21.01.2019 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 21.01.2019
Updated: 22.01.2019

Update

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🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन

👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला २२* - *भावनात्मक स्वास्थ्य और प्रेक्षाध्यान १२*

एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*

प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🌻 *संघ संवाद* 🌻

👉 रांची - "मेगा बल्ड डोनेशन कैम्प" का आयोजन
👉 मुम्बई - अणुव्रत समिति द्वारा नशा मुक्ति कार्यक्रम का आयोजन
👉 कालीकट - ज्ञानशाला वार्षिकोत्सव का आयोजन
👉 मोमासर - सेवाधाम श्री डूंगरगढ़ के बच्चों को कम्बल वितरित
👉 सरदारशहर - जैन संस्कार विधि से सामूहिक जन्मोत्सव
👉 बेंगलुरु - अणुव्रत समिति द्वारा नशामुक्ति कार्यक्रम का आयोजन
👉 बेहाला, कोलकाता - "भजनमंडली प्रतियोगिता" का आयोजन
👉 कटक - "What do Parents expect from their Children?" कार्यशाला का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 21 जनवरी 2019

प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻

*भाव भरा सादर आमंत्रण*
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🌈 *अक्षय तृतीया महोत्सव* 🌈
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एंव
😷 *जैन भागवती दीक्षा समारोह*😷
*दिनांक 7 मई 2019*
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🏢 *आचार्य प्रवर का ईरोड प्रवास 4 से 7 मई 2019*
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वर्षीतप रो पारणो
गुरु चरणां में धारणो
महोत्सव ओ सुहावणो
ससंघ ईरोड है पधारणो

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

📝अग्रिम बुकिंग हेतु संपर्क सूत्र:📝

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🏢 *आवास व्यवस्था* 🏢
👉8903605027
👉8903605527
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🚘 *यातायात व्यवस्था* 🚘
👉8300204928
👉8300204938
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🧙‍♂ *हेल्पलाइन*:9442327519

*WHATSAPP हेल्पलाइन*
*9080047221*
""""''''''''''''''''''"""""""""""''''''''''''''''''''''''"
*अक्षय तृतीया एवं दीक्षा महोत्सव* के उपलक्ष में पधारने वाले तपस्वी भाई बहन एवं सम्पूर्ण श्रावक समाज को समुचित आवास व्यवस्था उपलब्ध करवाने हेतु आवास बुकिंग का आज शुभारम्भ कर रहे है।
BOOKING FORM, RULES & REGULATIONS, HOTEL TARIFF CHART
*PDF लिंक*

https://drive.google.com/file/d/14YYc9i-Ibdu1W7QoCIgOwidclpM6wZY_/view?usp=sharing

""""""''''''"""""""""""""""""""''''""""'''""
सभी से सादर सविनय अनुरोध ईरोड अक्षय तृतीया एवं दीक्षा महोत्सव में आप जरूर पधारें और आने की अग्रिम सूचना हमें अवश्य सूचित करें ताकि उचित आवास व्यवस्था के साथ दर्शन सेवा का लाभ मिल सके
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
*आचार्य महाश्रमण अक्षय तृतीया प्रवास व्यवस्था समिति* *ईरोड*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*संप्रसारक: 🌻 संघ संवाद*🌻

Requisition Form Akshaya Tritiya and Diksha Mahotsav Erode 2019.pdf

Update

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 520* 📝

*समता-सागर आचार्य सागरानन्द*

*जीवन-वृत्त*

गतांक से आगे...

वैवाहिक संबंध होने के बाद सागरानन्द ने मुनि दीक्षा लेने का निर्णय किया। उनके इस कार्य में कई बाधाएं आईं। ससुराल वालों ने विरोध किया। स्थिति कोर्ट तक पहुंच गई, परंतु सागरानन्द अपने निर्णय में दृढ़ थे। दीक्षा ग्रहण के समय उनकी अवस्था 17 वर्ष की थी। दीक्षा नाम आनंदसागर रखा गया। ज्ञान के क्षेत्र में उत्तरोत्तर उत्कर्ष कर वे विद्यासागर बने।

उनको वीर निर्वाण 2430 (विक्रम संवत् 1960) में पन्यास पद तथा गणीपद और वीर निर्वाण 2444 (विक्रम संवत् 1974) में विमलकमलसूरि द्वारा आचार्य पद से अलंकृत किया गया।

सूरत में उनके नाम पर 'आनंद पुस्तकालय' अध्यात्म-साहित्यप्रधान विशाल पुस्तकालय है।

उन्होंने आगमोद्धार के लक्ष्य से उदयपुर, सूरत आदि शहरों में लगभग पन्द्रह समितियों की स्थापना की एवं आगमों को ताम्रपत्रों पर अंकित कराकर आगमवाणी को लंबे समय तक स्थायित्व प्रदान करने का कार्य किया। आचार्य सागरानन्द की इस प्रवृत्ति से उन्हें आगमोद्धारक उपाधि से विभूषित किया गया। उन्होंने अपने जीवन में अनेक सत्प्रयत्नों से जैन शासन की श्रीवृद्धि की।

*समय-संकेत*

सागरानन्द का स्वर्गवास कुछ वर्षों पहले हुआ है। आचार्य पद की प्राप्ति का समय वीर निर्वाण 2430 (विक्रम संवत् 1960) है। इस आधार पर वे वीर निर्वाण 25वीं (विक्रम की 20वीं) सदी के विद्वान् थे।

