Updated on 30.08.2022 20:03
तप अनुमोदनाशांतिनगर,बेंगलुरु - श्रीमती शर्मिला जी भंसाली के 28 की तपस्या गतिमान
प्रस्तुति : 🌻 *संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
Updated on 30.08.2022 15:56
🙏 परम् पूज्य गुरुदेव के सान्निध्य में..🙏📯 पर्युषण महापर्व का सातवां दिन *"ध्यान दिवस"*
⛩️ छापर। आचार्यश्री ने ‘ध्यान दिवस के संदर्भ में जनमेदिनी को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि शरीर में जो स्थान मस्तक का होता है, वृक्ष में जो स्थान मूल का होता है उसी प्रकार सर्व साधु धर्म में ध्यान का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। इस दौरान आचार्यश्री ने प्रेक्षाध्यान के कई प्रयोग चतुर्विध धर्मसंघ को कराए। पूरा प्रवचन पण्डाल ध्यानमग्न नजर आ रहा था।
⛲ *‘भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा’* के क्रम को आचार्यश्री ने आगे बढ़ाते हुए कहा कि भगवान महावीर का बाइसवां भव विमल राजा के रूप में जीवन जीया था। तेइसवां भव मनुष्य के रूप में चक्रवर्ती बनकर जीया। 24वां जन्म सातवें देवलोक में होता है। 25वें भव में नन्दनराजा के रूप में हुआ और अंत में आत्मा के कल्याण के लिए आगे बढ़े और मुनि दीक्षा स्वीकार कर राजर्षि नन्दन बन गए। एक लाख वर्ष उनका संयम पर्याय रहा। इस दौरान उन्होंने 11 अंगों का अध्ययन किया। उन्होंने कठोर तपस्या करते हुए निरंतर मासखमण किया। उन्होंने ग्यारह लाख साठ हजार मासखमण कर लिए। उनका यह जीवन तीर्थंकर बनने का निर्णायक जीवन रहा। अंत में दो माह के अनशन के साथ मृत्यु को प्राप्त होकर दसवें देवलोक में उत्पन्न हुए। वहां का आयुष्य पूर्ण कर अपने 27वें भव में गण्डक नदी के तट पर स्थित वैशाली के उपनगर ब्राह्मणकुण्ड गांव में रहने वाले ऋषभदत्त ब्राह्मण की पत्नी देवानंदा के गर्भ में आत्मा ने प्रवेश किया। बाद में देवताओं द्वारा गर्भ का संहरण कर ब्राह्मणी की कुक्षी से क्षत्रीयकुण्ड के राजा सिद्धार्थ की पत्नी त्रिशला के गर्भ में स्थापित कर दिया गया। त्रिशला ने 14 महास्वप्न देखे। माता को कष्ट न पहुंचे इसके लिए गर्भस्थ शिशु का हलन-चलन बंद करना, माता का क्रन्दन, पुनः शिशु का हलन-चलन प्रारम्भ करना और गर्भ में शिशु का संकल्प कि माता-पिता के रहते दीक्षा नहीं लूंगा। चैत्र शुक्ला त्रयोदशी की अर्द्धरात्री को त्रिशला के गर्भ से शिशु का जन्म हुआ। पूरे राज्य में खुशहाली बनाई गई। बारह दिन बाद नामकरण के अवसर पर वर्धमान नाम रखा गया।
⛲ साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी ने ध्यान से होने वाले अनेक लाभों का वर्णन किया। मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी ने ‘ब्रह्मचर्य’ धर्म के संदर्भ में सुमधुर गीत का संगान किया। साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने ‘ब्रह्मचर्य’ धर्म को व्याख्यायित किया। साध्वी विमलप्रभाजी ने ध्यान दिवस पर आधारित गीत का संगान किया। मुनि केशीकुमारजी ने भगवान पार्श्वनाथ के जीवनवृत्त का वर्णन किया।
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⏳ 30 अगस्त 2022
🌻 *संघ संवाद* 🌻
Updated on 30.08.2022 10:47
👉 इचलकरंजी - मासखमण के साथ 15 अठाई व अठाई से ऊपर तप का प्रत्याख्यानप्रस्तुति : 🌻 *संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
Updated on 30.08.2022 08:28
#आचार्य_महाश्रमण_सुविचारSource: © Facebook
Posted on 30.08.2022 00:33
#acharya_mahashraman_quotesSource: © Facebook
🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂
🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन
👉 *#प्रेक्षावाणी : श्रंखला - ८०३* ~
*#प्राण_ऊर्जा_का_संवर्धन - १२*
एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लें
देखें, जीवन बदल जायेगा, जीने का दृष्टिकोण बदल जायेगा।
प्रकाशक
#Preksha #Foundation
Helpline No. 8233344482
📝 धर्म संघ की सम्पूर्ण एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
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🌻 #संघ #संवाद 🌻
#vibe #day3 #riseagain
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