02.06.2015 ►Jahaj Mandir ►Press Note June 2015

Published: 02.06.2015
Updated: 08.01.2018

Jahaj Mandir Mandawala


News in Hindi:

जहाज मंदिर प्रेस विज्ञप्ति

खरतरगच्छ के 82वें गणाधीश पद का चादर समारोह संपन्न

पूज्यश्री द्वारा साधु सम्मेलन की घोषणा

पूज्य प्रज्ञापुरूष आचार्य देव श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा. के प्रधान शिष्य रत्न पूज्य गुरुदेव मरूधर मणि उपाध्याय प्रवर श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. को सिंधनूर नगर की पावन धरा पर वीर संवत् 2541 ज्येष्ठ शुक्ल 11 शुक्रवार 29 मई 2015 को खरतरगच्छ के 82वें गणाधीश के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।

इस कार्यक्रम में पूज्य प्रवर के शिष्य पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री समयप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री श्रेयांसप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री मलयप्रभसागरजी म. एवं पूजनीया पाश्र्वमणि तीर्थ प्रेरिका गण रत्ना श्री सुलोचनाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री प्रीतियशाश्रीजी म. आदि ठाणा की पावन उपस्थिति रही। इस समारोह में सम्मिलित होने के लिये विशेष रूप से उग्र विहार कर श्रमण संघीय उपप्रवर्तक श्री नरेशमुनिजी म.सा. श्री शालिभद्रमुनिजी म. पधारे।

इस अवसर पर पूज्यश्री ने गणाधीश के रूप में अपने प्रथम संबोधन में गच्छ के इतिहास की चर्चा करते हुए इसके सुनहरे अतीत का वर्णन किया। तथा बताया कि हमें बहुत जल्दी तैयारियां करनी है कि हम गच्छ का सहस्राब्दी समारोह रचनात्मक कार्यों के साथ मना सके। इसके लिये हमें पारस्परिक मतभेदों को भुलाना होगा। मेरा सभी साधु साध्वीजी म. एवं श्रावक श्राविकाओं से नम्र अनुरोध है कि हम सभी संपूर्ण रूप से एक होकर गच्छ व समुदाय को प्रगति के मार्ग पर ले जाने का पुरूषार्थ करें। इसके लिये मैं चाहता हूँ कि हमारे सुखसागरजी महाराज के समुदाय के समस्त साधु साध्वीजी म. का सम्मेलन शीघ्र आयोजित किया जाये। इस लिये मैं यह घोषणा करता हूँ कि यह सम्मेलन इस चातुर्मास के तीन- साढे तीन महिने बाद आयोजित किया जायेगा। स्थान व समय की घोषणा रायपुर चातुर्मास प्रवेश के अवसर पर की जायेगी। सकल संघ ने इस घोषणा को जय जयकारों से बधया।

पूज्यश्री ने सर्वप्रथम पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री जिनकान्तिसागरसूरिजी म., पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. को प्रणाम किया। पू. बहिन म. का स्मरण करते हुए आज के दिन उनकी अनुपस्थिति के लिये दर्द प्रकट किया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म.सा. ने कहा- आज के समारोह को देखने के लिये हजार हजार आंखें जैसे आनंद से पुलकित हो रही है, हजार हजार हृदय प्रसन्नता से सराबोर होकर नृत्य कर रहे हैं। इस दुनिया के अन्दर शिखर के कंगूरे को प्रणाम करने वाले हजारों लोग मिलते हैं, परन्तु वे भूल जाते हैं कि यह शिखर जिस नींव पर खडा है, उस नींव का अपना बहुत बडा बलिदान है। आज मैं शिखर को बधाई देने से पहले नींव के उन दो पत्थरों को बधाई देना चाहूँगा, जिन पर यह आलीशान प्रासाद खडा हुआ है। उन्होंने कहा- मैं सबसे पहली बधाई उस रत्नगर्भा धर्ममाता संघमाता गणाधीश माता को देना चाहूँगा जिनकी कुक्षि से हमारे संघ और गच्छ को एक मणि के रूप में कोहिनूर प्राप्त हुआ है। न करती वो माता अपने पुत्र के प्रति ममता का बलिदान तो आज हमें जो व्यक्तित्व सामने दिखाई दे रहा है, वह न होता। दूसरी बधाई मैं पूज्यश्री के गुरुदेव को देना चाहूँगा कि जिनके हाथों से तराशा गया एक सामान्य प्रस्तर आज जिन शासन की दैदीप्यमान मणि के रूप में चमक रहा है। उन्होंने तीसरी बधाई पूज्यश्री को प्रदान की। इस अवसर पर पूजनीया माताजी महाराज आदरणीया बहिन म.सा. की उपस्थिति होती तो इस कार्यक्रम में और अधिक चमक दमक आती। उनकी कमी को पूज्यश्री एवं हम सभी लगातार महसूस कर रहे हैं। और ऐसा कहते हुए वे भावुक हो उठे।

इस अवसर पर श्रमणसंघीय उपप्रवर्तक प्रवर श्री नरेशमुनिजी म. ने पूज्यश्री को बधाई एवं शुभकामना देते हुए कहा- एक योग्य व्यक्तित्व के हाथ में जब शासन की बागडोर आती है तब वह शासन-बाग वैसे ही खिल उठता है, जैसे एक योग्य माली के हाथ में कोई उपवन आता है।

पूज्यश्री का मेरा बहुत पुराना परिचय है। परिचय के साथ साथ प्रेम भी है। उनमें गंभीरता, उदारता, मधुरता, समन्वयता, सौजन्यशीलता जैसे अनेकानेक गुणों का अनुभव किया है। पाश्र्वमणि तीर्थ प्रेरिका साध्वी श्री सुलोचनाश्रीजी म. ने कहा- आज हम अत्यन्त प्रसन्न हैं कि आज हमारे समुदाय को एक समुन्नत व्यक्तित्व प्राप्त हुआ है। पूज्यश्री अत्यन्त निर्लिप्तता के साथ जो जीवन जीते हैं, उस निर्लिप्तता का स्पर्श करके हम गुणों को प्राप्त कर सकते हैं।

साध्वी श्री प्रीतियशाश्रीजी म. ने भी अपने विचार व्यक्त किये। अखिल भारतीय जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ महासंघ के कोषाध्यक्ष बाबुलालजी छाजेड ने अपनी ओर से एवं महासंघ की ओर से, संघवी श्री तेजराजजी गुलेच्छा ने, श्री जिनदत्त कुशलसूरि खरतरगच्छ पेढी की ओर से, बिलाडा दादावाडी के अध्यक्ष श्री भूरचंदजी जीरावला एवं सिंधनूर जैन संघ की ओर से श्री गौतमचंदजी बम्ब ने शुभकामना व्यक्त की। पट्ट परम्परा का उल्लेख करते हुए खरतरगच्छ श्री सुखसागरजी महाराज के समुदाय के वरिष्ठ मुनि श्री मनोज्ञसागरजी म., गणिवर्य श्री पूर्णानंदसागरजी म. आदि समस्त साधु साध्वियों की ओर से शुभ मुहूत्र्त में गणाधीश की चादर पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी आदि साधु मंडल ने पूज्यश्री को ओढाई। उस समय सारा वातावरण खुशियों से नाच उठा। नूतन गणाधीश की जय जयकार से पूरा पाण्डाल गूंज उठा। पूज्यश्री को अभिनंदन पत्र प्रदान किया गया।

इस अवसर पर पाश्र्व मणि तीर्थ, कुशल वाटिका बाडमेर, गज मंदिर केशरियाजी, जहाज मंदिर मांडवला, जिन हरि विहार पालीताना, कैवल्यधाम रायपुर, चम्पावाडी सिवाना, अ.भा. हाला संघ के पदाधिकारी उपस्थित थे। साथ साथ चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद, सिकन्द्राबाद, मुंबई, इचलकरंजी, अहमदाबाद, रायपुर, जोधपुर, हाँस्पेट, बल्लारी, गदग, हुबली, कम्पली, हुविनहडगली, कोट्टूर, मानवी, रायचूर, आदोनी, पूना, सिवाना, मोकलसर, तिरपुर, तिरूनेलवेली, तिरूपातुर, जालना, गंगावती, कारटगी, सोलापुर, सांचोर, हगरीबोम्मनहल्ली,  पादरू, धोरीमन्ना, मैसूर, अक्कलकुआं, नन्दुरबार, कोप्पल आदि कई संघों के आगेवान बडी संख्या में उपस्थित थे। समस्त संघों ने कामली ओढा कर पूज्यश्री का अभिनंदन किया। समय की अल्पता के कारण दूर सुदूर क्षेत्रों के संघ जो नहीं पहुँच पाये, उन्होंने संचार माध्यम से पूज्यश्री का वर्धपना के साथ अभिनंदन किया। संगीतकार अंकित लोढा रायपुर व अरविन्द चौरडिया इन्दौर ने संगीत की स्वर लहरियों के माध्यम से वातावरण को संगीतमय बनाया।

एक दिन पूर्व ता. 28 मई को गुरू गुण वंदनावली का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. ने संचालन किया। इसमें मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म., साध्वी श्री प्रियलताश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियकल्पनाश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियस्वर्णांजनाश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियश्रेयांजनाश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियश्रुतांजनाश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियश्रेष्ठांजनाश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियमेघांजनाश्रीजी म., साध्वी श्री प्रियशैलांजनाश्रीजी म. ने पूज्यश्री के गुणानुवाद करते हुए उनको गणाधीश बनने पर हार्दिक बधाई प्रस्तुत की।