आगमोद्धार के लिए प्रयत्नशील रहने के कारण सागरानन्द की आगमोद्धारक आचार्य के रूप में प्रसिद्धि है।

*शुभचिंतक आचार्य श्रीलालजी के प्रभावक चरित्र* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡

📜 *श्रंखला -- 174* 📜

*लालचंदजी पारख*

*एक दुःख*

लालचंदजी पारख के सबसे छोटे भाई पांचीलालजी विवाह होने के डेढ़ वर्ष पश्चात् ही गुजर गए। उनकी पत्नी झमकू बाई के लिए तो वह असह्य दुःख था ही, परंतु लालचंदजी ने भी अपनी बाल्यावस्था के पश्चात् वही एक बड़ा पारिवारिक दुःख देखा था।

भारतीय समाज में विधवा स्त्री का व्यक्तित्व परिवार में प्रायः समाप्त सा हो जाता है। पहले जैसी न उसकी कोई पूछ रहती है और न सम्मान ही। वह एक अपशकुन समझी जाने लगती है। पति का अभाव उसके लिए सब सम्मानों और अधिकारों का अभाव बन जाता है। लालचंदजी ने झमकूबाई के लिए वैसा नहीं होने दिया। यद्यपि वे सबसे छोटी बहू थीं, फिर भी उन्होंने घर की व्यवस्था में उनको ही मुख्य बना दिया। घर में किसी भी वस्तु का लेना-देना तथा मंगाना या भेजना उन्हीं से पूछ कर किया जाने लगा। उन्हें कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि उस घर में उनका कोई नहीं है। कालांतर में विराग प्राप्त कर झमकूबाई ने दीक्षा ग्रहण कर ली। आगे चलकर वे तेरापंथ के समग्र साध्वी संघ की प्रमुखा महासती झमकूजी के नाम से प्रसिद्ध हुईं।

*वृद्ध विद्यार्थी*

लालचंदजी श्रद्धा में बहुत सुदृढ़ थे, परंतु व्यापार आदि कार्यों की व्यस्तता में तत्त्वज्ञान प्रायः नहीं सीख पाए। वृद्धावस्था में जब वे प्रायः चूरू में ही रहने लगे तब उन्हें अपनी वह कमी खटकने लगी। अन्य व्यक्ति बाल्यावस्था से दो चार कदम आगे धरते ही जहां सीखने की अवस्था को समाप्त हुआ समझ लेते हैं, वहां लालचंदजी ने सत्तर वर्ष की अवस्था में तत्त्वज्ञान सीखने का निर्णय किया। परिश्रमी और दृढ़ संकल्पी होने के कारण उस अवस्था में भी उन्होंने अपना पूरा बल तत्त्वज्ञान सीखने में लगा दिया। पच्चीस बोल पहले सीखे हुए थे, उन्हें पक्का किया और चर्चा, तेरह द्वार तथा प्रतिक्रमण आदि नए सीखे।

*धार्मिक वृत्ति*

लालचंदजी की धार्मिक वृत्ति बहुत अच्छी थी। श्रावक के बारह व्रत धारे हुए थे। श्रावकोचित अन्य प्रत्याख्यान भी प्रायः स्वल्पाधिक थे। परिणामों में उज्ज्वलता और भद्रता थी। हर किसी की भलाई करने में तत्परता रहती थी। चूरू में रहते तब यदि साधु-साध्वियों का विराजना होता तो तीनों समय जाते। साधु-साध्वियों के अभाव में भी घर पर कम से कम छह सामायिक तो प्रतिदिन कर ही लेते। कलकत्ता में होते तब एक सामायिक तो प्रतिदिन करते ही, उससे अधिक कभी-कभी ही कर पाते। चातुर्मास में प्रतिवर्ष चोला, पंचोला आदि कोई एक थोकड़ा अवश्य करते।

अपने बच्चों में धार्मिक संस्कार जागृत करने में वे पूर्ण सजग थे। बच्चों की शैतानियां से परेशान होकर जहां अन्य व्यक्ति उन्हें अपने साथ ले जाने से बचते हैं, वहां वे बच्चों को प्रतिदिन दर्शनार्थ अपने साथ ले जाते। उनका घर साधुओं के निवास-स्थान से काफी दूर पड़ता था। मार्ग में जो समय लगता उसका भी पूरा-पूरा उपयोग कर लेने में वे कभी नहीं चूकते थे। उसी समय में उन्होंने बच्चों को प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा करके पच्चीस बोल और चर्चा पूर्ण रूप से कंठस्थ करा दिए।

*श्रावक लालचंदजी पारख के अन्तिम समय* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi

👿 *च्यार कषाय निवारनैं ए, पालै छ तैरा बोल कै ।* ☝
🌪 *परिषह सहन में ए, सुर गिर जेम अडोल कै।।*⛰
🙏 *एहवा गुरु म्हांयरै ए ।।*🙏
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🙏 *पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ प्रातःविहार करके "पेटृवईतलैई" पधारेंगे..*
🛣 *आज प्रातःकाल का विहार लगभग 12 कि.मी. का..*

⛩ *आज दिन का प्रवास: रतना हायर सेकेंडरी स्कूल, पेटृवईतलैई (T. N.)*
*लोकेशन:*
https://goo.gl/maps/LUPJmhR6Jdz

🙏 *साध्वीप्रमुखा श्री जी विहार करते हुए..*
👉 *आज के विहार के कुछ मनोरम दृश्य..*

दिनांक: 21/01/2019

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