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News in Hindi:
154वां मर्यादा महोत्सव
हर व्यक्ति, परिवार, समाज में मर्यादा अनुषासन व संस्कार जरूरी: मुनिश्री किषनलाल
हांसी, 24 जनवरी 2018।
आचार्यश्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती प्रेक्षाप्राध्यापक ‘षासनश्री’ मुनिश्री किषलालजी के सान्निध्य में हांसी के तेरापंथ सभा भवन में मर्यादा महोत्सव आयोजित किया गया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में सेवानिवृत उपजिला षिक्षा अधिकारी ओमप्रकाष यादव, व्यापार मण्डल के प्रवीण तायल, सुभाष वर्मा, श्रीमती सुनीता गुप्ता आदि उपस्थित थे।
प्रेक्षाप्राध्यापक ‘षासनश्री’ मुनिश्री किषनलालजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मर्यादा तेरापंथ धर्मसंघ का प्राण है। सभी साधु-साध्वियां एक आचार्य की आज्ञा में रहते यह तेरापंथ धर्मसंघ की विषेषता है।
अनुषासन और मर्यादा का यह महोत्सव प्रतिवर्ष माघ शुक्ला सप्तमी को विषाल स्तर पर आचार्य के सान्निध्य में आयोजित किया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि एक सागर अपनी मर्यादा में रहता है कितना ही पानी हो, नदियों का पानी हो सागर में समा जाता है जब वह अपनी मर्यादा तोड़ता है तो सुनामी जैसी भयंकार समस्या पैदा हो सकती है इसी प्रकार हर व्यक्ति, परिवार, समाज में मर्यादा अनुषासन, संस्कार जरूरी है। मर्यादा और अनुषासन के अभाव में घर परिवार में परस्पर कलह, लड़ाई झगड़े हो रहे हैं, विद्यार्थी द्वारा षिक्षक को गोली मारने जैसी निंदनीय घटनाएं घट रही है ये सब बिना अनुषासन मर्यादा और संस्कार के कारण होता है। किसी संगठन में अच्छाई होती है तो किसी में बुराई भी होती है। जैन धर्म की महत्त्वपूर्ण विषेषता रही कि आज तक किसी भी जैन सम्राट या राजा ने किसी राष्ट्र पर आक्रमण नहीं किया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनिश्री निकुंजकुमार ने मर्यादा और अनुषासन एक सिक्के के दो पहलू बताते हुए मर्यादा की विषेषताएं बताई।
तेरापंथ महिला मण्डल हांसी ने सामुहिक गीत ‘‘मर्यादा मुकुट है शीष रो, मर्यादा रो मोल घणो’’ प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर तेरापंथ महिला मण्डल अध्यक्षा श्रीमती सरोज जैन, श्रीमती सुनीता गुप्ता, ओमप्रकाष यादव, व्यापार मण्डल के प्रधान प्रवीण तायल, सुभाष वर्मा ने अपनी भावनाएं व्यक्त की जिनका सम्मान सभा के अध्यक्ष दर्षन कुमार जैन, डालचन्द जैन, अषोक जैन, श्रीमती सिधी जैन ने साहित्य भेंट कर किया। कार्यक्रम का प्रारंभ मुनिश्री के मंगल मंत्रोच्चारण से हुआ।
- अषोक सियोल
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154th Maryada Mahotsav Festival
Commitment and rituals required in every person, family, society: Munishri Kishan Lal
January 24, 2018
A seminar festival was held in Terapanth Sabha Bhawan in Hansi, in the proximity of Munshri Kishalalji, the intensive auditor general of 'Acharyashree Mahishmaniji'. Meanwhile, retired Deputy District Education Officer Om Prakash Yadav, Praveen Tayal of the business circle, Subhash Verma, Smt. Sunita Gupta were present as the chief guest.
Observer 'Science Shree' Munishri Kishan Lalji in his remark said that the limit is the life of Tharanthanth Dharma Sangh. All Sages and Sadhis, according to the command of an Acharya, it is the merit of Terapanth Dharam Sangh.
This festival of grace and dignity is organized every year in the proximity of Acharya at the viral level of Magh Shukla Saptami. He further said that an ocean lives in its own limits, how much water it is, the water of the rivers gets absorbed in the ocean, when it breaks its limits, then there can be a frightening problem like a tsunami, in this way every person, family, Discipline, rituals are necessary. In the absence of limit and discipline, there is a quarrel between the family, the fight is being fought, the abusive incidents such as shooting of a student by the student are decreasing, all this is due to unrestrained limits and rites. There is goodness in any organization, then there is evil in somebody. There is an important feature of Jainism that till now no Jain monarch or king has invaded any nation.
While conducting the program, Munici Nikunjkumar explained the limitations of the limit, while describing the limitations and discipline as two aspects of a coin.
Tarapanth Mahila Mandal Hansi presented the song "Sage Mudra hai Chesh Row, Sathda Rao Maal Ghano".
On this occasion, Tarapanth Mahila Mandal President Smt. Saroj Jain, Smt. Sunita Gupta, Omprakash Yadav, Praveen Tayal, Subhash Verma, Head of the Trade Board, expressed their feelings which were presided by Dr. Darshan Kumar Jain, President of the Sabha, Dalchand Jain, Ashok Jain, Mrs. Sidhi Jain Has presented the literature. The program started with the mantra of Mantri from Mantralaya.