागम रचना का घटना प्रसंग इस प्रकार है—
आचार्य पुष्पदंत ने वनवास देश (उत्तर कर्णाटक) में रहते हुए आचार्य धरसेन द्वारा प्राप्त ज्ञान के आधार पर वीसदिसुत्त के अंतर्गत सत्प्ररूपणा के 177 सूत्रों की रचना की। जिनपालित को उन सूत्रों का प्रशिक्षण दिया और उन्हें भूतबलि के पास भेजा। भूतबलि ने पुष्पदंत आचार्य रचित वीसदिसुत्त को पढ़ा और आचार्य पुष्पदंत के जीवन का संध्याकाल जानकर भूतबलि ने सोचा "महाकर्म प्रकृति प्राभृत की श्रुतधारा का कहीं विच्छेद नहीं हो जाए।" अतः उन्होंने 'वीसदिसुत्त' के सूत्रों सहित छह सहस्र सूत्रों में ग्रंथ के 5 खंडों की रचना की। छठे महाबंधक नामक खंड में 30 हजार सूत्र रचे। इस ग्रंथ का नाम षट्खंडागम है। इस घटना से स्पष्ट है आचार्य भूतबलि महाकर्म प्रकृति के ज्ञाता थे। षट्खंडागम के प्रारंभिक सूत्रों की रचना पुष्पदंत आचार्य द्वारा वनवास (उत्तर कर्णाटक) में हुई। अवशिष्ट ग्रंथ सूत्रों की रचना आचार्य भूतबलि द्वारा द्रविड़ देश में हुई। षट्खंडागम रचना का यह समय ईस्वी सन् 75 माना गया है।
*षट्खंडागम ग्रंथ का संक्षिप्त परिचय* प्राप्त करेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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*अतिशबाजी को कहे ना*
अणुव्रत महासमिति द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी *अतिशबाजी को कहे ना* अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है। सलंग्न लिंक को आप अधिक से अधिक प्रसारित करे और इस अभियान में सहभागी बने।
📍 *क्या आप पर्यावरण सुरक्षा में अपना योगदान देना चाहते है?*
📍 *क्या आपने यह फॉर्म भरा?*
📍 *स्वयं भी भरे । पारिवारिकजन व मित्रों से भी भरवाए।*
📍 *आप द्वारा दिया हुआ 2 मिनट का समय पर्यावरण सुरक्षा में अति महत्वपूर्ण हो सकता है।*
📍 *आइये इस पुनीत कार्य मे सहभागी बने व बनाये।*
http://anuvratmahasamiti.com/Diwali.aspx
*ऊपर दिये गए लिंक को ओपन करे एवं उसमे दिये हुए फॉर्म को ऑनलाइन भरकर भेजे। एवं प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने व पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान करे।*
प्रस्तुति - *अणुव्रत महासमिति*
प्रसारक - तेरापंथ *संघ संवाद*
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