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🌈 *13/05/2018 मुनि वृन्द एवं साध्वी वृन्द के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना* 🌈
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री धर्मरूचि जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*साहूकारपेट,चेन्नई*
☎ *8910991981*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा 2* *का प्रवास*
*मांगीलाल जी आच्छा के निवास स्थान पर*
KV KUPPAM
(बेंगलुरु - चेन्नई हाईवे)
☎ 9602007283,
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*राजाजीनगर,बेंगलुरु*
☎ *9448385582,*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
*श्रेयांस कुमार जी विनय कुमार जी सेठिया के निवास स्थान पर*
*No.78 A,Sannidhi Street,*
*तुरुवनन्नामलाई*
☎ *8107033307,9443222652,*
*9944770003*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ. मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*जयचंद जी खींवसरा*
*6-वन्नियार स्ट्रीट,नेमली*
☎ *9566296874,9381112101*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*जैन स्थानक,पनीरसेल्वम*
*हॉस्पिटल के पास,*
*मेट्टूपालयम*
☎ *9629588016,7200690967*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*जैन स्थानक*
*आरकोणम*
☎ *8072609493*
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*संघ संवाद + संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितीय' ठाणा ५ का प्रवास*
*मोतीलाल जी महावीर जी बम्बोली*
*No.7,Laxmi puram,*
*Near AIADMK head quarters,*
*Gopalpuram,Chennai.*
☎ *7010319801,984002128*
*9940296669*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ भवन*
*तंडियारपेठ, चैनैइ*
☎ *7044937375,9841098916*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*अर्हम् भवन*
*विजयनगर, बेंगलुरु*
☎ *9784755524*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमलप्रज्ञा जी ठाणा 6 का प्रवास*
*तेरापंथ भवन-ट्रिप्लिकेन*
☎ *9051582096*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी आदि ठाणा का प्रवास*
*तेरापंथ भवन*
*ट्रिप्लीकेन,चेन्नई*
☎ *8428020772,9884700393*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*महावीर जी बाफना के निवास स्थान पर*
*वालाजापेट*
☎ *8875762662*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या सुर्दशना श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*सिंधनूर*
☎ *8830043723*
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*विनोद जी भंसाली के निवास स्थान पर*
*Mandya*
☎ *9844474113*
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी ठाणा 6 का प्रवास*
*सुरेश जी भुतेडा के निवास स्थान पर*
*Upahar Darshini Hotel Ke Samne*
*3RD Block Jaynagar,*
*Bangalore (कर्नाटक)*
☎ *7798028703*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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Sangh Samvad
News, photos, posts, columns, blogs, audio, videos, magazines, bulletins etc.. regarding Jainism and it's reformist fast developing sect. - "Terapanth".
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 323* 📝
*वाङ्गमय-वारिधि आचार्य विद्यानन्द*
*साहित्य*
गतांक से आगे...
*श्रीपुर पार्श्वनाथ स्तोत्र* आचार्य विद्यानन्द की यह पद्यात्मक लघु रचना है। इस कृति में 30 पद्यों द्वारा पार्श्वनाथ की स्तुति की गई है। मंदाक्रांता, शिखरिणी, स्रग्धरा आदि विभिन्न छन्दों का प्रयोग है। कपिल आदि मुनियों का अनाप्तत्व और तीर्थंकर पार्श्वनाथ का आप्तत्व तार्किक शैली में प्रस्तुत किया गया है। समंतभद्र की देवागम स्तोत्र शैली का प्रभाव इस स्तोत्र की शैली पर परिलक्षित होता है। आचार्य विद्यानन्द ने ईस्वी सन् 783-841 में इस स्तोत्र की रचना की थी।
*समय-संकेत*
आचार्य विद्यानन्द की अष्टसहस्री में भट्ट अकलंक की अष्टशती पूर्णतः समाहित है। भट्ट अकलंक का समय विक्रम की सातवीं-आठवीं शताब्दी है। इस आधार पर आचार्य विद्यानन्द विक्रम की आठवीं शताब्दी में होने वाले भट्ट अकलंक से उत्तरवर्ती हैं।
