Chobisi ►21 ►Stavan for Bhagwan Naminatha

Published: 15.04.2016

Chobisi is a set of 24 devotional songs dedicated to the 24 Jain Tirthankaras.


Composed by:

Dedicated to:


Acharya Jeetmal
 

Language: Rajasthani:
 

21~~तीर्थंकर नमि प्रभु

प्रभु नमिनाथजी मुझ प्यारा रे।
मुझ प्यारा प्राण आधारा।

नमिनाथ अनाथां रा नाथो रे,नित्य नमण करुँ जोड़ी हाथो रे।
कर्म काटण वीर विख्यातो, प्रभु नमिनाथजी मुझ प्यारा रे।।१।।

प्रभु ध्यान सुधारस ध्याया रे, पद केवल जोड़ी पाया रे।
गुण उत्तम-उत्तम आया,प्रभु नमिनाथजी मुझ प्यारा रे।।२।।

प्रभु बागरी वाण विशालो रे,खीर-समुन्द्र थी अधिक रसालो रे ।
जगतारक दिनदयालो,प्रभु नमिनाथजी मुझ प्यारा रे।।३।।

थाप्या तीरथ च्यार जिनिन्दो रे,मिथ्या -तम हरण मुनिन्दो रे।
ज्यांनैं सेवत सुर -नर वृन्दो,प्रभु नमिनाथजी मुझ प्यारा रे।।४।।

सुर अनुत्तर विमाण नां सेवै रे,प्रश्न पुछ्यां उत्तर जिन दैवै रे।
अवधिज्ञान करी जाण लेवै, प्रभु नमिनाथजी मुझ प्यारा रे।।५।।

तिन्हा बैठे ते तुम ध्यान ध्यावै रे,तुम योग -मुद्रा चित चावै रे।
ते पिण आपरी भावना भावै, प्रभु नमिनाथजी मुझ प्यारा रे।।६।।

उगणीसै आसोज उदारो रे,कृष्ण चौथे गाया गुणधारो रे।
हुवो आणंद हर्ष अपारो,प्रभु नमिनाथजी मुझ प्यारा रे।।७।।

 


Bhagwan Naminatha



Symbol - Blue Lotus


       

21

Stavan for Bhagwan Naminatha

 

Acharya Tulsi

5:32
Babita Gunecha 3:42

Language: Hindi
Author: Acharya Tulsi

 अर्थ~~21~~तीर्थंकर नमि प्रभु

नमिनाथ प्रभो! तुम अनाथों के नाथ हो ।मैं बद्धांजलि हो तुम्हे नित्य प्रणाम करता हूँ। तुम कर्म- बंधन को छिन्न करने के लिए सुप्रसिद्ध वीर हो।

तुमने अमृतरसमय ध्यान किया और केवल-युगल (केवलज्ञान और केवलदर्शन) प्राप्त कर लिया ।तुम्हारे जीवन में उत्तम -उत्तम गुण प्रकट हुए।

जगतारक दीनदयाल!तुमने विशाल वाणी में देशना दी।वह तुम्हारी वाणी  क्षीर-समुन्द्र से भी अधक रसमय थी।

तुमने मिथ्यात्व रूपी अंधकार को दूर करने के लिए चार तीर्थ(साधू,साध्वी,श्रावक,श्राविका) स्थापित किये।देव और मनुष्य -समूह तुम्हारी उपासना करते है।

अनुत्तर विमान के अहमिन्द्र देव तुम्हारी उपासना करते है वे वहाँ बैठे-बैठे प्रश्न करते है, तुम उन्हें उत्तर देते हो।वे अवधिज्ञान द्वारा उसे जान लेते है।

वे वहां बैठे-बैठे तुम्हारा ध्यान करते है।तुम्हारी योगमुद्रा को अन्तः करण से चाहते है।वे तुम्हारी भावना से भावित हो जाते है।

मैंने प्रभु के गुण गाये, इससे मुझे अपार आनन्द और हर्ष हुआ।

रचनाकाल-वि. सं.१९००, आश्विन कृष्णा चतुर्थी।

English Translation:

21st Tirthankara Naminatha

Lord Naminatha! You are the protector of orphans. I beseechingly bow before you everyday. You are the eminent mighty, who diminishes the snare of Karma.

You did the meditation of delightful ambrosia and attained the pair of Keval - Keval Gyan and Keval Darshan. Transcendental merits appeared in your life.

Mighty saviour of universe! Merciful! You gave sermons in a magnificent voice, which was more delightful than the Ksheer Samudra (the ocean which has very delicious and sweet water or milk).

You founded four Tirtha (Sadhu, Sadhvi, Shravak and Shravika) to dispel the obscurity of Mithtatva. Manushya and Deva groups worship you.

Deities of Anuttar Vimana (The top heaven), Ahmindra also worship you. They interrogate from there, being seated only, you respond to them which they understand by Avadhi Gyan.

They cherish you being seated there only. They like your Yoga posture by conscience. They become fanciful in your idolum.

I have glorified the God, I got a shoreless rejoice by this.

Time of Composing: V.S 1900, 4th day of Krishna Ashwin.

Sources
Project: Sushil Bafana
Text contributions:
Rajasthani & Hindi: Neeti Golchha
English: Kavita Bhansali
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Terapanth
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. Acharya
          2. Acharya Jeetmal
          3. Acharya Tulsi
          4. Ahmindra
          5. Avadhi Gyan
          6. Babita Gunecha
          7. Chobisi
          8. Darshan
          9. Deva
          10. Gyan
          11. Karma
          12. Kavita Bhansali
          13. Keval Darshan
          14. Keval Gyan
          15. Krishna
          16. Manushya
          17. Meditation
          18. Neeti Golchha
          19. Rajasthani
          20. Sadhu
          21. Sadhvi
          22. Shravak
          23. Shravika
          24. Stavan
          25. Sushil Bafana
          26. Tirtha
          27. Tirthankara
          28. Tirthankaras
          29. Tulsi
          30. Yoga
          31. कृष्ण
          32. केवलज्ञान
          33. तीर्थंकर
          Page statistics
          This page has been viewed 2426 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: