Jhini Charcha was written by Acharya Jeetmal. It contains macro things of metaphysics. Jain Terms like Leshya, Bhav, Gunsthan, Yog, Upyog have been discussed on basis of different Agam. He composed it in the form of poetry in an easy Rajasthani language.
Noted Singer Babita Gunecha has presented it in a melodious voice.
Jhini Charcha book contains 22 Dhal (Collection of 22 Poems) .
Dhal 9 Stanza 45 to 57
ढाल 9 पद्य 45 से 57
वंदनीय, निंदनीय
४५. वंदनीक छे किसी आतमा? चारित्र एक गिणायो जी।
निंदनीक छे किती आतमा? दर्शण जोग कषायो जी।।
कोन-सी आत्मा वन्दनीय है? एक चारित्र आत्मा वन्दनीय है। कितनी आत्मा निन्दनीय हैं? दर्शन, कषाय और योग -ये तीन आत्माएं निन्दनीय१ हैं?
४६. गुणग्राम किती आत्मा नां करणां? षट् आत्मा नां करणां जी।
द्रव्य कषाय नां गुण नहिं करणां, निपुण विचारे निरणां जी।।
कितनी आत्मा का गुणगान करना चाहिए? छह आत्माओं का गुणगान करना चहिए। द्रव्य और कषाय इन दो आत्माओं का गुणगान नहीं करना चाहिए। निपुण मति वाले इस निर्णय पर विचार करें।
आत्मा एक, रूप अनेक
४७. उपयोग-लखणी किसी आतमा, द्रव्य आत्मा ने केणी जी।
उपयोग लखण है द्रव्य-आतमा, तिण सूं तिण ने लेणी जी।।
उपयोग लक्षण वाली कौन-सी आत्मा है? द्रव्य आत्मा है। क्योंकि द्रव्य आत्मा का लक्षण उपयोग है। इसलिए उपयोग लक्षण वाली वही हो सकती है।
४८. लखण सहित छै किसी आतमा? द्रव्य एक दिल धारो जी।
अन्य आत्मा पोते इज लखण, तिण सूं तास निवारो जी।।
कौन-सी आत्मा लक्षण-सहित है? एक द्रव्य आत्मा लक्षण-सहित है। अन्य आत्माएं स्वयं लक्षण हैं-लक्षणी नहीं हैं। इसलिए उन्हें लक्षण-सहित नहीं मानना चाहिए।
४९. सप्रदेशी अप्रदेशी कुण हे? आठूई सप्रदेशी जी।
जीव तणां प्रदेश सहित छे, तिण ने सप्रदेशी कहवेसी जी।।
कौन-सी आत्मा सप्रदेश है और कोन-सी आत्मा अप्रदेश है? आठों आत्माएं सप्रदेश हैं। सभी आत्माएं जीव के प्रदेशों से युक्त हैं, इसलिए वे सप्रदेश कहलाती हैं।
५०. किसी आतमा विणसे छे जी, कुण नहि विणसै सोयो जी।
द्रव्य आत्मा तो अंस न विणसे, विणसै सात सुजोयो जी।।
कौन-सी आत्मा विनष्ट होती है और कौन-सी आत्मा विनष्ट नहीं होती? द्रव्य आत्मा अंश मात्र भी विनष्ट नहीं होती, शेष सात आत्माएं. विनष्ट होती हैं।
५१. द्रव्य आतमा पावे तिण में, बारे उपयोग पावे जी।
कषाय आत्मा पावे तिण में, दस उपयोगज भावे जी।।
द्रव्य आत्मा वाले जीवों में (भिन्न-भिन्न जीवों की अपेक्षा) बारह उपयोग प्राप्त होते हैं। कषाय आत्मा वाले जीवों में (भिन्न-भिन्न जीवों की अपेक्षा) केवलज्ञान और केवलदर्शन को छोड़कर दस उपयोग प्राप्त होते हैं।
५२. जोग उपयोग दर्शण वीर्य में, बारे उपयोग पावे जी।
ज्ञान चारित्र वाला में नव छे, तीन अनाण न आवे जी।।
योग, उपयोग, दर्शन और वीर्य आत्मा वाले जीवों में (भिन्न-भिन्न जीवों की अपेक्षा) बारह उपयोग प्राप्त होते हैं। ज्ञान और चारित्र आत्मा वाले जीवों में नौ उपयोग प्राप्त हैं, तीन आज्ञान प्राप्त नहीं होते।
५३. किसी आतमा बोले चाले? जोग आतमा जाणी जी।
सात आतम नहिं बोले चाले, पेखो न्याय पिछाणी जी।।
कोन-सी आत्मा बोलती है और चलती है? योग आत्मा बोलती है और चलती है। सात आत्माएं न बोलती हैं और न चलती हैं। प्रेक्षा पूर्वक इस न्याय को पहचानो।
५४. असणादिक खावै ते कुण हे? कवण सिनान चित भावे जी।
रामत-ख्याल करे कुण आत्मा? जोग आत्मा कहावे जी।।
कौन-सी आत्मा आहार करती है? कौनसी आत्मा स्नान करती है और कौन-सी आत्मा क्रीड़ा करती है? योग आत्मा ही आहार, स्नान और क्रीड़ा करती है।
५५. शृंगार करे ते किसी आतमा? कुण खेती करसण करती जी?
विणज करे ते किसी आतमा? जोग तणी प्रवरती जी।।
कौन-सी शृंगार करती है? कौन-सी आत्मा खेती या कृषि करती है? कौन- सी आत्मा व्यापार करती है? योग आत्मा ही श्रृंगार, खेती और व्यापार करती है।
५६. हिंसा करे झूठ कुण बोले, अदत्त मेथुन कुण सेवे जी?
परिग्रहो पाप अठारे सेवे? जोग आतमा वेवे जी।।
कौन-सी आत्मा हिंसा, असत्य, चोरी, मैथुन, परिग्रह आदि अठारह पापों का सेवन करती है? योग आत्मा ही हिंसा आदि अठारह पापों का सेवन करती है।
५७. किसी आतमा सुंधो सरधे? ऊधो सरधे केही जी?
ऊंधो सूंधो सरधै ते कुण? दर्शण आत्मा तेही जी।।
कोन-सी आत्मा सम्यक् श्रद्धा करती है और कोन-सी आत्मा मिथ्या श्रद्धा करती है? दर्शन आत्मा ही सम्यक् और मिथ्या श्रद्धा करती है।