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🌈 *20/05/2018 मुनि वृन्द एवं साध्वी वृन्द के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना* 🌈
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री धर्मरूचि जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*साहूकारपेट,चेन्नई*
☎ *8910991981*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा 2* *का प्रवास*
*जैन तेरापंथ सभा भवन*
no:5 thalaytham bazzar
*गुडियात्तम 632602*
(बेंगलुरु - चेन्नई हाईवे)
☎ 9602007283,9345910555
9488921371
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*राजाजीनगर,बेंगलुरु*
☎ *9448385582,*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
*श्रेयांस कुमार जी विनय कुमार जी सेठिया के निवास स्थान पर*
*No.78 A,Sannidhi Street,*
*तुरुवनन्नामलाई*
☎ *8107033307,9443222652,*
*9944770003*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ. मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*जैन स्थानक*
*Arkkonam*
☎ 9566296874,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री अर्हत कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
*रविन्द्र भारती विद्यालय,तालवालसा*
*(विजयनगरम- विशाखापट्टनम रोड)*
☎9665000605,7972426132
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*जैन स्थानक,पनीरसेल्वम*
*हॉस्पिटल के पास,*
*मेट्टूपालयम*
☎ *9629588016,7200690967*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*जैन स्थानक*
*आरकोणम*
☎ *8072609493*
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*संघ संवाद + संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितीय' ठाणा ५ का प्रवास*
*अशोक कुमार जी मुथा के निवास स्थान पर*
23 jayaram street
saidapet, ch-15
(Landmark: Near kalignar Arch)
☎ 7010319801,9841188345
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ भवन*
*तंडियारपेठ, चैनैइ*
☎ *7044937375,9841098916*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*विमल जी भंसाली के निवास स्थान पर*
*677/19-12th cross*
*M.C.layout*
*विजयनगर, बेंगलुरु*
☎ *9448278156,9845000312*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमलप्रज्ञा जी ठाणा 6 का प्रवास*
*तेरापंथ भवन-ट्रिप्लिकेन*
☎ *9051582096*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*हिमायतनगर, हैदराबाद*
☎9959037737
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*संध संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4 का प्रवास*
*अभिषेक जी सुराना*
29/A Ranganathan Avenue Road Opp Millers Road Kilpauk-Chennai-1
☎ *8428020772,9884700393*
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*शांतिलाल जी दुगड़ के निवास स्थान पर*
बजाज स्ट्रीट
*शोलिंगर*
☎ 8875762662
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या सुर्दशना श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*सिंधनूर*
☎ *8830043723*
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*महेंद्र जी नाहर के निवास स्थान पर*
*इकेगुड,मैसूर*
☎9348027915,
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी ठाणा 6 का प्रवास*
*राजकुमार जी कोटेचा के निवास स्थान पर*
*89-2nd phase,*
*Orchard layout*
*मीनाक्षी टेंपल के पीछे*
*बन्नेरघट्टा रोड बैगलौर*
☎ 7798028703,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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📲 *जितेन्द्र घोषल*: *9844295823*
📲 *मंजु गेलडा*: *9841453611*
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*प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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Sangh Samvad
News, photos, posts, columns, blogs, audio, videos, magazines, bulletins etc.. regarding Jainism and it's reformist fast developing sect. - "Terapanth".
