जसोल 19/07/2011 (तेरापंथ समाचार ब्योरो के लिए) आगम साहित्य का अक्षय कोष है। उसके स्वाध्याय से आत्मोदय के रहस्य प्राप्त किए जा सकते हैं। भाव विशोधि के लिए आगम की शरण लेनी चाहिए। स्थानीय तेरापंथ भवन में आचार्य तुलसी की मासिक पुण्यतिथि कार्यक्रम में बोलते हुए मुनि मदन कुमार ने ये विचार व्यक्त किए। मुनि मदन कुमार ने मुनि ने कहा कि आचार्य तुलसी ने आगम संपादन का कार्य कर जैन शासन की अपूर्व सेवा की। अणुव्रत को युग धर्म बताते हुए मुनि मदन कुमार ने कहा कि व्रत निष्ठा से ही व्यक्ति श्रेष्ठ बनता है। समता का जीवन ही प्रेरक होता है। मुनि ने कहा कि जिसमें प्रवर सहिष्णुता होती है वह सिद्ध योगी बन जाता है। आचार्य भिक्षु और तुलसी ने विरोध को विनोद में बदलकर अमित आत्म बल का परिचय दिया था। कार्यक्रम में मुनि कोमल कुमार व शांतिप्रिय ने भी विचार व्यक्त किए। प्रवचन के दौरान मुनि मदन कुमार के सानिध्य में 60 बालक-बालिकाओं को दीक्षा दी गई। इस अवसर पर संपतराज चौपड़ा, सुरेश बुरड़, विक्रम सालेचा, सुरेश भंसाली, जेठमल बुरड़ व धनपत संकलेचा सहित कई श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे। |