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समारोह में खरतरगच्छाधिपति श्री जिनमणिप्रभसागरसूरिजी महाराज ने सभा को संबोधित करते हुए कहा- परमात्मा महावीर ने संघ की महिमा का गान किया है। संघ को कल्पवृक्ष और कामधेनु की उपमा दी है। संघ की प्रगति के मूल में समर्पण छिपा है। जिस संघ के लोग अपने संघ और उसकी मर्यादा के प्रति प्रामाणिक रूप से समर्पित रहते हैं, वह संघ दिन दूनी और रात चौगुनी प्रगति करता है। आज हम परम सौभाग्यशाली हैं कि परमात्मा महावीर को 2500 वर्ष जितना लम्बा समय व्यतीत हो जाने पर भी उनकी वाणी हमारे पास है। जिनवाणी से बडी दूसरी कोई संपदा नहीं है। यह आचार्यों की परम्परा का उपकार है।
Shri Khartar Gachchh Mahasammelan