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स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर परम पूज्य आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज का हम सबको गौरवान्वित और कर्तव्यबोध कराता हुआ संदेश।
कल हमारा राष्ट्रीय पर्व है स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन के पावन पर्व के साथ भगवान श्रेयांशनाथ जी का मोक्ष कल्याणक भी।
विष्णुकुमार मुनि ने अकंपनाचार्य के 700 मुनियों के संघ का उपसर्ग दूर कर रक्षा की और सम्यग्दर्शन के वात्सल्य अंग में प्रसिद्ध हुए।
राष्ट्रीय ध्वज फहराएं, पूजा कर रक्षाबंधन पर्व मनाएं, रक्षा सूत्र बांध धर्म की रक्षा का संकल्प लें, और भगवान श्रेयांशनाथ के निर्वाण महोत्सव पर लाडू चढ़ाएं।
टीम ज्ञानवाणी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं।
आज दिनांक 14 अगस्त कॊ तिजारा में श्री चन्द्र प्रभु दि. जैन कन्या महाविद्यालय में पूज्य आचार्य श्री 108 ज्ञान सागर जी मुनिराज ससंघ के पावन सानिध्य में स्वतंत्रता दिवस समारोह
का आयोजन....
ब्रम्हचारी अनीता दीदी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आप सभी जैसा चाहे वैसा जीवन बना सकते है,आपकी सोच अगर अच्छी नहीं है तो आप जीवन को अच्छा नहीं बना सकते आप चाहे तो अपने जीवन मै गुलाब की खुशबू भिखेर सकते हो,और आप चाहो तो अपने जीवन मै कांटो की चुभन बिखेर सकते हो, आप सभी की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है आप चाहो तो घर को स्वर्ग बना सकती हो आप चाहो तो नरक बना सकती हो इतना ही नहीं आप सभी के उन्नत कंधो पर ही इस देश का भविष्य टिका है अतः आप सभी सभ्य,सुसंस्कारीत,चारित्रनिष्ठ,क्रतव्यनिश्ठ एवम् अनुशासित रहे।
ऐसे कोई कार्य ना करे जिससे मा - पिता का नाम बदनाम हो,उनकी आज्ञा का पालन करना आपका प्रथम कर्तव्य है।इसी के साथ पूज्य श्रे के व्यक्तित्व - कृतित्व का परिचय दिया!
आचार्य श्री ज्ञान सागर जी मुनिराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि आप सभी छात्राओं के ऊपर ही देश का भविष्य टिका है। परिवारों की शोभा मात्र छात्रों से ही नहीं छात्राओं से भी है। 15 अगस्त स्वतंत्रतादिवस के दिन ही इस बार रक्षा बंधन पर्व है किस तरह ये देश स्वतंत्र हुआ था सभी को ज्ञात है, कितने देश भक्तो ने इस देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान किया है यह किसी से छुपा नहीं है।परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़कर 15 अगस्त 1947 को यह देश स्वतंत्र हुआ था। चंद्रशेखर, आजाद, भगतसिंह, महात्मा गांधी आदि सभी ने इस देश की स्वतंत्रता के लिए कितनी कितनी यातनाएं सहन की,कितने घर बेघर हो गए, कितनो के बच्चे रोते बिलखते नजर आए यह सभी को ज्ञात है । वात्सल्य का पर्व रक्षा बंधन पर्व सभी को प्रेम वात्सल्य का पाठ पढ़ाने आया है।
इतिहास की दृष्टि से अनेक कारण है रक्षा बंधन पर्व के, परन्तु जैन धर्म के अनुसार रक्षा बंधन पर्व के दिन मुनि श्री विष्णु कुमार जी ने 700 मुनिराजो की रक्षा की थी । मात्र भाई की कलाई पर या एक दूसरे की कलाई पर रक्षासूत्र बांधना रक्षा बंधन पर्व नहीं है।अपितु एक दूसरे के प्रति कर्तव्य निष्ठ होना जरूरी है जब जब एक दूसरे को सहयोग की अपेक्षा हो एक दूसरे की भावना को पूरी करे तभी रक्षा बंधन पर्व मनाना सफल/सार्थक होगा ।
इसी के साथ छात्रों को प्रेरित किया कि भोजन के समय टीवी ना देखे मोबाइल पास मै ना रखे अपने अपने मोबाइल 10-11 बजे के बाद बंद करदे ताकि अनिंद्र की बीमारी और मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन से ग्रसित ना हो।माता पिता से कोई बात न छिपाए जिन्होंने आपको यह तक लाकर खड़ा किया है,उनकी आज्ञा का पालन करे,उनको धोका न दे, तभी आप सुसंस्कारी त कहलाएंगे ।
शिक्षा का उद्देश्य मात्र डिग्री प्राप्त करना नहीं है । शिक्षा का उद्देश्य चरित्र निर्माण करना है।कर्तव्य की ज्योति जलानी है।जीवन को प्रामाणिक ईमानदार बनाना है।मात्र अ से अनार,आ से आम वाली वर्णमाला याद न करे,अ से अदब करना सीखे,आ से आत्मविश्वास जगाये तो निश्चित आपका जीवन महान बन सकता है इस विद्यालय ने जो विकास किया है आगे भी वो विकास करता रहे ताकि श्री चंद्र प्रभु के नाम की सार्थकता हो सके अंत मे शिक्षको से भी अपेक्षा रखी कि आप सभी छात्रोंओ को समय समय पर नीति वाक्य, अच्छी अच्छी सूक्तियां बताये,ताकि छात्राये हमेशा सुसंस्कारित रहे आप सभी वेतन के लिए नही वतन के लिए जिये!
आचार्य सुमति सागर नीलय का उदघाटन आचार्य श्री के सानिध्य मैं हुआ ।
महाविद्यालय संरक्षक नरेंद्र जैन ने बताया कि इस माहविद्यालय का निर्माण 2005 मैं आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज की प्रेरणा से ही करवाया गया ।