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पंथ से क्या हैं?
पंथिक से पृथक
पथिक बनो
पंथ से क्या मिलने वाला है,क्या मोक्ष? क्या सच्चा सुख? अगर आपका उत्तर नहीं है तो क्यों पंथ के पचड़े में पड़े हो,गुरुजी भी कहते है पंथी नहीं पथिक बनो। पंथिक से पृथक होओ/अलग होओ तभी कल्याण है। ना श्वेतांबर को मानने से मोक्ष होगा ना तेरापंथ को मानने से मोक्ष होगा और ना ही बीसपंथ को मानने से मोक्ष होगा मोक्ष तो आत्मा का ज्ञान होने पर,भेदविज्ञान जगने पर होगा। जब ज्ञातादृष्टा बन जाएंगे तब मोक्ष होगा पंथ का विवाद पूजा-पद्धतियों को लेकर है पूजा-पद्धति कभी हमें मोक्ष नहीं दे सकती। हम इन छोटी-छोटी बातों पर कषाय करकर अपना कितना बिगाड़ कर लेते है। हम पंथों पर लड़ने के चक्कर में दूसरों को मिथ्या दृष्टि ही साबित कर देते है और ऐसा करके जैन दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त अनेकांत/स्याद्वाद को ही गलत बता देते है। हमें पंथवादी नहीं मोक्षवादी बनना होगा जैसे अनन्त सिद्ध मोक्ष चले गए ऐसे ही हम भी कर्मसमूह का नाश कर सिद्ध हो जाए जीवन की सार्थकता सिद्ध होने में है ना कि संसार में भटकने में। इन सब विवादों का हल जब बडे-बडे विद्वान भी नहीं निकाल पा रहे है तो हमे इनमें उलझकर अपना भव क्यों बर्बाद करे? क्या पता हम इन सब विवादों में उलझे रहे और उसी समय हमारा आयु बंध हो गया तो कौनसी गति होगी सो प्रभु की अनेकांत श्री को छुने का प्रयास करे वह इतनी विराट है कि संसार के प्रत्येक मत उसमें समा सकते है हर मतानुयायी उसका आश्रय पा अपना उद्धार कर सकता है।
-Shubham Bindage
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Aacharya Shri Janmbhumi Sadlaga Darshan 🙏
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समय प्रति क्षण जा रहा है,शरीर भी प्रति क्षण जारहा है,संसार की क्षण भंगुरता का ध्यान रखिए और अच्छे कर्म करिए। -आचार्य विद्यासागर जी #GemWords • #AcharyaVidyasagar
Time is passing,Your body is getting aged day by day as well, Have a deep thought of the impermanence of the universe and perform good deeds to the maximum.