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*दिव्य दिवाकर, शील शुभंकर, तुमसा ही कहलाए ।*
*श्रमणों में भी विरला ही कोई, महाश्रमण बन पाए ।।*
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*ज्योतिचरण बढे बैंगलोर की ओर*
*शेष दिन - 88....*
*निवेदक:- आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति बैंगलोर*
*प्रस्तुति - अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़ 15 अप्रैल 2019*
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