Jhini Charcha was written by Acharya Jeetmal. It contains macro things of metaphysics. Jain Terms like Leshya, Bhav, Gunsthan, Yog, Upyog have been discussed on basis of different Agam. He composed it in the form of poetry in an easy Rajasthani language.
Noted Singer Babita Gunecha has presented it in a melodious voice.
Jhini Charcha book contains 22 Dhal (Collection of 22 Poems) .
Dhal 8 Stanza 12 to 22
ढाल 8 पद्य 12 से 22
शुभयोग -अशुभयोग : भाव और आत्मा
१२. सुभ जोग किसो भाव किसी आतमा? च्यार भाव1 चित चाय हो।
उपशम वरजी ने च्यार भाव छे, आतम जोग सुहाय हो।।
शुभ योग कौन-सा भाव और कौन-सी आत्मा है? वह चतुर्भावात्मक है— औपशमिक भाव को छोड़कर शेष चार भावात्मक है तथा आत्मा योग है।
१३. असुभ-जोग किसो भाव किसी आतमा? दोय भाव दुखदाय हो।
उदै भाव परिणामीक कहिये, आतम जोग कहाय हो।।
अशुभ योग कौन-सा भाव है और कौन-सी आत्मा है? वह द्विभावात्मक है- औदयिक और पारिणामिक भाव है तथा आत्मा योग है।
१४. विरत किसो भाव किसी आतमा? उदे बरजी चिहुं पाय हो।
उपशम खायक खयोपशम चारित्र, आत्मा चारित्र थाय हो।।
व्रत कौन-सा भाव हे और कौन-सी आत्मा है? वह ओदयिक भाव को छोड़कर शेष चार भावमय है। औपशमिक, क्षायिक और क्षायोपशमिक चारित्रमय होने के कारण वह चारित्र आत्मा है।
१५. अविरत किसो भाव किसी आतमा? उदै परिणामीक ताय हो।
आत्मा अनेरी अविरत कहिये, आठां मांहि नहिं आय हो।।
अव्रत कौन-सा भाव और कोन-सी आत्मा है? वह द्विभावात्मक है— ओदयिक और पारिणामिक। वह अन्य आत्मा है। आठ आत्माओं में अव्रत नाम की कोई आत्मा नहीं है, इसलिए वह अन्य आत्मा- अव्रत आत्मा है।
१६. बारे व्रत किसो भाव किसी आतमा? दोय भाव कह्या जिनराय हो।
खयोपशम भाव ने परिणामीक छे, आत्मा चारित्र में आय हो।।
बारह व्रत कोन-से भाव हैं और कौन-सी आत्मा है? वे द्विभावात्मक हैं— क्षायोपशमिक और पारिणामिक। आत्मा चारित्र के अन्तर्गत देश-चारित्र है।
१७. पंच महाव्रत किसो भाव किसी आतमा? उदे बरजी चिहुं पाय हो।
उपशम खायक खयोपशम चारित्र, आत्मा चारित्र सोभाय हो।।
पांच महाव्रत कौन-से भाव हैं और कौन-सी आत्मा है? वे औदयिक भाव को छोड़कर चतुर्भावात्मक हें। औपशमिक, क्षायिक और क्षायोपशमिक चारित्रमय होने कें कारण चारित्र आत्मा हैं।
१८. सम्यक्त किसो भाव किसी आतमा? उदे बरजी ने चिहं पाय हो।
उपशम खायक खयोपशम सम्यक्त, आत्मा दर्शण दीपाय हो।।
सम्यक्त्व कौन-सा भाव है और कौन-सी आत्मा है? वह औदयिक भाव को छोड़कर शेष चतुर्भावात्मक है। औपशमिक, क्षायिक और क्षायोपशमिक सम्यकू दृष्टिमय होने के कारण वह दर्शन आत्मा है।
ज्ञान-दर्शन, भाव और आत्मा
१९. ज्ञान किसो भाव किसी आतमा? तीन भाव जिन वाय हो।
खायक खयोपशम परिणामीक छे, आतम उपयोग ज्ञान थाय हो।।
ज्ञान कौन-सा भाव है और कोन-सी आत्मा है? जिन वाणी के अनुसार वह त्रिभावात्मक है - क्षायिक, क्षायोपशमिक और पारिणामिक। वह उपयोग ओर ज्ञान आत्मा है।
२०. अज्ञान किसो भाव किसी आतमा? दोय भाव कह्या जिनराय हो।
खयोपशम भाव ने परिणामीक छे, आतम उपयोग थाय हो।।
आज्ञान कौन-सा भाव और कौन-सी आत्मा है? वह द्विभावात्मक कहा गया है - क्षायोपशमिक और पारिणामिक। वह उपयोग आत्मा है।
२१. च्यार ज्ञान किसो भाव किसी आतमा? दोय भाव देखाय हो।
खयोपशम भाव परिणामीक छे, आतम उपयोग ज्ञान थाय हो।।
चार ज्ञान (मति, श्रुत, अवधि और मनःपर्यव) कौन-से भाव हें और कौन-सी आत्मा है? वे द्विभावात्मक हैं - क्षायोपशमिक और पारिणामिक। बे उपयोग और ज्ञान आत्मा हैं।
२२. केवलज्ञान किसो भाव किसी आतमा? दोय भाव दीपाय हो।
खायक भाव परिणामीक छे, आतम उपयोग ज्ञान थाय हो।।
केवलज्ञान कोन-सा भाव है और कौन-सी आत्मा है? वह द्विभावात्मक है— क्षायिक और पारिणामिक। वह उपयोग और ज्ञान आत्मा है।