आचार्य विद्यानन्द के टीका ग्रंथों और परीक्षा ग्रंथों में कुमारनन्दी भट्टारक के वाद-न्याय की कुछ कारिकाएं उपलब्ध होती हैं। कुमारनन्दी भट्टारक भट्ट अकलंक के पश्चाद्वर्ती हैं पर विद्यानन्द से पूर्ववर्ती हैं।
आचार्य वादिराज के न्याय विनिश्चय विवरण की प्रशस्ति में विद्यानन्द का उल्लेख है। अतः विद्यानन्द वादिराज से पूर्ववर्ती विद्वान सिद्ध होते हैं। वादिराज के पार्श्वनाथ चरित्र काव्य रचना का समय ईस्वी सन् 1025 है।
आचार्य विद्यानन्द ने तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक के प्रशस्ति पद्य में शिवमार द्वितीय का उल्लेख किया है। युक्त्यनुशासनालङ्कार के प्रशस्ति पद्य में, आप्त परीक्षा ग्रंथ में तथा प्रमाण परीक्षा मंगल पद्य में सत्यवाक्य अथवा सत्य वाक्याधिप के वाक्य प्रयोग से शिवमार द्वितीय के उत्तराधिकारी राजमल्ल सत्यवाक्य प्रथम का निर्देश आचार्य विद्यानन्द ने किया है, ऐसा विद्वानों का अनुमान है।
शिवमार द्वितीय ने ईस्वी सन् 810 के लगभग राज्याधिकार प्राप्त किया था। राजमल्ल सत्यवाक्य प्रथम के लिए ईस्वी सन् 816 समय का उल्लेख है।
आचार्य विद्यानन्द के ग्रंथों में इन दोनों शासकों का उल्लेख होने से स्पष्ट है इन दोनों के शासन काल का समय ईस्वी सन् 9वीं शताब्दी का पूर्वार्द्ध होने के कारण आचार्य विद्यानन्द का सत्ता समय वीर निर्वाण की लगभग 14वीं शताब्दी एवं विक्रम की 9वीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध भाग प्रमाणित होता है।
आप तो परीक्षा प्रस्तावना में आचार्य विद्यानन्द के लिए इस्वी सन् आठवीं-नौवीं शताब्दी (ईस्वी सन् 783-841) का समय मान्य किया है आचार्य विद्यानन्द ने ईस्वी सन् 783-841 में श्रीपुर पार्श्वनाथ स्तोत्र की रचना की थी।
*अध्यात्मोन्मुखी आचार्य अमृतचंद्र के प्रेरणादायी प्रभावक चरित्र* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 147* 📝
*दुलीचंदजी दुगड़*
*धार्मिक वृत्ति*
दुलीचंदजी की धार्मिक वृत्ति क्रमशः वृद्धिंगत होती गई। युवावस्था से ही वे धर्म में रंग गए। जिस अवस्था को लोग आनंदोपभोग की अवस्था मानते हैं, उसको उन्होंने धर्मोंपयोग में व्यय किया। सामायिक, संवर, व्रत, उपवास, आदि में उनकी अच्छी अभिरुचि रहा करती थी। साधु-साध्वियों की सेवा तो मानो उनकी जीवन प्रेरणा बन गई। जब वे युवावस्था के मध्याह्न में पहुंचे तब उनकी पत्नी का देहांत हो गया। पारिवारिकों तथा अन्य लोगों ने भी उन्हें दूसरा विवाह कर लेने के लिए बहुत प्रेरित किया, परंतु उन्होंने स्पष्ट निषेध कर दिया और 32 वर्ष की भरी जवानी में आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत स्वीकार कर अपने धार्मिक जीवन के महल पर कलश चढ़ा दिया।
वे प्रकृति के बहुत सरल तथा मनमौजी व्यक्ति थे। खारापन तथा स्पष्टवादिता भी उनमें प्रचुर मात्रा में थी। फक्कड़ होने के साथ-साथ उनमें बात की पकड़ भी बहुत तेज थी। धर्म संघ के प्रति उनकी आस्था इतनी प्रगाढ़ हो गई थी कि उसे अद्वितीय कहना भी अत्युक्ति नहीं माना जाएगा। उनके जीवन काल में धर्म संघ पर अनेक प्रकार की विपत्तियां आईं। ऐसे प्रत्येक अवसर पर उन्होंने संघ को अपनी बहुमूल्य सेवाएं प्रदान कीं। धर्म संघ की प्रतिष्ठा को वे अपनी प्रतिष्ठा मान कर चलते थे। उस पर कहीं से भी किए जाने वाले किसी भी प्रकार के प्रहार को वे कभी सहन नहीं कर सकते थे। असह्य स्थितियों के समय दुर्बल व्यक्तियों के समान चुपचाप विष घूंट पी जाना उन्हें पसंद नहीं था। समय आने पर प्राणों की बाजी लगा देने का साहसी कदम उठाने वाले श्रावकों की गणना की जाए तो उसमें श्रावक दुलीचंदजी का नाम गिने-चुने प्रथम कोटि के कुछ व्यक्तियों में ही आएगा।
*जयाचार्य के समय में एक बार धर्मसंघ पर भारी विपत्ति आ पड़ी... श्रावक दुलीचंदजी द्वारा उस विपत्ति से सामना करने के लिए की गई सुरक्षा व्यवस्था* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 हासन: महासमिति अध्यक्ष ने 'हासन' में खोले 'अणुव्रत' के द्वार
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 नंजनगुड: महासमिति अध्यक्ष द्वारा अणुव्रत समिति की स्थापना
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
*आभा मंडल: वीडियो श्रंखला १*
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
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