Jhini Charcha by Jayacharya Dhal 9 Part 5

Published: 16.05.2024
Jhini Charcha was  written by Acharya Jeetmal. It contains macro things of metaphysics.  Jain Terms like Leshya, Bhav, Gunsthan, Yog, Upyog have been discussed on basis of different Agam. He composed it in the form of poetry in an easy Rajasthani language. 
Noted Singer Babita Gunecha has presented it in a melodious voice. 
Jhini Charcha book contains 22 Dhal (Collection of 22 Poems) .
Dhal 9 Stanza 58 to 69

ढाल 9 पद्य 58 से 69

५८. किसी आतमा इक इन्द्री छे? जाव पंचेन्द्री कुण छे जी?

उपयोग आत्मा कहीजे तिण ने, चक्षु अचक्षु गुण छे जी।।

कौन-सी आत्मा एकेन्द्रिय, ट्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय या पंचेन्द्रिय है? उपयाग आत्मा ही एकेन्द्रिय यावत्‌ पंचेन्द्रिय होती है। चक्षु दर्शन और अचक्षु दर्शन -ये उपयोग आत्मा के ही गुण हैं।

५९. पहिली द्रव्य आत्मा तिण ने, किसी आतमा कहि छे जी?

द्रव्य आत्मा कहीजै तिण ने, अवर आतमा नहिं छे जी।।

पहली द्रव्य आत्मा केवल द्रव्य आत्मा ही है या अन्य आत्मा है? वह केवल द्रव्य आत्मा ही है, अन्य आत्मा नहीं है।

६०. कषाय आतमा दूजी तिण नै, आत्मा कही कषायो जी।

जोग आतमा तीजी तिण ने, जोग आत्मा कहिवायो जी।।

दूसरी कषाय आत्मा है, वह कषाय आत्मा ही है। तीसरी योग आत्मा है, वह योग आत्मा ही है।

६१. उपयोग आतमा चौथी तिण ने, किसी आतमा कहिये जी?

उपयोग ज्ञान ए दोय आतमा, कहिये तास सलहिये जी।।

चौथी उपयोग आत्मा है, उसे कोन-सी आत्मा कहा जाए? उसे उपयोग और ज्ञान आत्मा कहा जाए।

६२. पांचमी ज्ञान आतमा तिण ने, किसी आतमा दारी जी?

उपयोग ज्ञान दोनूंई जाणो, न्याय हिये अभिलाखी जी।।

पांचवीं ज्ञान आत्मा है, उसे कोन-सी आत्मा कहा जाए? उसे ज्ञान और उपयोग आत्मा कहा जाए। हृदय में इस न्याय का अवधारण करो।

६३. दर्शण आत्मा ने दर्शण कहिये, चारित्र भणी चारित्रो जी।

वीर्य आत्मा ने वीर्य कहीजे, परखो न्याय पवित्रो जी।।

दर्शन आत्मा केवल दर्शन आत्मा है, चारित्र आत्मा केवल चारित्र आत्मा है, वीर्य आत्मा केवल वीर्य आत्मा ही है। इस पवित्र न्याय की परीक्षा करो।

नियमा-भजना

६४. द्रव्य आतम ज्यां किती आतम नीं, नेमा भजना जाणी जी।

द्रव्य उपयोग दर्शण री नेमा, भजना पंच पिछाणी जी।।

जहां द्रव्य आत्मा हे, वहां कितनी आत्माओं की नियमा१ और भजना२ है? वहां द्रव्य, उपयोग और दर्शन आत्मा की नियमा है तथा शेष पांच आत्माओं की भजना है।

६५. कषाय आतम त्यां किती आतम नीं, भजना नेमा भाली जी?

ज्ञान चारित्र नीं भजना जाणो, नेमा षट्‌ नां न्हाली जी।।

जहां कषाय आत्मा है, वहां कितनी आत्माओं की नियमा और भजना है? वहां ज्ञान और चारित्र आत्मा की भजना है तथा शेष छह आत्माओं की नियमा है।

६६. जोग आतम ज्यां किती आतम नीं, नेमा भजना धारी जी?

कषाय ज्ञान चारित्र नीं भजना, नेमा अपर विचारी जी।।

जहां योग आत्मा है, वहां कितनी आत्माओं की नियमा और भजना है? वहां कषाय, ज्ञान और चारित्र आत्मा की भजना है तथा शेष पांच आत्माओं की नियमा है।

६७. उपयोग आतम ज्यां किती आतम नीं, नेमा भजना जाणी जी।

द्रव्य उपयोग दर्शण री नेमा, भजना पांच बखाणी जी।।

जहां उपयोग आत्मा है, वहां कितनी आत्माओं की नियमा और भजना है? वहां द्रव्य, उपयोग और दर्शन आत्मा की नियमा है तथा शेष पांच आत्माओं की भजना है।

६८. ज्ञान आतम ज्यां किती आतम नीं, नेमा भजना सारी जी?

नेमा द्रव्य उपयोग ग्यान दर्शण री, भजना रही सुच्यारी जी।।

जहां ज्ञान आत्मा है, वहां कितनी आत्माओं की नियमा और भजना है? वहां द्रव्य, उपयोग, ज्ञान और दर्शन आत्मा की नियमा है तथा शेष चार आत्माओं की भजना है।



Sources
Provided by: Sushil Bafana
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