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दिगंबर जैन मुनि ने किया जैन विश्व भारती का भ्रमण
Digambar Acharya Vidyasagar At JVBU Ladnun
लाडनूं. जैनमुनि महेंद्र कुमार से चर्चा करते दिगंबर मुनि आर्जवसागर।
Muni Mahendra Kumar And Digambar Muni Arjavsagar Discussing.
लाडनूं १ अप्रेल (जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो मुम्बई)
मानव जीवन हिंसा से ओतप्रोत है। उसकी प्रत्येक क्रिया आहार-विहार और वैचारिक चिंतन में हिंसा ने व्यक्ति को इस तरह जकड़ लिया है कि वह चाहकर भी उससे निकल नहीं सकता। उक्त विचार जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय में पहुंचे दिगंबर जैनाचार्य विद्यासागर के शिष्य मुनि आर्जवसागर ने व्यक्त किए।उन्होंने कहा कि जीवन विकास को ध्यान में रखते हुए हमारे शास्त्रकारों ने अहिंसा को सर्वाेपरि स्थान दिया है।
इस अवसर पर प्रो. मुनि महेंद्र कुमार ने जैविभा व विश्वविद्यालय द्वारा संचालित शोध कार्यों व वहां से प्रकाशित साहित्य की जानकारी देते हुए आचार्य कुंदकुंद द्वारा रचित समयसार पुस्तक मुनि आर्जवसागर को भेंट की। संस्कृत व प्राकृत विभाग के एसोसिएट प्रो. जिनेंद्र जैन ने आचार्य महाश्रमण द्वारा चलाई जा रही अहिंसा यात्रा के बारे में जानकारी दी।
मुनि आर्जवसागर ने वद्र्धमान ग्रंथागार, आचार्य तुलसी कला प्रेक्षा, विश्वविद्यालय परिसर का भ्रमण किया तथा इनके बारे में जानकारी ली। कुलपति समणी चारित्रप्रज्ञा, समणी नियोजिका मधुरप्रज्ञा, कुलसचिव प्रो. जेपीएन मिश्रा ने उन्हें साहित्य भेंट किया।
इस अवसर पर दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक डा. आनंदप्रकाश त्रिपाठी, डा. योगेश जैन, डा. सुरेंद्र कुमार जैन सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।