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Jasol: 06.08.2012
Acharya Mahashraman is Giving Pravachan.
News in Hindi
इंसान दूसरों का अहित न करें: आचार्य
जसोल(बालोतरा) ०६ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
महा मनीषी आचार्य महाश्रमण ने मित्रता दिवस पर कहा कि व्यवहारिक दुनिया में मित्र बनाने की विधा चलती है। दूसरों के हित का चिंतन करना, दूसरों के प्रति रोष भावना नहीं करना भी मैत्री की भावना है। जैन साधना पद्धति में अनुप्रेक्षा भावना भी निर्दिष्ट है। उन्होंने कहा कि आदमी संभव हो तो हित करे और हित करके भूल जाए, उसे गिनाएं नहीं। आचार्य रविवार को जसोल में चातुर्मास स्थल पर धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि दूसरों का हित करने वाला अपना हित कर लेता है। किसी को कल्याण, विकास, साधना की दिशा में आगे बढ़ाना बड़ा हित होता है। निष्काम भाव से दूसरे का हित करना बड़ी सेवा है। समाज में लौकिक सेवा भी चलती है। हित करने वाले व्यक्ति के प्रति हित पाने वाले व्यक्ति के मन में कृतज्ञता की भावना भी देखी जाती है। उन्होंने कहा कि प्राणियों का परस्पर आलंबन से काम चलता है। घर के कार्यों में भी आपसी सहयोग अपेक्षित है। व्यक्ति किसी से भी द्वेष, ईष्र्या, घृणा नहीं करे। व्यक्ति किसी को भी धोखा न दे। प्रेम का धागा टूटने पर उसे फिर जोडऩा कठिन होता है। उन्होंने कहा कि परिवारों में वैमनस्य का एक कारण धन व संपति है। इसलिए व्यक्ति धन पर ज्यादा मोह न करे। उन्होंने मित्रता दिवस पर प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति के मन में प्राणी मात्र के प्रति मंगल-मैत्री की भावना हो। भूल-चूक से भी हम किसी को तकलीफ न दे।
मित्रता में सार की बात निकालें और एक-दूसरे की समस्या का समाधान व कल्याण में सहयोगी बनें। मित्रता की आत्मा हितैषिता है। मित्र-मित्र का हित करें।
मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि बिना मैत्री के किसी का काम नहीं चलता। व्यक्ति हर कार्य में चिंतन रखे कि उसके कार्य में किसी को कष्ट न हो। धार्मिक व्यक्ति में मैत्री का क्रम व्याप्त हो जाता है। व्यक्ति सभी के हित की कामना करें। व्यक्ति के मधुर व्यवहार से दूसरे व्यक्ति भी साथ रहते हैं।
निशक्तजन हुए लाभांवित
महाप्रज्ञ सेवा प्रकल्प की ओर से गुलाब कौशल्या चेरिटेबल ट्रस्ट जयपुर के सौजन्य से आयोजित निशुल्क विकलांग शिविर का समापन आचार्य महाश्रमण के सानिध्य मे रविवार को हुआ। आचार्य ने इसे लौकिक सेवा का एक अच्छा उपक्रम बताते हुए निशक्त जनों को नशामुक्ति की प्रेरणा दी। कार्यक्रम में महाप्रज्ञ सेवा प्रकल्प के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश कुमार मेहता, आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के संयोजक गौतम सालेचा, तेयुप अध्यक्ष रमेश भंसाली ने विचार व्यक्त किए। सभी निशक्तजनों ने आचार्य के दर्शन किए। कार्यक्रम का संचालन तेयुप मंत्री जितेन्द्र सालेचा ने किया।
कर्मवाद कार्यशाला का आयोजन: आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में तेयुप जसोल की ओर से आयोजित कर्मवाद कार्यशाला एक अगस्त से नियमित रूप से चल रही है। इस कार्यशाला के प्रथम दिन मुनि उदित कुमार ने 'आत्मा और कर्म' विषय पर, मुनि जिनेश कुमार ने 'कर्म प्रकार एवं दृष्टांत' विषय पर, मुनि दिनेश कुमार ने 'कर्म पुण्य और बंध' विषय पर, मुनि योगेश कुमार ने 'अष्ट कर्म बंधन व मुक्ति' तथा मुनि मदन कुमार ने 'कर्मों का राजा मोहकर्म' विषय पर प्रशिक्षण दिया। आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के सहयोग से आयोजित यह कार्यशाला 9 अगस्त तक चलेगी। 10 अगस्त को परीक्षा आयोजित की जाएगी। कार्यक्रम में पुष्पा बैंगानी ने भाव अभिव्यक्त किए। आचार्य ने तोलाराम श्यामसुखा गंगाशहर को श्रद्धानिष्ठ श्रावक के संबोधन से संबोधित किया।