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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 19 मई 2018
प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 153* 📝
*दुलीचंदजी दुगड़*
*छाती पर पैर रखकर*
डालगणी की लाडनूं से विहार कर देने की इच्छा थी, परंतु शरीर सहयोगी नहीं हो सका। उन्होंने संतों से कहा— "पैरों से चलकर तो अन्यत्र जा पाना संभव नहीं लगता, किंतु अगर झोली में उठाकर ले चलें तो सुजानगढ पहुंच जाएं।"
दुलीचंदजी ने डालगणी के मुख से ये शब्द सुने तो अपने पुत्र तोलारामजी को पुकार कर कहा— "तोलिया! जा घर के सभी बच्चों को यहां बुला ला। कल प्रातः ही आचार्यश्री के मार्ग में सो जाना होगा। सीधे से तो हम आचार्यश्री को जाने नहीं देंगे। यदि हमारी छाती पर पैर रखकर जाना चाहें तो चले जाएं।" आखिर डालगणी को अपना विचार बदलना पड़ा और वे नगर में पधार गए।
*क्या खा जाएंगे?*
डालगणी तेजस्वी आचार्य थे कि बड़े-बड़े श्रावक भी उन तक पहुंचने में घबराते थे, परंतु दुलीचंदजी को कोई घबराहट नहीं होती थी। वे निःसंकोच उनके चरणों तक पहुंच जाते। व्याख्यान में वे सबसे आगे की पंक्ति में बैठते और सामायिक करते समय अपने कपड़े उतारकर पाट के नीचे रख देते। उनकी पगड़ी से किसी का पैर लग जाए यह उन्हें किसी भी स्थिति में सह्य नहीं था।
एक बार लाडनू के ठाकुर आनंदसिंहजी व्याख्यान सुनने के लिए आए हुए थे। दुलीचंदजी कुछ देरी से आए। प्रतिदिन के स्वभावानुसार वे आगे आए तो किसी भाई ने उन्हें टोकते हुए कहा— "आगे तो आज ठाकुर साहब बैठे हुए हैं, अतः आप यहीं बैठ जाइए।" उन्होंने कहा— "क्यों आगे चले जाने पर क्या ठाकुर साहब खा जाएंगे?" वह भाई तो चुप हो ही गया ठाकुर साहब ने भी थोड़ा सरककर स्थान बनाते हुए कहा— "आओ, आओ दूलजी! यहां बैठो।" और वे सदा की भांति वहीं जाकर बैठ गए।
*घुटनों तक राज्य*
एक बार डालगणी लाडनूं की हवेली में बाहर वाले लंबे 'तिरबारे' के पूर्व मुखी कमरे में विराजमान थे। बाहर दरवाजे पर नव दीक्षित मुनि रणजीतमलजी को यह कहकर बिठाया था कि किसी भाई को अंदर मत आने देना। उसी समय दुलीचंदजी वहां आ गए। दर्शनार्थ अंदर जाने लगे तो मुनिश्री ने उनको रोकते हुए कहा— "अंदर जाने की मनाही है।" दुलीचंदजी ने कहा— साधुजी! कितने दिन हुए हैं आपको दीक्षित हुए? डालगणी से पूछा है या यों ही कोरा रोब गांठ रहे हैं? हमारा तो यहां घुटनों तक राज्य है। आप रोकने वाले कौन होते हैं?" फिर हंसते हुए कहा— "अच्छा अंदर जाकर पूछ आइए कि दूलजी को अंदर आने दूं या नहीं?" मुनि रणजीतमलजी ने अंदर जाकर डालगणी से पूछा तो उन्होंने कहा— "उनको रोकने की कोई आवश्यकता नहीं।"
*महान् आस्था*
वृद्धावस्था में दुलीचंदजी को साधारण सा पक्षाघात हो गया। परिवार वालों ने औषध लेने के लिए बहुत कहा परंतु उन्होंने किसी की भी बात नहीं मानी। औषध से उन्हें घृणा थी। एक दिन तो साध्वियां उनके घर गोचरी के लिए आईं तब उन्होंने उनको रोक लिया और कहा— "सतीजी! जाने से पहले यह बताओ कि मैं कब तक स्वस्थ हो जाऊंगा?" साध्वियां इस बात पर क्या उत्तर देतीं? उन्होंने आनाकानी की तो उन्होंने द्वार के सामने खड़े होकर मार्ग रोक लिया और कहा— "बतलाए बिना नहीं जाने दूंगा।" परिवार वालों ने टोका तो बोले— "तुम नहीं जानते, इनका वचन मेरे लिए अमृत बन जाएगा।" आखिर जब एक साध्वी ने कहा कि हमें ऐसा लगता है कि आप शीघ्र ही गुरु दर्शन कर सकेंगे तब कहीं उनको जाने के लिए मार्ग दिया। उनकी दृढ़ आस्था थी कि साधु-साध्वियों के मुख से कोई अनुकूल शब्द निकल जाएगा तो मैं बिना औषध के भी बिल्कुल ठीक हो जाऊंगा। वस्तुतः उनके श्रद्धा बल ने पूरा कार्य किया। कुछ ही दिनों में वे निरोग हो गए और पुनः पूर्ववत् आचार्यश्री के पास आने जाने लगे। कुछ वर्षों पश्चात् सम्वत् 1970 में उनका देहावसान हो गया।
