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अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति
तेरापंथ के ‘रवि’ ने रविवार को युवाओं का आध्यात्मिक पथ किया आलोकित
-वार्षिक सम्मेलन के अंतिम दिन आचार्यश्री से प्रेरणा पाकर नई ऊर्जा से ओतप्रोत हुए युवा
-आचार्यश्री ने युवाओं को शनिवार को सामायिक वार बनाने का किया आह्वान
-अधिवेशन के अंतिम दिन युवा गौरव सहित अन्य पुरस्कारों का हुआ वितरण
-युवाओं ने भी निरन्तर संघ और संघपति की सेवा का लिया संकल्प
18.09.2016 गड़ल (असम)ः जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता महातपस्वी व देदिप्यमान ‘रवि’ आचार्यश्री ने महाश्रमणजी ने रविवार को अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के 50वें वार्षिक सम्मेलन (त्रिदिवसीय) के अंतिम दिन रविवार को युवाओं का आध्यात्मिक पथ आलोकित किया। युवाओं को उत्प्रेरित करने के साथ ही जीवन जीने की कला, परिवार, समाज और राष्ट्रहित में कुशल कार्य करने का इंगित भी प्रदान कर दिया। युवाओं ने भी अपने एकादशम अधिशास्ता का पावन पाथेय और मार्गदर्शन प्राप्त कर अपने भीतर नई ऊर्जा, चेतना का अनुभव किया। इस दौरान संगठन के पदाधिकारियों ने जहां अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी तो वहीं संगठन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को विभिन्न अलंकरण भी प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया गया। आचार्यश्री ने सभी को पावन आशीष प्रदान किया।
तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान पथप्रदर्शक आचार्यश्री महाश्रमण जी ने प्रवचन पंडाल में उपस्थित युवाओं को संयम की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद का 50वां वार्षिक अधिवेशन और तीसरा दिन। आज के अत्याधुनिक और भौतिकवादी युग में बढ़ते टेलीफोन, कम्प्यूटर, टीवी और अनेक वस्तुओं के बावजूद इस संगठन से जुड़े कार्यकर्ता कुछ समय के लिए उनके दुष्प्रभावों से बच सकते हैं। संस्था के माध्यम से युवाओं में कुछ संयम और आध्यात्मिकता का भी यथासंभव विकास हो सकता है। युवाओं को आचार्यश्री ने शनिवार को सामायिक वार के रूप में परिवर्तित करने का आह्वान करते हुए कहा कि आज का युवा अपने कार्यों के साथ यदि शनिवार को सायं सात से आठ बजे के बीच सामायिक करने आरम्भ करे तो एक मुहूर्त आध्यात्मिकता के विकास हो सकता है। हालांकि संगठन के युवा इस विषय में अपनी ओर से प्रयास भी करते होंगे। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा गत एक सितम्बर को अभिनव सामायिक का अनूठा प्रयोग कर एक लाख से अधिक सामायिक कर जो आध्यात्मिक कीर्तिमान स्थापित किया उसे आचार्यश्री ने सराहा। अधिवेशन में यदि एक सत्र सामायिक हो जाए तो अधिवेशन की सार्थकता और भी अच्छी हो सकती है। युवा अपने जीवन में आध्यात्मिकता के विकास के साथ ही अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास का भी ध्यान रखें और अपनी शक्ति और क्षमता का यथोचित प्रयोग कर निरंतर उत्थान करने का प्रयास करें। आचार्यश्री ने युवाओं द्वारा धार्मिक कार्यों के समय निकालने जाने को भी एक दान बताते हुए कहा कि अपने साथ-साथ आने वाली पीढ़ी अर्थात् किशोरों में भी अच्छे विचारों का रोपण कर उनका जीवन मार्ग प्रशस्त करने का प्रयास करना चाहिए। परिवार में अच्छी शांति रहे, इसके लिए युवा इस विषय पर विशेष ध्यान देकर परिवार में अच्छी शांति स्थापित कर सकते हैं। युवाओं की शक्ति किसी को आध्यात्मिक सामधि देने वाली बने मंगलकामना।
