ShortNews in English
Sivana: 20.04.2012
Acharya Mahashraman told that unity give strength. You become powerful by strong organization. Discipline is necessary for good organization.
News in Hindi
सिवाना.
प्रस्तुति - संजय मेहता. जैन समाज तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने बुधवार को कुशीप गांव में अहिंसा यात्रा के प्रवेश पर आयोजित धर्मसभा में कहा कि संगठन की महता व वर्तमान युग में अन्य वार्यता के लिए संघ का व्यवहार जगत में महत्व होता है। व्यापारिक जगत में जहां संगठन है वहां शक्ति होती है, इसलिए संगठन को मजबूत बनाए रखें। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि धर्म संघ अध्यात्म से जुड़ा हुआ संघ होता है। उसमें आने वाले लोग मिलकर साधना करते हंै। इसके साथ संगठन में अनुशासन की आवश्यकता भी होती है। आचार्य ने कहा कि सभी मनुष्य महत्वाकांक्षी हो जाए तो राष्ट्र के लिए संकट खड़ा कर सकते हैं। यहीं बात धर्म संगठन के लिए लागू होती है। अहंकार की प्रगाढ़ता महत्वाकांक्षा होने पर संगठन को खतरा हो जाता है। तेरापंथ धर्म संघ में एक नेतृत्व प्रणाली का उल्लेख करते हुए महाश्रमण ने कहा कि आचार्य भिक्षु अपने प्रज्ञा बल अनुभव बल से तत्कालीन संगठनों की स्थिति से प्रेरणा व अनुभव प्राप्त कर उनकी खामियों को संगठन में पनपने नहीं दिया। उन्होंने संगठन को एक आचार्य की व्यवस्था प्रदान की जिसे जयाचार्य ने और ज्यादा सुव्यवस्थित किया। आचार्य ने कहा कि व्यक्ति स्थायी नहीं होता है पर संगठन चिरस्थायी हो सकता है। इसलिए व्यक्ति की ओर से शासन का हित हो सके ऐसा प्रवास करना चाहिए। कठिनाई भोगकर भी संघ विमुख होने को सपना भी मन में नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि शासन के संचालन का मुख्य दायित्व शासनाधीश का होता है, वे परम सम्मानीय व्यक्ति होते हैं। शासन के सरताज को अन्य की अपेक्षा बहुत कुछ सहना भी पड़ता है। आचार्य शासन के प्रतीक होते हैं और आचार्य की आशा का भी बड़ा महत्व है। वे साधु-साध्वियां साधुवाद के पात्र हैं जो गुरू आज्ञा को शिरोधार्य करते हंै। श्रावक-श्राविकाएं भी गुरू इंगित को शिरोरत्न मानकर स्वीकार करते हैं। अपेक्षा है कि ऐसे संस्कार पुष्ट बने रहे। मंत्री मुनि सुमेरमल ने आलस्य त्याग कर जागरूक रहने की प्रेरणा देते हुए कहा कि वहीं व्यक्ति मंजिल पाता है जो आलस से दूर रहता है। जो जागरूक नहीं है, उन्हें मार्ग मिल भी जाए फिर भी गति और प्रगति नहीं हो सकती और मंजिल नहीं मिल सकती। कार्यक्रम के प्रारंभ में चंपालाल गुलेच्छा, रायचंद सालेचा, जेठूूसिंह ने आचार्य के स्वागत भाव प्रकट किए। कुशीप ग्रामवासियों एवं श्रावक-श्राविकाओं की ओर से आचार्य महाश्रमण व साधु-साध्वी वृंदों का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम के अंत में साध्वी राजवती की स्मृति सभा में चार लोकस्य का ध्यान करवाया। साध्वी के परिवार से हेमराज सायसुखा परिवार की बहिनों व मोहनलाल उपासक ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर ठाकुर हुकमसिंह खींची, मीठालाल सालेचा, जयंतीलाल, रतनचंद, गणपतसिंह खींची, संजयसिंह खींची, शैतानसिंह, जसोल चातुर्मास समिति अध्यक्ष जसराज बुरड़, महामंत्री शांतिलाल एम भंसाली, सोहन भुताणी, लक्ष्मीचंद, बाबूलाल चौपड़ा, जगदीश बोकडिय़ा उपस्थित थे। मंच का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया। आचार्य महाश्रमण आज मूठली में: अहिंसा यात्रा को लेकर शांतिदूत तपस्वी महाश्रमण अपनी धवल वाहिनी सेना के साथ गुरुवार को मूठली गांव में प्रवेश करेंगे। मुनि दिनेश कुमार ने बताया कि गुरुवार सवेरे यात्रा का अभिवंदन व आचार्य के प्रवचन का आयोजन होगा।