Updated on 25.01.2024 01:09
अनुभव के बोल (१३)तथाकथित संन्यासियों की विशेषज्ञता
✍🏻 आचार्य महाप्रज्ञ
🪡 हमारे सामने एक बड़ी समस्या यह है कि लोग वह विषय भी हमारे सामने रख देते हैं, जो हमारा विषय नहीं है और जिसके बारे में हम कुछ नहीं कर सकते। कुछ लोग कहते हैं कि हमारे कोई संतान नहीं है। भविष्य के लिए हम बेसहारा हैं। इस विषय में हम क्या कह सकते हैं? हम तो शील और संयम की बात करते हैं। यह विषय तो डॉक्टर और ज्योतिषी का है।
🪡 लेकिन समस्याग्रस्त आदमी यह नहीं देखता और समझता कि समस्या किसके सामने रखी जाए? वह तो अपनी पीड़ा और दुःख को किसी के भी सामने रखकर अपने दुःख को थोड़ा हल्का कर लेना चाहता है।
🪡 साधु-सन्यासी आजकल समस्याग्रस्त लोगों से फायदा उठाने लगे हैं। तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक, टोना-टोटका, गंडा-ताबीज, हर तरह के उपाय काम में लिए जा रहे हैं। इसके लिए बाकायदा विज्ञापन दिए जा रहे हैं, जिनमें इन विद्याओं के विशेषज्ञ होने का दावा किया जा रहा है।डॉक्टरी क्षेत्र में नीम-हकीमों का "शर्तिया इलाज" और धर्म के क्षेत्र में धंधेबाजों का "चमत्कार" बहुत तेजी से फैल रहा है। दुःखी और परेशान आदमी बड़ी जल्दी इन तथाकथित "विशेषज्ञों" के चंगुल में फांस जाता है। परिणाम? निराशा के सिवाय और कुछ नहीं। होश आता है, लेकिन गांठ की जमा-पूंजी गंवाने के बाद।
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Posted on 23.01.2024 20:19
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