आचार्यश्री ने 50वें वार्षिक सम्मेलन को अपनी विशेष अवगति प्रदान करते हुए कहा कि कोई संस्था यदि अपनी 50 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेती है तो उसमें एक स्वर्णिम प्रकाश आ जाता है। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद धर्मसंघ की एक शक्तिशाली संस्था है, खूब आध्यात्मिक विकास करे, और खूब अच्छा कार्य करे, मंगलकामना।
चन्दन पाण्डेय
आचार्यश्री ने रविवार को जैन धर्म के 32 आगमों में एक दसवेंआलियं के दसवें अध्ययन में वर्णित संयम शब्द को व्याख्यायित करते हुए कहा कि आदमी को जीवन में संयम रखन का प्रयास करना चाहिए। वह संयम हाथ, पैर, वाणी, दृष्टि या मन का भी हो सकता है। संयमित जीवन जीने वाला व्यक्ति सुखी हो सकता है। आदमी अपनी इन्द्रियों को वश में करने का प्रयास करे। वाणी को संयमित रखने के लिए एक दिन मंे कुछ देर मौन रहने का प्रयास करे। यदि मौन न रह सके तो उसे बेकार की बातें न करने का संकल्प करना चाहिए। इसके अलावा अपनी दृष्टि का संयम करे, जिह्वा का संयम करे। संयम को आध्यात्मिक जगत में एक अमूल्य निधि कहा गया है। आदमी को इस अमूल्य निधि को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने रात्रिकालीन में यथासंभव स्वयं उपस्थित होकर रामायण का पाठ करेंगे।
युवाओं के भावना अभिव्यक्ति से आरम्भ हुआ कार्यक्रम
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के युवाओं का आरम्भ हुआ। श्री पंकज डागा और सहयोगियों ने ‘जवानों जागो जग को जगाना है’ का गीत का संगान किया। अभातेयुप के उपाध्यक्ष श्री राजेश जम्मड़ ने अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति के साथ ही परिषद द्वारा प्रदान किए जाने वाले पुरस्कारों की घोषणा की। युवा गौरव का पुरस्कार वर्तमान में तेरापंथी महासभा के महामंत्री श्री प्रफुल्ल बेताला और श्री राजेश सुराणा को प्रदान किया गया। श्री हनुमान लूंकड़ को आचार्य महाप्रज्ञ प्रतिभा पुरस्कार तो श्री सूर्यप्रकाश श्यामसुखा को आचार्य महाश्रमण युवा व्यक्तित्व पुरस्कार से सम्मानित किया। पुरस्कार प्रदान करने वालों में मुख्य रूप में अभातेयुप के उपाध्यक्ष श्री राजेश जम्मड़, आचार्य महाश्रमण चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री विमलकुमार नाहटा, महामंत्री सुपारसमल बैद, तेयुप गुवाहाटी अध्यक्ष श्री बजरंग सुराणा, सहित अन्य गणमान्य लोगों ने पुरस्कार प्रदान किए।
पुरस्कार प्राप्त जनों आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति और उनसे पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके साथ ही बैंगलोर तेयुप टीम को विशिष्ट संगठन पुरस्कार, चेन्नई टीम को विशिष्ट संस्कार पुरस्कार, बैंगलोर की विजयनगर टीम को विशिष्ट सेवा तथा कोलकाता परिषद को सर्वश्रेष्ठ पुस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के महामंत्री श्री विमल कटारिया ने किया। अंत में आचार्यश्री ने सभी पर अपनी विशेष आशीष वृष्टि करते हुए कहा कि अभातेयुप द्वारा कई लोगों को सम्मानित किया गया है। वे सभी व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से आध्यात्मिकता का विकास करें, मंगलकामना।
चन्दन पाण्डेय
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