Update
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Amritapuri,
Parayakadavu
(Kerala)
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*परम पूज्य गुरुदेव*
*अमृत-देशना*
*प्रदान करते हुए*
🎁
*मुख्य प्रवचन*
*के कुछ*
*विशेष दृश्य*
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*दिनांक:*
*11 मार्च 2019*
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*प्रस्तुति:*
🌻 *संघ संवाद* 🌻
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Source: © Facebook
News in Hindi
🎡 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम
⛩ *प्रवास स्थल व प्रवचन स्थल*
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Main Darshan Hall
Mata Amritanandamayi Math Main Rd, Amritapuri, Parayakadavu, Kerala 690546
🌎 *लोकेशन______________*
https://maps.app.goo.gl/Bwsgm
👉 *दिनांक - 11 मार्च 2019*
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद*🌻
Source: © Facebook
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रृंखला -- 205* 📜
*ताराचंदजी पुगलिया*
*श्रीडूंगरगढ़ में*
ताराचंदजी का जन्म समंदसर (जिला बीकानेर) के निवासी रावतमलजी पुगलिया के घर विक्रम संवत् 1931 पौष कृष्णा 10 को हुआ। गांव में रहने के कारण आजीविका का मुख्य स्रोत खेती था। मोटा खाना, मोटा पहनना और सादगी से रहना। यह भारतीय गांवों में बसे लोगों की संस्कारगत विशेषताएं थीं। पशुधन की अल्पता या बहुलता उनकी आर्थिक विपन्नता या संपन्नता की द्योतक हुआ करती थी। पुगलिया परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य कोटि की ही थी। विक्रम संवत् 1960 में वह परिवार श्रीडूंगरगढ़ में बस गया। वहां आने के पश्चात् उस परिवार को साधु-साध्वियों के संपर्क से धार्मिक क्षेत्र में प्रगति करने का अवसर प्राप्त हुआ। ताराचंदजी ने इस अवसर का अच्छा लाभ उठाया। उनकी श्रद्धाशीलता का स्वर्ण तत्त्वज्ञान के मणि-संयोग से देदीप्यमान हो उठा।
*आर्थिक प्रगति*
थली के अन्य ओसवाल परिवारों की तरह पुगलिया परिवार ने भी अन्य प्रांतों में जाकर व्यापार करने की योजना बनाई। वहां के अधिकांश लोग बंगाल को अपना कार्यक्षेत्र बना रहे थे, परंतु ताराचंदजी ने बिहार के छातापुर में अपना कार्य प्रारंभ किया। सर्वप्रथम खुदरा दुकान के रूप में उन्होंने कपड़ा, जूट और घई बेचना प्रारंभ किया। उसमें अच्छा लाभ प्राप्त हुआ। तब साहबगंज (बिहार) में दूसरी दुकान की। उसमें मुख्यतः जूट का ही कार्य किया गया। फिर तो फारबिसगंज, मुरलीगंज आदि बिहार के तथा डुमणी, डुमार और कलकत्ता आदि बंगाल के विभिन्न स्थानों पर नया कार्य प्रारंभ कर दिया गया। प्रत्येक दुकान पर अच्छा लाभ प्राप्त हुआ, अतः आर्थिक प्रगति के लंबे डग भरते हुए वे शीघ्र ही धनिक परिवारों की श्रेणी में आ गए। उस समय उनके परिवार में धन और धर्म में परस्पर प्रगति की मानो एक होड़ लगी हुई थी।
प्रमुख श्रावक ताराचंदजी धार्मिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने वाले जितने अच्छे व्यापारी थे, उतने ही धार्मिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने वाले एक अच्छे श्रावक भी थे। शासन की प्रत्येक अपेक्षित सेवा के लिए वे सदैव उद्यत रहते थे। आचार्य श्री कालूगणी के युग में वे उनके विश्वसनीय श्रावकों में से एक थे। आचार्यश्री की सेवा में तो प्रतिवर्ष उनका समय लगा ही करता था, परंतु साधु-साध्वियों की सेवा में भी वे उतनी ही तत्परता से भाग लेते थे।
बंगाली डॉ. अश्विनीकुमार को बंगाल से श्रीडूंगरगढ़ लाने का श्रेय ताराचंदजी को ही है। उन्हीं के कारण वे साधु-साध्वियों के संपर्क में आए और फिर एक श्रेष्ठ श्रावक बन गए। उनके द्वारा अनेक साधु-साध्वियों को रोग मुक्त होने का अवसर मिला। स्वयं आचार्यश्री कालगणी की अंतिम अवस्था में उन्होंने जो सेवाएं की थीं वे अविस्मरणीय थीं। इससे जाना जा सकता है कि ताराचंदजी व्यक्ति की परख करने में बहुत निपुण थे।
*सहयोगदाता*
दूसरों को सहयोग देने में ताराचंदजी सदैव आगे रहते थे। धनी और मान्य व्यक्ति होने पर भी जहां आवश्यकता होती वहां वे स्वयं चले जाने में कोई संकोच नहीं करते। किसी के यहां भोज आदि का कार्य होता और वहां उस कार्य की समुचित संभाल करने वाला कोई व्यक्ति नहीं होता तो वे स्वयं उस कार्य को संभालकर पूरा करवा देते। वे जिस कार्य को हाथ में लेते फिर उसके विषय में किसी को चिंता करने की आवश्यकता नहीं रह जाती।
