Update
👉 चेन्नई: साध्वी श्री काव्यलता जी आदि ठाणा-4 का "मंगलभावना समारोह" (प्रथम चरण) आयोजित
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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👉 राजरहाट, कोलकत्ता - अभातेमम की राष्ट्रीय कार्यसमिति की प्रथम बैठक एवं कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला उन्नयन का आयोजन
👉 चेन्नई: "महाप्रज्ञ अलंकरण दिवस" - "जीवन विज्ञान दिवस" का आयोजन
👉 सादुलपुर-राजगढ़: अणुव्रत समिति द्वारा विद्यालयों में 'अणुव्रत' कार्यशाला का आयोजन
👉 ईरोड: तप अभिनंदन, सम्मान एवं पारितोषिक वितरण समारोह का आयोजन
👉 मकराना - नवकार मंत्र के जाप का कार्यक्रम आयोजित
👉 कांकरोली: ज्ञानशाला का वार्षिकोत्सव आयोजित
👉 अहमदाबाद - शासन श्री साध्वी श्री शुभवती जी की स्मृति सभा का आयोजन
👉 सूरत - अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तपोयज्ञ का आगाज़
👉 बीकानेर - कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ द्वारा जैन माइनॉरिटी पर नैतिकता के शक्तिपीठ पर कार्यक्रम आयोजित
👉 राजसमंद/राजनगर: तेयुप द्वारा आचार्य श्री भिक्षु मासिक पुण्य तिथि पर "आराधना आराध्य की.." दिव्य भावांजलि कार्यक्रम का आयोजन..
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi
*अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा*
👉 बाल दिवस पर होगा निर्माण योजना का देश भर में एक साथ शुभारम्भ
👉 *पुज्यवर* को निर्माण योजना की जानकारी निवेदित की गई
👉 *निर्माण - एक कदम स्वच्छता की ओर..* कार्यक्रम का होगा आगाज
👉 अभातेमम का स्वच्छता की दिशा में इस योजना द्वारा महत्वपूर्ण प्रयास
दिनांक 30-10-2017
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 189* 📝
*अर्हन्नीति-उन्नायक आचार्य उमास्वाति*
*ग्रंथ रचना*
संपूर्ण जैन समाज में उमास्वाति का नाम आदर से लिया जाता है। इस का प्रमुख कारण तत्त्वार्थ सूत्र जैसे उच्चकोटि ग्रंथ का निर्माण है। तत्त्वार्थ सूत्र ज्ञान, विज्ञान, भूगोल, खगोल, कर्म-सिद्धांत, आत्म-तत्त्व, पदार्थ-विज्ञान आदि विषयों का आकर ग्रंथ है। जैन दर्शन के मूल तत्त्व की आधारभूत व्याख्याएं इस ग्रंथ से उपलब्ध की जा सकती हैं। श्वेतांबर, दिगंबर दोनों परंपरा में अत्यल्प पाठ भेद के साथ यह समान रूप से समादृत है। इस ग्रंथ में जैन समाज की एकात्मकता के दर्शन होते हैं। मोक्ष मार्ग के रूप में रत्नत्रयी (सम्यक् ज्ञान, दर्शन, चरित्र) का युक्ति पुरस्सर निरूपण, द्रव्यों एवं तत्त्वों की विवेचना, ज्ञान एवं ज्ञेय की समुचित व्यवस्था तथा जैन दर्शन सम्मत अनेक मान्यताओं के प्रतिपादन से समाज में इस ग्रंथ की महती उपयोगिता है। आत्मा, बंध और मोक्ष का सांगोपांग वर्णन पाठकों को प्रभावित करता है। ग्रंथ का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है।
*तत्त्वार्थ सूत्र—* सूत्र ग्रंथों में तत्त्वार्थ सूत्र जैन साहित्य का प्रथम सूत्र ग्रंथ है। यह विपुल सामग्री से परिपूर्ण है। इसकी रचनाशैली प्रौढ़ और गंभीर है। कणादसूत्र के साथ तत्त्वार्थ सूत्र का साम्य है। इसके 10 अध्याय हैं। इन दस अध्यायों में कुल सूत्र संख्या 357 है। प्रथम अध्याय के 33 सूत्र हैं। इन सूत्रों में प्रमुखतः ज्ञान के 5 भेदों का वर्णन है। द्वितीय अध्ययन के 53 सूत्र हैं। इनमे संसारी जीवों के भेदों-उपभेदों का विवेचन है। तृतीय अध्याय में 39 सूत्र हैं। इनमें अधोलोक और मध्यलोक का वर्णन है। चतुर्थ अध्याय के 42 सूत्र हैं। इनमें उर्ध्वलोक का वर्णन है। पंचम अध्याय के 42 सूत्र हैं। इनमें धर्म-अधर्म आदि द्रव्य विभाग का प्रतिपादन है। षष्ठ अध्याय में 27 सूत्र हैं। इनमें आश्रव तत्त्व का निरूपण है। सप्तम अध्याय के 39 सूत्र हैं। इनमें आश्रव निरोधक तत्त्वों का वर्णन है। अष्टम अध्याय के 29 सूत्र हैं। इनमें कर्म बंध की व्याख्या है। नवम अध्याय के 47 सूत्र हैं। इनमें संवर, निर्जरा धर्म की व्याख्या है। दशम अध्याय में मोक्ष मार्ग का विवेचन है।
श्वेतांबर परंपरा में इसको प्रामाणिक ग्रंथ स्वीकार किया गया है। दिगंबर परंपरा में तत्त्वार्थ सूत्र के स्वाध्याय का उपवास के बराबर फल माना गया है। दसलक्षण पर्व के दिनों में इसका विशेष स्वाध्याय किया जाता है।
*तत्त्वार्थ सूत्र के व्याख्या ग्रंथ* के बारे में पढेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 13* 📝
*पेमजी कोठारी*
*(सम्वत् 1782 से 1844)*
*झूला-कांड*
पेमजी का विवाह पोटलां गांव के पिछोल्या परिवार में हुआ। एक बार उनकी पत्नी पीहर गई हुई थी। श्रावण मास आया तब वहां विभिन्न वर्गों ने बालिकाओं के लिए झूलने की सामूहिक व्यवस्था की। महाजनों की लड़कियां झूल रही थीं। वहां पर पेमजी की पत्नी भी झूलने के लिए गई। वहां कुछ लड़कियों ने झूले पर अपना कब्जा कर रखा था। वे अपनी मर्जी की लड़की को झुलातीं, शेष की बारी ही नहीं आने देतीं। पेमजी की पत्नी के बाद में आई लड़की को झूलने दिया गया, पर उसे नहीं। तब वह क्रुद्ध होकर झगड़ पड़ी। एक लड़की ने ताना मारते हुए कहा— 'इतना ताव किस बात का दिखला रही है? तेरा पति कोई मेवाड़ का प्रधान थोड़े ही है। आमेट का प्रधान भी कोई प्रधान हुआ। ऐसे प्रधान तो टके में तीन सौ छप्पन बिकते हैं।'
किसी दूसरी लड़की ने कहा— 'झूलने की इतनी आतुरता है तो फिर अपने पिता से कहकर अलग झूला क्यों नहीं डलवा लेती?'
तीसरी ने कहा— 'वाह! पिता से क्यों कहेगी? आमेट के प्रधान से ही कहेगी न। वह इसके लिए झूले ही झूले डलवा देगा।
पेमजी की पत्नी के लिए इन अनर्गल बातों के बीच ठहरना असंभव हो गया। वह झल्लाती हुई वापस आ गई। घर में लगे झूले पर ही झूलकर संतोष करना पड़ा।
पेमजी ससुराल में निमंत्रित थे। उसी दिन सायं वहां पहुंचे। पत्नी को उदास पाया। कारण पूछने पर उसने झूला कांड में हुए अपने अपमान का पूरा विवरण उनके सम्मुख रख दिया। पत्नी के अपमान से पेमजी बहुत क्षुब्ध हुए। उन्होंने बदला लेने का निर्णय किया और लोगों के सम्मुख उसे व्यक्त भी कर दिया। दूसरे दिन ससुराल से विदा होकर आमेट जाते समय मार्ग में उन्होंने सांसियों के डेरे देखे। वे वहां गए। अपना परिचय दिया और अपने ससुराल को छोड़ कर पोटलां के शेष महाजनों को लूटने के लिए मुखिया को उकसाया। संभावित विपत्तियों में उसकी तथा उसके साथियों की रक्षा करने का उत्तरदायित्व भी उन्होंने अपने पर लिया। यहां की पूरी तैयारी करने के पश्चात् पेमजी सीधे उदयपुर पहुंचे और संध्या के समय महाराजा को 'नजराना' किया। नियमानुसार वह बही में उनके नाम के साथ लिख लिया गया। उसी रात को पोटलां लूट ली गई। पेमजी के ससुराल को कोई क्षति नहीं पहुंचाई गई।
पेमजी द्वारा कही गई बदला लेने की बात तथा उनके ससुराल को न लूटे जाने के आधार पर स्पष्ट हो गया कि यह सब कार्य पेमजी द्वारा किया गया है। महाजनों द्वारा सम्मिलित रूप से महाराणा तक पेमजी की शिकायत पहुंचाई गई। उस पर विचार भी हुआ, परंतु उनका अपराध सिद्ध नहीं किया जा सका। स्वयं राज की ही बही से यह सिद्ध हो रहा था कि पोटलां लूटी गई उस रात तथा पूर्व पेमजी उदयपुर में थे और उन्होंने महाराणा को 'नजराना' किया था। महाराणा ने उस सुदृढ़ आधार पर उन्हें निर्दोष घोषित कर दिया। पोटलां के महाजनों को द्वेष वश असत्य अभियोग चलाने के नाम पर महाराणा की लताड़ सुननी पड़ी।
*पेमजी स्वामीजी के संपर्क में कैसे आए...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
👉 *विषय - नवकार मंत्र और प्रेक्षा प्रयोग भाग - 1*
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
संप्रेषक: 🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*
👉 *पंच महाव्रतों की सुरक्षा समितियों के द्वारा: आचार्यश्री महाश्रमण*
👉 *-आचार्यश्री ने महाव्रतों की सुरक्षा के लिए आवश्यक पांच समितियों सहित तीन गुप्तियों को किया व्याख्यायित*
👉 *-साधु के साथ आचार्यश्री ने जन-जन को अहिंसा के साथ अपनी भाषा पर विशेष ध्यान देने की दी प्रेरणा*
👉 *-आचार्यश्री ने राजा परदेशी व मुनि कुमारश्रमण केशी की कथा को रोचक ढंग से किया व्याख्यायित*
👉 *-महातपस्वी की कोलकाता चतुर्मास के दौरान बहती पावन प्रेरणा से लाभान्वित हो रहे श्रद्धालु*
दिनांक - 01-11-2017
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
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