ShortNews in English
Karmavas: 20.04.2012
Acharya Mahashraman inspired people to be simple. Follow truth in life. Admit mistakes. Religion stays in pure heart.
News in Hindi
धर्म शुद्ध ह्वदय से होता है: आचार्य महाश्रमण
प्रस्तुति - संजय मेहता
करमावास (समदड़ी)।
धर्म के क्षेत्र में, अध्यात्म की साधना में ऋजुता का बड़ा महत्व है।जो व्यक्ति ऋजु होता है,वह पाप से बच सकता है।निर्वाण वह व्यक्ति प्राप्त करता है,जिसके जीवन में धर्म होता है।धर्म शुद्ध ह्वदय में होता है।जहां कथनी सम होती है,वहीं भाषा व कायिक ऋजुता होती है।तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण ने रविवार को अहिंसा यात्रा के तहत गांव करमावास में आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए यह बात कही।इससे पूर्व उनके संतवृदों के साथ पैदल यात्रा कर गांव पहुंचने पर बीच मार्ग में ग्रामीणों ने उनका स्वागत किया।दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
उन्होंने कहा कि झूठ बोलना पाप है।कष्टयुक्त झूठ बोलना बड़ा पाप है।माया युक्त झूठ भी बड़ा पाप माना जाता है।साधु को कष्ट सह लेना चाहिए,लेकिन माया से बचना चाहिए।भूल की कभी पुनरावृति नहीं होनी चाहिए।भूल का स्वीकार करना भी किए हुए दोष पर चोट करना है।भूल को स्वीकार करना बड़प्पन है।शिष्य को गुरू के सामने ऋजुता रखनी ही चाहिए।
इसके अलावा अन्य व्यक्तियों के साथ ऋजुता का व्यवहार करना चाहिए।मानव जन्म में भूल हो सकती है,परंतु भूल की पुनरावृति जाने अनजाने में भी नहीं करनी चाहिए।भूल का परिष्कार होने पर ही जीवन का विकास होता है।मुनि उदित कुमार ने कहा कि आलस्य व प्रमाद को त्याग कर पुरूषार्थ करें।व्यक्ति पराक्रम पुरूषार्थ करें तो वह जीवन में धर्माराधना करता हुआ भी कर्मो की निर्जरा कर सकता है।
उपासक हनुमान व हंसराज छाजेड़ ने श्रद्धाभाव व्यक्त किए। श्रेष्ठा श्रुताधारक मुनि महावीर ने जीवन है सच्चा धर्म का साथी व महिला मण्डल समदड़ी ने गुरूदेव को अनुग्रह का हम पूरा लाभ उठावें गीत की प्रस्तुती देकर सभी को भावविभोर कर दिया। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के सहमंत्री हनुमान लूंकड़ ने आचार्य को तेरापंथ के दशम अधिशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ की पुण्य तिथि पर तेरापंथ टाइम्स का विशेषांक भेंट किया।धर्म सभा का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।