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Pachpadra: 16.06.2012
Acharya Mahashraman discussed theory of Karma. He explained nature of Ghati Karma and Aghati Karma. Human being are affected by nature of karma. In limited way health is also connected with Karma.
News in Hindi
कर्म से जुड़ा है मनुष्य का स्वास्थ्य: आचार्य
पचपदरा १५ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योर के लिए राजेन्द्र पोकरना
मनुष्य के शरीर में होने वाली स्वास्थ्य की अनुकूलता व प्रतिकूलता को कर्म का फल बताते हुए आचार्य महाश्रमण ने कहा कि मनुष्य शरीर में कभी साता रहती है, कभी-कभी असाता भी हो जाती है। यह साता व असाता का प्रसंग कर्मवाद से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि ज्ञान व दर्शन आपस से जुड़े हुए हैं।
दर्शन का विकास व ज्ञान का विकास कर्म के विलय के साथ जुड़ा हुआ है। घाती व अघाती कर्मों के बारे में आचार्य ने कहा कि कर्म आत्मगुणों का नाश कर देते हैं। गुणों को बाधित करने वाले होते हैं वे घाती कर्म होते हैं। इन्हे सघन पुरुषार्थ से तोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मोहनीय कर्म चेतना को विकृत करने वाला विकारक कर्म है और बाधा उत्पन्न करने वाला अंतराय कर्म है। अघाती कर्म भौतिक रूप में सुख देने वाले हैं, हमारे जीवन में कर्म का बड़ा गहरा संबंध है।
मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि अध्यात्म में वही व्यक्ति सफल होता है, जिसमें सम्यक्त्व आ जाता है जो अनुकूलता व प्रतिकूलता दोनों को सहन कर पाता है, दोनों में समदृष्टि बना रहता है उसकी साधना फलवती बनती है। इसलिए साधक को निरंतर जागरूक रहना चाहिए। मंत्री मुनि ने कहा कि साधक धर्म के प्रति समर्पित होकर इस प्रकार साधना मे लगे कि प्रतिकूलता व अनुकूलता में भी दृढ़ता से चले। कार्यक्रम के प्रारंभ में समणी प्रणवप्रज्ञा ने गुरु है रखवारे, मुनि विजय कुमार ने म्हारा मन मंदिर में प्रभु महावीर है। साध्वी संवेग प्रभा ने ऊं जपो गीत का संगान किया। कार्यक्रम के अंत में समणी विपुल प्रज्ञा ने पायो रत्न अनमोल गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।