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Pachpadra: 17.06.2012
Acharya Mahashraman while addressing workshop for training of non-violence for teachers told Guru ahs important place in field of spirituality. It is duty of teacher to give good Sanskar to students.
News in Hindi
विद्यार्थी निर्माण शिक्षक का दायित्व: आचार्य
विद्यार्थी निर्माण शिक्षक का दायित्व: आचार्य
शिक्षक अहिंसा प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन, आचार्य महाश्रमण ने शिक्षकों को अहिंसक व सदाचारी बनने का दिया संदेश
पचपदरा १७ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
विद्यार्थी का निर्माण शिक्षक का दायित्व है। अध्यात्म व लौकिक जगत में गुरु का महत्वपूर्ण स्थान है। जो गुरु मुझे सतत् अनुशासन प्रदान करते हैं, उन गुरुओं की मैं सतत् पूजा करता हूं। अध्यात्म की साधना के क्षेत्र में गुरु का बड़ा महत्व है। यह बात जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने शनिवार को शिक्षक अहिंसा प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही।
आचार्य ने कहा कि अध्यात्म के जगत में गुरु का महत्व है ही, लौकिक संदर्भ में भी गुरु का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। गुरु अंधकार का निवारण करने वाला होता है। अज्ञान के अंधेरे से अंधे लोगों की आंखों में ज्ञानाजल श्लाका के द्वारा आंख खोल देते हंै, ऐसे गुरु प्रणम्य है। विद्यार्थी का निर्माण करना शिक्षक का एक बड़ा दायित्व होता है। वह व्यक्ति अच्छा निर्माण कर सकता है जो स्वयं अच्छा निर्मित होता है। शिक्षक स्वयं ज्ञानी, निर्मल आचार सम्पन्न है तो वह अपने विद्यार्थियों को कुछ दे सकता है। अच्छे विद्यार्थी का निर्माण होने पर भविष्य में आने वाली युवा पीढ़ी, प्रौढ़ पीढ़ी का अच्छा निर्माण हो जाता है, क्योंकि देश व समाज का भविष्य तो उनके हाथों है जो छोटी आयु में विद्यार्जन कर रहे हैं, वे जिसे अच्छे व योग्य होंगे, देश व समाज का भविष्य भी अच्छा हो सकेगा।
जीवन विज्ञान से सर्वांगीण विकास
१७ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य ने कहा कि जीवन विज्ञान बौद्धिक, शारीरिक विकास के साथ विद्यार्थी के मानसिक व भावात्मक विकास पर जोर देता है। यह प्रशिक्षण उसे शिक्षक के द्वारा मिलता है तो विद्यार्थी भावात्मक विकास की दिशा में भी आगे बढ़ जाता है। सरस्वती की साधना करने व कराने वाला शिक्षक होता है। प्रतिमा की पूजा करे या न करे पर ज्ञान की आराधना अपने आप में सरस्वती की आराधना है। आदमी ज्ञानी, बौद्धिक बन जाए पर भावात्मक संतुलन नहीं होने पर वह दुखी भी बन जाता है। विद्यार्थियों में समझ शक्ति के साथ सहन शक्ति का भी विकास होना चाहिए। ऐसी विद्यार्थी पीढ़ी का निर्माण हो ज्ञान, गुण, सदाचार व भावात्मक विकास से सम्पन्न हो।
शिक्षक ऐसी विद्यार्थी पीढ़ी का निर्माण करे जो जागने वाले हो, समाज के हित का ध्यान दें। आध्यात्मिक दृष्टि से आगे बढ़ सके। ऐसी पीढ़ी का निर्माण होने पर कल्याणकारी बात हो सकती है। शिक्षक पर एक बड़ा दायित्व होता है कि वह एक अच्छी पीढ़ी का निर्माण करे। शिक्षक सम्माननीय भी होता है क्योंकि वह ज्ञान देने वाला होता है। शिक्षक ज्ञान दान के रूप में सेवा करता है और परिवार का भरण-पोषण करने के लिए आजीविका भी प्राप्त करता है। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि शिक्षा का क्षेत्र बड़ा व्यापक है और शिक्षा एक पवित्र कार्य है। इससे जुडऩे वाला व्यक्ति भी पवित्र कार्य करने का अभ्यासी बनता है। शिक्षक का जीवन जितना पवित्र, कार्यकारी, समर्पित होता है वह शिक्षक उतना ही सफल होता है। शिक्षा के क्षेत्र में सफलता के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता रहती है। कार्यक्रम के प्रारंभ में अणुव्रत समिति की संगठन मंत्री सरोज चौपड़ा सहित महिलाओं ने बदले युग की धारा गीत का संगान किया। भूपत चौपड़ा ने विचार रखे। धर्मचंद जैन अनजाना ने अणुव्रत के संदर्भ में अपने विचार रखे। कार्यक्रम में मुनि विजय कुमार ने गाएं स्वर निर्माण के... गीत की प्रस्तुति दी। संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया। अहिंसा प्रशिक्षक सतीश शाण्डिल्य द्वारा प्रशिक्षण की कक्षाएं ली जा रही है।