ShortNews in English
Balotara: 26.04.2012
Acharya Mahashraman said that development is necessary for nation building. Beside material development moral and spiritual development is also necessary. Anuvrata Movement can play important role for developing of moral values. Anuvrata is helpful to end corruption.
News in Hindi
राष्ट्र निर्माण के लिए अणुव्रत आंदोलन जरूरी: आचार्य महाश्रमण
बालोतरा २६ अप्रेल २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जैन समाज तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने कहा कि व्यक्ति का व्यवहार तभी पवित्र होता है जब भाव पवित्र होते हैं। इसलिए व्यवहार को अच्छा बनाने के लिए भाव को शुद्ध व निर्मल बनाने का प्रयास करें। अणुव्रत आंदोलन से राष्ट्र का विकास हो सकता है। आचार्य महाश्रमण बुधवार को नया तेरापंथ भवन स्थित पांडाल में श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित कर रहे थे।
राष्ट्र के सर्वांगीण निर्माण के लिए भौतिक, आर्थिक, नैतिक व आध्यात्मिक विकास जरूरी है । भौतिक विकास के लिए आर्थिक विकास जरूरी है। अर्थ, भौतिक दुनिया का प्राण है। आचार्य ने भौतिक व आर्थिक विकास को 50 प्रतिशत विकास बताते हुए कहा कि इन विकासों के साथ नैतिक व आध्यात्मिक विकास भी जरूरी है। लौकिक विद्या के साथ अध्यात्म विद्या का अध्ययन होना चाहिए, तभी विद्या में परिपूर्णता आ सकती है। ये चारों विकास होने पर ही राष्ट्र का विकास हो सकता है। आचार्य ने अणुव्रत की राष्ट्र निर्माण में भूमिका बताते हुए कहा कि भारत के लोगों में नशे का प्रभाव है जो राष्ट्र निर्माण में बाधा है। अणुव्रत आंदोलन नशा मुक्ति का विरोध कर राष्ट्र निर्माण में भूमिका अदा कर रहा है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में आचार्य ने कहा कि इस संस्था में अनुशासन व व्यवस्था की दृष्टि से अच्छा प्रबंधन है। इस संगठन के कार्यकर्ता राष्ट्र निर्माण में अपना पवित्र योगदान देते रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के निर्माण के लिए अणुव्रत आंदोलन की जरूरत है। यह आंदोलन आगे बढ़ता रहे।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आरएसएस के संघचालक डॉ. बजरंगलाल गुप्ता ने कहा कि अणुव्रत के माध्यम से जो अर्थशास्त्र बताया जा रहा है वही सच्चा है, बाकी तो सारा अनर्थ शास्त्र है। अणुव्रत के सदाचार, प्रायाणिकता का वर्तमान संदर्भ में बहुत महत्व है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आरएसएस के सर कार्यवाह सुरेश भैय्या जोशी ने राष्ट्र निर्माण के लिए अणुव्रत की उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त किए। इससे पूर्व साध्वी वृंद की ओर से 'जय गण सेनानी' गीत के माध्यम से मंगलाचरण किया गया। साध्वी विशाल यशा ने अपनी कविता से भाव सुमन अर्पित किए। मुनि मधुर कुमार ने अपनी जन्मभूमि की ओर से 'ओ गुरुराज बधावां जी' गीत द्वारा गुरु का स्वागत किया। मुनि रजनीश कुमार ने अपनी कर्मभूमि की ओर से भावाभिव्यक्ति दी। साध्वी यशोधरा, साध्वी विमलप्रज्ञा व मुनि जितेन्द्र कुमार ने भी विचार रखे। मुनि नीरजकुमार ने 'बधाने मैं तुम्हे नए छंद लाया' गीत से अपने भाव प्रकट किए।अणुव्रत महासमिति की ओर से ओमप्रकाश बांठिया ने अपने विचार व्यक्त किए। महेन्द्र कुमार वेदमुथा ने अतिथियों के स्वागत में स्वागत वक्तव्य दिया। कार्यक्रम का संचालन मुनि कुमार श्रमण ने किया।