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निर्मल हो तो वाणी भी औषधि के समान
नगर संवाददाता राजसमंद १८ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
पर्युषण का चौथा दिन शुक्रवार को वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया। भिक्षु बोधि स्थल में आचार्य महाश्रमण के शिष्य मुनि जतन कुमार लाडनू और मुनि आनंद कुमार कालू के सानिध्य में कार्यक्रम हुए। कार्यक्रम में मुनि जतन कुमार ने वचन की महत्ता बताई, उन्होंने कहा कि वचन किसी भी व्यक्ति के लिए औषधी के समान हो सकता है और किसी के लिए घाव करने वाला भी बन सकता है। उन्होंने कहा कि वाणी में ऐसी ताकत है जो आग भी लगा सकती है और शांत भी कर सकती है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को दूसरे के साथ मधुर भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
इस दौरान उन्होंने भगवान महावीर के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। मुनि आनंद कुमार कालू ने 'ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए'... दोहे के बारे में बताया और अच्छी वाणी बोलने पर जोर दिया। मुनि ने कहा कि वाणी की मधुरता दिलों को जोड़ती है और कटुता होने पर मित्र को भी शत्रु बना देती है। इस दौरान भिक्षु स्थल के मंत्री अशोक कुमार डूंगरवाल व राजकुमार दक ने भी विचार व्यक्त किए।
वाणी संयम दिवस के रूप में मना पर्युषण पर्व का चौथा दिन