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संयम से जीवन बनता है पवित्र: आचार्य श्री
जसोल(बालोतरा) २५ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण ने व्यक्ति को धर्मयुक्त व्यवहार रखने की प्रेरणा देते हुए कहा कि धर्म भी एक कला है, जिसे आदमी को सीखना चाहिए। आदमी 72 कलाओं में कुशल बन जाता है, परंतु वह धर्म की कला नहीं जानता तो वह अपंडित है। आचार्य ने कहा कि अणुव्रत एक जीने की कला है। छोटे-छोटे नियम जीवन में आने पर जीवन अच्छा बन जाता है। उन्होंने कहा कि जिस आदमी के जीवन में त्याग व संयम की चेतना नहीं है, उस व्यक्ति के जीवन में धर्म की कमी है। संयम होने से जीवन पवित्र बनता है। आचार्य ने कहा कि धर्म ऐसा तत्व है, जिससे आदमी पुराने कर्मों को काट भी सकता है और संयम भी करता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति किसी को कष्ट न दें। किसी का भी अपमान न करें।
हम सभी मिलकर करें प्रयास:
आचार्य ने जसोल में प्रवेश के साथ ही एक संकल्प किया था। नशामुक्त जसोल का। आचार्य ने इसके संदर्भ में कहा कि नशामुक्ति का लाभ पूरे जसोल वासियों को मिलना चाहिए। हम सभी को नशामुक्ति के कार्य में मिलकर सलक्ष्य प्रयास करना है। इस कार्य के लिए साधु, साध्वियां, समणियां और जरूरत होने पर स्वयं यह काम करुंगा। आचार्य ने प्रेरणा देते हुए कहा कि आदमी संयम को स्वीकार करें। गुस्से को छोड़ें व शांति के साथ रहें। इससे उसका जीवन धन्य हो सकता है। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि मनुष्य का जीवन चेतनामय है। मनुष्य में सोचने के साथ करने की क्षमता है। इसलिए व्यक्ति स्वयं समर्थ बने, स्वयं पुरुषार्थ करें। सोच के साथ कार्य भी करें और आध्यात्मिक जीवन अपनाएं और नशे की प्रवृत्ति से दूर रहें।
36 कौम ने की क्षमायाचना:
आचार्य से 36 कौमों के साथ अन्य सामाजिक संस्थाओं की ओर से खमतखामणा के क्रम में अणुव्रत की ओर से मोहनलाल खंडेलवाल, लॉयन्स क्लब की ओर से कांतिलाल ढेलडिय़ा, लघु उद्योग मंडल की ओर से डूंगरचंद सालेचा, अणुव्रत की तरफ से भूपतराज कोठारी ने खमतखामणा की। रावल किशनसिंह ने अपने भाव अभिव्यक्त करते हुए आचार्य ने खमतखामणा की। कवि खींवराज प्रदीप ने आचार्य तुलसी को समर्पित गीत की प्रस्तुति दी। तेयुप मंत्री जितेन्द्र सालेचा ने मां की व्यथा कविता से मातृभक्ति का आह्वान किया। आचार्य को रावल किशनसिंह, ओम बांठिया, भूपत कोठारी, मूलचंद सालेचा, भंवरलाल भंसाली, प्रवास व्यवस्था समिति संयोजक गौतम सालेचा, मनोहरलाल भाटी, डूंगरराम बोगू ने कृतज्ञता पत्र उपह्रत किया।
पुस्तक सौंपी:
आचार्य महाप्रज्ञ का संस्कृत स्त्रोत काव्य पुस्तक 'एक अनुशीलन' जो डॉ. समणी संगीत प्रज्ञा की ओर से लिखी गई है, को मोलेला के बाबूलाल बोहरा ने आचार्य को उपह्रत की। समणी निर्मलप्रज्ञा ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी।
मैत्री दिवस पर 36 कौमों व सामाजिक संस्थाओं ने की खमत खामणा