विक्रम संवत् 1985 द्वितीय श्रावण शुक्ला 8 को उनका देहावसान हो गया।
उनके निधन से समाज का एक अद्वितीय सहयोगी व्यक्ति उठ गया तो धर्म संघ का एक निपुण श्रावक।
*लाडनूं के महत्त्वपूर्ण श्रावकों में से एक दबंग व्यक्तित्व के धनी डायमलजी नाहटा के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रृंखला -- 551* 📝
*अमृतपुरुष आचार्य श्री तुलसी*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
जनकल्याण की दृष्टि से आपने 34 वर्ष की अवस्था में अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया। अनुव्रत एक नैतिक आचारसंहिता है। जाति, लिंग, भाषा, वर्ण, वर्ग, संप्रदाय आदि से ऊपर उठकर यह आंदोलन अपना काम कर रहा है।
*"संयमः खलु जीवनम्"* अर्थात *"संयम ही जीवन है"* इस आंदोलन का उद्घोष है। अणुव्रत सर्वोदय है। वह सब के उदय की बात कहता है। वह मांग रहा है—
🔸 नारी समाज से शील और सादगी,
🔸 व्यापारियों से प्रामाणिकता और इमानदारी,
🔸 पूंजीपतियों से करुणा और विसर्जन,
🔸 राज्य-कर्मचारियों से सेवा और त्याग,
🔸 नेताओं से सिद्धांत-निष्ठा और मर्यादा,
🔸 धार्मिकों से सहिष्णुता और समन्वय।
अणुव्रत सब का है इसलिए इसे सब का समर्थन है।
राजस्थान विधानसभा द्वारा पारित अणुव्रत प्रस्ताव और उत्तरप्रदेश विधानसभा द्वारा प्रशंसित सरकारी समर्थन इस आंदोलन की प्रियता के उदाहरण हैं।
नैतिक अभियान की मशाल को कर में थामे आचार्य श्री तुलसी ने लगभग एक लाख किलोमीटर की पदयात्रा की। गांव-गांव में नैतिकता का दीप जलाया। घर-घर में अध्यात्म की लौ प्रज्वलित की।
आचार्य श्री तुलसी के प्रयत्नों से अणुव्रत की आवाज गरीब की झोपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक पहुंची। लक्षाधिक व्यक्तियों ने अणुव्रत दर्शन का अध्ययन और सहस्रों व्यक्तियों ने अणुव्रत के नियमों को स्वीकार किया। यह आंदोलन राष्ट्रीय चरित्र के रूप में समादृत हुआ।
स्वर्गीय राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, आचार्य विनोबा भावे, सर्वोदय नेता जयप्रकाश नारायण, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, डॉ, जाकिर हुसैन एवं डॉ संपूर्णानंद आदि शीर्षस्थ नेताओं ने इस अभियान की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री ने कहा "आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन के रूप में हमें एक चिराग दिया है। एक ज्योति दी है। उसे लेकर हम अनैतिकता के तिमिराच्छन्न वातावरण में नैतिक पथ प्राप्त कर सकते हैं।"
भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई ने कहा "राष्ट्रीय चरित्र निर्माण और उन्नयन की दिशा में अणुव्रत एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।"
अणुव्रत आंदोलन की कल्याणकारी भावना ने जन-जन को प्रभावित किया। सैकड़ों कार्यकर्ता इस आंदोलन की भी प्रचार-प्रसारात्मक प्रवृत्तियों के साथ जुड़े हुए हैं। देशभर में एक नैतिक वातावरण बना है। बहुत से व्यसनी व्यक्ति व्यसन मुक्त होकर आनंदमय स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। मिलावट विरोधी अभियान, मद्यपान निषेध, संस्कार निर्माण आदि आयोजनों द्वारा सभी वर्गों में वैचारिक क्रांति हुई।
*अमृतपुरुष आचार्य श्री तुलसी द्वारा मानवता धर्म प्रचार व जैन समन्वय की दिशा में महान् अवदानों* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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श्री वी डी एस डी गौतम कुमार सेठिया (तिरुवन्नामलाई) के 🏫 तमिलनाडु राज्य अल्पसंख्यक आयोग में सदस्य के रूप में मनोनीत होने पर हार्दिक बधाई।💐
🌻 संघ संवाद परिवार आपके सफल कार्यकाल की मंगलकामना करता है।🌻
🔆 संघ संवाद बोर्ड 🔆
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🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂
🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन
👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला ७०* - *स्वभाव परिवर्तन और प्रेक्षाध्यान १६*
एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*
प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
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🌻 *संघ संवाद* 🌻