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69वां अणुव्रत स्थापना दिवस
अणुव्रत किसी धर्म सम्प्रदाय से बंधा हुआ नहीं: मुनिश्री किशनलाल
1 मार्च 2018, हांसी।
देशभर में आज के दिन सभी सभा संस्थाएं अपने स्तर पर अणुव्रत स्थापना दिवस मनाती है। इसी श्रृंखला में हांसी के तेरापंथ सभा भवन में प्रेक्षाप्राध्यापक ‘शासनश्री’ मुनिश्री किशनलालजी के सान्निध्य में 69वां अणुव्रत स्थापना दिवस मनाया गया।
कार्यक्रम में अणुव्रत समिति हांसी के अध्यक्ष अशोक जैन, सभा अध्यक्ष दर्शन जैन, पूर्व अध्यक्ष डालचन्द जैन, आचार्य तुलसी कल्याण केन्द्र के अध्यक्ष शुभाष जैन, लाजपतराय जैन, अशोक जैन, विजेन्द्र जैन, रमेश खेड़ीवाले, महिला मण्डल अध्यक्षा श्रीमती सरोज जैन, श्रीमती रमा जैन, श्रीमती शिल्पा जैन, श्रीमती सुमन जैन आदि अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।
अणुव्रत स्थापना दिवस पर मुनिश्री किशनलालजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि कोई भी क्रांति वर्तमान परिप्रेक्ष्य में होती है किंतु आचार्य तुलसी युगदृष्टा थे उन्होंने पहले ही कल्पना कर ली आचार्य तुलसी ने देश की आजादी के साथ ही सन् 1949 को अणुव्रत आचार संहित बनाई।
मुनिश्री ने आगे कहा कि अणुव्रत किसी धर्म सम्प्रदाय से बंधा हुआ नहीं है। धर्म केवल मंदिर, मस्जिद, उपाश्रय में नहीं होना चाहिए धर्म हमारे जीवन व्यवहार में आना चाहिए। धर्म व्यक्ति के जीवन में ईमानदारी, नैतिकता, सदाचार, अहिंसा, चरित्र का निर्माण होना चाहिए जो अणुव्रत की आचार संहिता में है। घर-परिवार में रहने वाले परस्पर प्रेम, सौहार्द से रहते हैं, एक दूसरे का परस्पर सहयोग, सम्मान करते हैं, नैतिकता का पालन करते हैं वही धार्मिक परिवार हो सकता है।
इससे पूर्व मुनि निकुंज कुमार ने कहा कि अणुव्रत आज भी इतना प्रासंगिक है आचार्यश्री महाश्रमणजी की अहिंसा यात्रा में भी अणुव्रत के तीन बिन्दुओं, सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति के उद्देश्यों के साथ चल रही है, अणुव्रत आज हर समाज व्यक्ति के लिए आवश्यक है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्री लाजपतराय जैन ने कहा कि आज अणुव्रत छोटे से पौधे से वटवृक्ष बन गया है। अणुव्रत छोटे-छोटे नियमों की आचार संहिता है, गृहस्थों के लिए अणुव्रत की आचार संहिता ही मर्यादा है, समय स्थिति भौगोलिकता को देखते हुए पांच नियम अपने जीवन में अपना लें तो हिंसा की वृत्तियों पर अंकुश लगा सकते हैं। कार्यक्रम का प्रारंभ तेरापंथ महिला मण्डल के मंगलाचरण से हुआ।
- अशोक सियोलGoogle Translate English:
69th Foundation of Equatorial Foundation
Nirvrat is not tied to any religion: Munishri Kishan Lal
March 1, 2018, Hansi
Today, in the country, all the gathering bodies celebrate the atomic foundation day at their level. In this series, the 69th anniversary establishment day was celebrated in the epic of 'GanasShree' Munishri Kishanlalji, an observatory in the Thrapanthanth Sabha Bhavan in Hansi.
The program was attended by Ashutosh Jain, Chairman of the Committee of Hrishi, Ashok Jain, Assembly Speaker Darshan Jain, Former President Dalchand Jain, Chairman of Acharya Tulsi Kalyan Kendra, Shubhash Jain, Lajpat Rai Jain, Ashok Jain, Vijendra Jain, Ramesh Khediwale, Women's Chairperson Mrs. Saroj Jain, Mrs. Rama Jain, Mrs. Shilpa Jain, Mrs. Suman Jain etc. many dignitaries were present.
On Kisan Lalji, on the occasion of Atavrutta Foundation Day, said that any revolution was in the present perspective but Acharya Tulsi was the eruditionist. He had already envisioned Acharya Tulsi with the independence of the country, in the year 1949, he organized the atomic code.
Munishri further said that the atomic body is not tied to any religion. Religion should not be only in temple, mosque, recluse, religion should come in our life. Religion should be built in the life of the person, honesty, ethics, virtue, non-violence, character, which is in the code of atomic code. The mutual love, family living in the house, live together with harmony, mutually cooperate, respect each other, abide by ethics, and have a religious family.
Prior to this Muni Nikunj Kumar said that Anuvrat is still so relevant today. In Achharyashree Mahishmanji's non-violence visit, three points of atomic energy is running with the objectives of goodwill, morality, disobedience, atomic energy is essential for every society person today.
While conducting the program Shri Lajpatrai Jain said that today the atomic body has become a tree planted with small plants. Inheritance is the code of conduct of small rules, the Code of Conduct for the household is the only limit, while considering the situation of geography in time, adopting five rules in their lives can curb violence. The program was started from the Mangalacharan of the Teerapanth Mahila Mandal.
- Ashok Seoul