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जैन धर्म में विश्व धर्म बनने की क्षमता: राजीमती
Chhapar
Principal of jain religion can give solution to problems of world. Non-voilence can be solution of terrorism. by meditation person can make pure to himself. |
शासन गौरव साध्वी राजमती
Sadhvi Rajimati
(जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो) धर्म विश्व धर्म बनने की क्षमता रखता है, क्योंकि उसके सिद्धांतों में विश्व की समस्याओं का समाधान है। अहिंसा का सिद्धांत वर्तमान की प्रमुख समस्या आंतकवाद, आत्म हत्या व भ्रूण हत्या जैसी अनेक समस्याओं का समाधान करने में कारगर साबित हो सकता है।ये विचार शासन गौरव साध्वी राजमती ने तेरापंथ भवन में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ध्यान की साधना से व्यक्ति अपने आपको शुद्ध कर लेता है लेकिन ध्यान की साधना तभी संभव है जब व्यक्ति में आहर शुद्धि, शरीर शुद्धि, इंद्रियों की शुद्धि, व्यवहार शुद्धि, व्यापार शुद्धि, संस्कार शुद्धि, विचार शुद्धि व विकार शुद्धि हो। इससे पूर्व साध्वी राजमती ने शासन गौरव मुनि ताराचंद व सेवा केंद्र व्यवस्थापक मुनि सुमति कुमार से ध्यान साधना विषय पर चर्चा करते हुए सेवा केंद्र में विराजित वृद्ध संतों की कुशलक्षेम पूछी। इस अवसर पर प्रदीप सुराणा, बिमल दुधोडिय़ा, प्रदीप दुधोडिय़ा, जगतसिंह चोरडिय़ा, आलोक नाहटा, बजरंग नाहटा, रूपचंद बैद, बाबूलाल दुधोडिय़ा व लक्ष्मीपत्त सुराणा सहित अनेक जैन धर्मावलंबी उपस्थित थे।