Update
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*07/12/17* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द व समणी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
P.U.P SCHOOL
KAMANDODI
होसुर- कृष्णगिरी रोड
☎9443435633,9003789485
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*महेन्द्र जी नाहर* के निवास स्थान
*इत्तगेगुड*
*मेसुर* (कर्नाटक)
☎9901135937,9448385582
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* प्रवास
*सरकारी प्राथमिक विद्यालय*
*अलूरे* तिरची रोड
Tamilnadu
☎ 8107033307,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*जैन भवन*
*तिरूकलीकुन्ड्रम* (पक्षीतीर्थ)
☎9786805285,9443247152
(तमिलनाडु)
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*Rajesh Kumar baid*
27/585A Heera-Sadan
Near kuttiravattam Mental hospital
*Calicut*(केरला)
☎ 7200690967,9672039442 9447606040
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*इंद्रचन्द जी घर्मीचन्द जी घोका*
*होसकोटे* (कर्नाटक)
☎8890788494,9341248726
080-27931296
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर बैगलौर*
☎080-22912735
(कर्नाटक)
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा 4* का प्रवास
*तिरुमला मन्दिर*
*सोन*
*हैदराबाद- नागपुर रोड*
(तेलंगाना)
☎9959037737
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*ATHIPATTU*
ऐनुर से मिजुर के रास्ते मे
(तमिलनाडु)
☎9840069301,9884200325
9840124134
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*रतनलालजी डागा* के निवास स्थान पर
*कोविलपट्टी*
(तमिलनाडु)
☎ 9443031462,9443120339
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धीश्री जी ठाणा 3* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*हिरियुर* (कर्नाटक)
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*सिंघनुर*(कर्नाटक)
☎7230910977,8830043723
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*जूटनहली गाँव*
स्कूल मे
श्रवणबेलगोला - बैगलोर रोड (कर्नाटक)
☎7798028703
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*आचार्य श्री महाश्रमणजी* *की सुशिष्या* *समणी निर्देशिका चारित्रप्रज्ञाजी* *एवं सहवर्तिनी समणीवृन्द का प्रवास*
*Shri Deepak Tatia*
*39, Ethiraj Lane*
*Egmore, Chennai -8*
*Street next to DLF*
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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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Update
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 214* 📝
*सरस्वती-कंठाभरण आचार्य सिद्धसेन*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
विजयोपरांत राजा देवपाल ने आचार्य सिद्धसेन से कहा "हे भवतारक गुरुदेव! मैं प्रतिद्वंदी द्वारा उपस्थित भयरूपी अंधकार से भ्रांत हो गया था। आपने सूर्य के समान मेरे मार्ग को प्रकाशित किया है, अतः आपकी प्रसिद्धि दिवाकर नाम से हो।" तब से आचार्य सिद्धसेन के नाम के साथ 'दिवाकर' विशेषण जुड़ गया। वे लोक में 'सिद्धसेन दिवाकर' संज्ञा से विश्रुत हुए।
निशीथ चूर्णि के अनुसार सिद्धसेन ने अश्व रचना की थी। देवपाल की भावभीनी मनुहार से आचार्य सिद्धसेन राज सुविधाओं का मुक्तभाव से उपयोग करने लगे। वे हाथी पर बैठते और शिविका का प्रयोग करते। सिद्धसेन दिवाकर के साधनाशील जीवन में शैथिल्य की जड़ें विस्तार पाने लगीं। "श्रावकाः षोषधशालायां प्रवेशमेव न लभन्ते।" उनके पास उपासक वर्ग का आवागमन निषिद्ध हो गया। आचार्य होते हुए भी राजसम्मान प्राप्त कर संघ-निर्वहण के दायित्व को उन्होंने उपेक्षित कर दिया था। धर्म संघ में चर्चा प्रारंभ हुई।
*दगपाणं पुप्फफलं अणेसणिज्जं गिहत्थकिच्चाइं।*
*अजया पडिसेवंती जइवेसविडंबगा नवरं।।13।।*
*(प्रबंध कोश, पृष्ठ 17, पंक्ति 28)*
सचित्त जल, पुष्प, फल अनेषणीय आहार का ग्रहण एवं गृहस्थ कार्यों का अयत्नापूर्वक सेवन श्रमण वेश की प्रत्यक्ष विडंबना है।