*सूरत के श्रावक आनंदचंद भाई वकीलवाला के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगें... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 329* 📝
*सिद्ध-व्याख्याता आचार्य सिद्धर्षि*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
पुरातन प्रबंध संग्रह के अनुसार श्रीमालपुर के दत्त एवं शुभंकर दो भाई थे। उनका गोत्र श्रीमाल था। उनके बड़े भाई दत्त के पुत्र का नाम माघ एवं शुभंकर के पुत्र का नाम सीधाक था। सीधाक बाल्यकाल से द्यूतव्यसनी हो गया। कभी-कभी वह द्यूत में हारने पर अपने ही घर में चोरी करने लगा। पिता की संपत्ति से वह प्रच्छन्न द्रव्य खींचने लगा। इससे पारिवारिक सदस्य सीधाक से अप्रसन्न रहने लगे। जुए में हारने पर पांच सौ द्रमक अथवा उनके बदले अपना मस्तक देने के लिए वचनबद्ध होकर एक दिन सीधाक ने जुआ खेला।
उस दिन भाग्य ने सीधाक का साथ नहीं दिया। वह द्यूत में हार गया। उसके लिए पांच सौ द्रमक देने की बात कठिन हो गई। निशा में वह जुआरियों के मध्य सोया था। कपाट बंद थे। द्वार से निकलने का कोई रास्ता नहीं था। सीधाक अर्धरात्रि के आसपास उठा एवं प्रासाद भित्ति से छलांग लगाकर कूद गया। गहन अंधकार के बाद उषा का प्रकाश होता है। द्यूत में हारने के कारण सीधाक गहरे दुःख में था। मौत सिर पर नाच रही थी। संयोग से सीधाक के भित्ति से कूदते ही भाग्य पलट गया। भवन के पार्श्ववर्ती उपाश्रय में पहुंच गया। तीव्र धमाके से श्रमणों की नींद टूटी। उन्होंने सामने खड़े व्यक्ति को देखकर पूछा "तुम कौन हो?"
सीधाक ने अपना नाम बताया और बोला "आपके पास कुछ दातव्य है।" गुरु ने तथ्यम् कहकर सीधाक को स्वीकृति प्रदान की। सीधाक भय की मुद्रा में बोला "मुझे अल्प समय के लिए दीक्षा प्रदान करें।"
गुरु नक्षत्र एवं निमित्तज्ञान के ज्ञाता थे। उस समय शुभ नक्षत्र का योग था। इस समय में दीक्षित होने वाला व्यक्ति अत्यंत प्रभाविक होगा, यह सोचकर गुरु ने सीधाक को दीक्षित किया। प्रातः काल होते ही उपासकजन 'सीधाक' को मुनि के रूप में देख कर बोले "आर्य! क्या आप बिना योग्यता के जैसे-तैसे व्यक्ति को दीक्षित कर लेते हैं? क्या आप के शासन परिवार में योग्य व्यक्तियों की कमी हो गई है? क्या मुनि परिवार छोटा हो गया है?" सीधाक के दीक्षा गुरु गंभीर आचार्य थे। उन्होंने उत्तर नहीं दिया। मुनि सीधाक के पास उपदेशमाला ग्रंथ रखा हुआ था। मुनि सीधाक ने उसे पढ़ना प्रारंभ किया। शीघ्रग्राही प्रतिभा के कारण ग्रंथ के मुख्य स्थल उसे याद हो गए। उसकी शीघ्रग्राही प्रतिभा को देखकर गुरु प्रसन्न थे।
सीधाक की खोज करते हुए द्यूतकार धर्म स्थान पर पहुंचे। वे उससे 500 द्रमक लेने के लिए आए थे। उन्होंने श्रमणों से कहा "वे 'सीधाक' को छोड़ दें।"
श्रावक सीधाक के बदले 500 द्रमुक देने को प्रस्तुत हुए।
द्यूतकार बोले "आप लोगों ने इस पर विश्वास कैसे कर लिया? इसने हमें धोखा दिया है इसी प्रकार आप को भी धोखा दे सकता है।"
श्रावक वर्ग ने धैर्य से उत्तर दिया "यह 500 द्रमक के बदले यदि व्यसनमुक्त बनता है तो यह अच्छा कार्य है।" द्यूतकारों को भी श्रावकों की बात समझ में आ गई। वे सीधाक को श्रमण धर्म में प्रविष्ट जानकर 500 द्रमक लिए बिना उसे छोड़कर वहां से चले गए।
*प्रबन्धकोश में व्याख्यायित सिद्ध-व्याख्याता आचार्य सिद्धर्षि के जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम..
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "Devarapalli" पधारेंगे..
दिनांक: 19/05/2018
प्रस्तुति: 🙏🏻 *संघ संवाद* 🙏🏻
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
*आभा मंडल: वीडियो श्रंखला ६*
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
*- Preksha Foundation*
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संप्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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