आचार्य सिद्धसेन के अपयश की यह गाथा आचार्य वृद्धवादी के कानों तक पहुंची। वे गच्छ के भार को योग्य शिष्य के कंधों पर स्थापित कर एकांकी वहां से चले। कूर्मार देश में पहुंचे। वहां राजा की भांति सुखासन (पालकी) में बैठे एवं सैकड़ों जनों से घिरे हुए शिष्य सिद्धसेन को राजमार्ग में देखा। वेश परिवर्तित कर आचार्य वृद्धवादी सिद्धसेन के सामने उपस्थित हुए और बोले "आप विद्वान् हैं। आपकी ख्याति सुनकर मैं दूर देशांतर से आया हूं। मेरे मन में संदेह है उसे आप दूर करें।
आचार्य सिद्धसेन ने स्वाभिमान के साथ सिर ऊंचा कर कहा "जो भी तुझे पूछना हो, पूछो।"
आसपास में खड़े लोगों के सम्मुख आचार्य वृद्धवादी उच्च स्वर में बोले
*अणफुल्लिय फुल्ल म तोडहिं मा रोवा मोडहिं।*
*मण कुसुमेहिं अच्चि निरंजणु*
*हिंडहि काँइ वणेण वणुं।।14।।*
*(प्रबंध कोश, पृष्ठ 18)*
आचार्य सिद्धसेन बुद्धि पर पर्याप्त बल लगाकर भी प्रस्तुत श्लोक का अर्थ नहीं कर सके। उन्होंने सोचा यह मेरे गुरु वृद्धवादी तो नहीं है? पुनः-पुनः समागत विद्वान् की मुखाकृति को देखकर आचार्य सिद्धसेन ने वृद्धवादी को पहचाना।
'पाइयोः प्रणम्य क्षामिताः पद्यार्थपृष्टाः' चरणों में गिरकर अविनय की क्षमा याचना की और विनम्र होकर श्लोक का अर्थ पूछा।
*आचार्य वृद्धवादी ने श्लोक का क्या अर्थ बताया...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 38* 📝
*भैंरूंदासजी चण्डालिया*
*थुक्कम-थुक्का से छक्कम-छक्का*
भैरूंदासजी चण्डालिया इस बात से बहुत खिन्न हुए कि उनके गांव में आकर स्वामीजी को ऊंचे-नीचे शब्द सुनने पड़े। एक दिन उन्होंने स्वामीजी से कहा— "आप धैर्यपूर्वक लोगों के इतने कुवचन सुन लेते हैं और अपमान सह लेते हैं, यह बड़ा ही कठिन कार्य है। परंतु यह निश्चित है के अंत में आपकी भी वैसे ही विजय होगी जैसी कि राव रघुनाथ के जंवाई की हुई थी।" उपस्थित लोगों ने राव रघुनाथजी के विषय में जिज्ञासा की तब भैरूंदासजी ने निम्नोक्त घटना सुनाई—
दिल्ली में राव रघुनाथजी अग्रवाल रहते थे। वे प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। बादशाह के भी कृपापात्र थे। एक बार दिल्ली का कोई साधारण अग्रवाल अपने लड़के को नए कपड़े पहनाकर बाजार में लाया। किसी व्यक्ति ने मजाक करते हुए उससे कहा— 'लड़के को तो ऐसा सजाया है कि मानो अभी-अभी राव रघुनाथजी की लड़की से सगाई करने जा रहे हो।'
वह मजाक उसे चुभ गई अतः गंभीरता से उत्तर देते हुए बोला— 'इसमें ऐसी क्या बड़ी बात है? वे भी अग्रवाल हैं और मैं भी अग्रवाल हूं। सगाई हो भी सकती है।
'अच्छा तो इस समय वहीं जा रहे हो क्या?' लोगों ने फिर मजाक किया।
वह बोला— 'हां-हां, वहां जा ही नहीं रहा हूं सगाई करके भी दिखा दूंगा।'
लोगों ने उसी प्रवाह में कहा— 'तो भई! बारात में हमें भी ले चलना। देखो! कहीं भूल मत जाना।
अग्रवाल अपने लड़के को लेकर सचमुच ही राव रघुनाथजी के घर पहुंच गया और सगाई के विषय में बातचीत करने लगा।
राव साहब ने उससे कहा तो कुछ भी नहीं, परंतु उसकी धृष्टता से अप्रसन्न अवश्य हुए। संकेत पाकर नौकरों ने उसे बुरा-भला कहकर बाहर निकाल दिया।
बाजार में आते ही लोगों ने पूछा— 'क्यों, संबंध तय हो गया?'
उसने कहा— 'आज तो पहला ही दिन है। कम से कम थुक्कम-थुक्का तो हुआ ही है।
दूसरे दिन फिर वहां गया और सगाई की बात चलाई, किंतु राव साहब के तेवर देख कर नौकरों ने उसे धक्के देकर बाहर निकाल दिया।
तमाशबीन लोगों ने पूछा— 'क्यों आज तो हो गई होगी बात पक्की?'
वह बोला— 'कल थुक्कम-थुक्का हुआ था, आज धक्कम-धक्का हुआ है। अब आगे क्या होगा देखा जाएगा।'
*आगे क्या हुआ...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi
👉 *"अहिंसा यात्रा"*के बढ़ते कदम
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "बोकारो" पधारेंगे
👉 आज का प्रवास - *बोकारो*
दिनांक: 06/12/2017
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
Source: © Facebook
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