पूज्य आचार्यश्री का नाकोडाजी में स्वर्गवास

पूज्य खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनकैलाशसागरसूरिजी म. का 82 वर्ष की उम्र में श्री नाकोडाजी तीर्थ पर ता. 23 मई 2015 ज्येष्ठ सुदि दूसरी पंचमी को स्वर्गवास हो गया।

पूज्यश्री का जन्म नागोर जिले के रूण गांव में वि. सं. 1990 वैशाख सुदि 3 को श्री चतुर्भुजजी - सौ. श्रीमती दाखीबाई कटारिया के घर हुआ था। आपके पिताश्री चतुर्भुजजी ने पूज्य आचार्य श्री जिनहरिसागरसूरिजी म. के पास संयम ग्रहण कर तीर्थसागरजी म. नाम प्राप्त किया था। पिताजी के ही पदचिह्नों पर चलते हुए 25 वर्ष की युवा उम्र में वि. 2015 आषाढ सुदि 2 को संयम ग्रहण कर पूज्य आचार्य श्री जिनकवीन्द्रसागरसूरिजी म. का शिष्यत्व प्राप्त किया। मुख्यत: राजस्थान में आपका विचरण रहा। नागोर दादावाडी के निर्माण में आपकी प्रेरणा रही।

पूज्य आचार्य श्री जिनमहोदयसागरसूरिजी म. के स्वर्गवास के पश्चात् आपने खरतरगच्छ गणाधीश पद प्राप्त कर गच्छाधिपति का दायित्व निभाया। वि. 2054 माघ सुदि 6 को नाकोडा तीर्थ में आपको उपाध्याय पद से विभूषित किया गया। वि. सं. 2063 में माघ सुदि 13 को पालीताना में आपको आचार्य पद से विभूषित किया गया।

पिछले लम्बे समय से अस्वस्थता के कारण आपश्री नाकोडाजी तीर्थ पर बिराजमान थे। आपके स्वर्गवास से गच्छ व समुदाय को बडी क्षति हुई है। श्री नाकोडाजी तीर्थ पर स्वतंत्र भूमि लेकर उनके पार्थिव शरीर का अग्निसंस्कार किया गया। अग्नि संस्कार के अवसर पर देश के विभिन्न संघों की उपस्थिति रही। उस अवसर पर पूज्य उपाध्यायश्री द्वारा प्रेषित सकल श्री संघ के नाम संदेश का वांचन किया गया। जहाज मंदिर परिवार हार्दिक श्रद्धांजली अर्पण करता है।

गुणानुवाद सभा का आयोजन

पूज्य आचार्य श्री के स्वर्गवास के समाचार सुनते ही पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म. आदि मुनि मंडल एवं पू. साध्वी श्री सुलोचनाश्रीजी म. आदि साध्वी मंडल ने बडे देववंदन कर कायोत्सर्ग किया। तत्पश्चात् गुणानुवाद करते हुए पूज्यश्री ने कहा- पूज्य आचार्य श्री की यह पुण्याई है कि उनके गुरु भगवंत कवि सम्राट्जी का स्वर्गवास भी सुदि पंचमी को हुआ था। और आपने भी उसी तिथि को स्वर्गलोक की ओर प्रयाण किया। हम हार्दिक श्रद्धांजली अर्पण करते हैं। और कामना करते हैं कि उनकी आत्मा क्रमश: मोक्ष पद को प्राप्त करे।

भारत भर में स्थान स्थान पर गुणानुवाद सभाओं का आयोजन किया गया। पूजाऐं पढाई गई।

सिंधनूर में भागवती दीक्षा संपन्न

कर्णाटक प्रान्त के सिंधनूर नगर में पूज्य गुरुदेव खरतरगणाधिपति उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री समयप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री श्रेयांसप्रभसागरजी म. पूज्य बाल मुनि श्री मलयप्रभसागरजी म. ठाणा 6 एवं पूजनीया पाश्र्वमणि तीर्थ प्रेरिका गणरत्ना श्री सुलोचनाश्रीजी म. पू. प्रीतियशाश्रीजी म. पू. प्रियस्मिताश्रीजी म. पू. प्रियलताश्रीजी म. पू. प्रियवंदनाश्रीजी म. पू. प्रियकल्पनाश्रीजी म. पू. प्रियश्रद्धांजनाश्रीजी म. पू. प्रियस्वर्णांजनाश्रीजी म. पू. प्रियप्रेक्षांजनाश्रीजी म. पू. प्रियश्रेयांजनाश्रीजी म. पू. प्रियश्रुतांजनाश्रीजी म. पू. प्रियदर्शांजनाश्रीजी म. पू. प्रियश्रेष्ठांजनाश्रीजी म. पू. प्रियमेघांजनाश्रीजी म. पू. प्रियविनयांजनाश्रीजी म. पू. प्रियकृतांजनाश्रीजी म. पू. प्रियचैत्यांजनाश्रीजी म. पू. प्रियशैलांजनाश्रीजी म. पू. प्रियमुद्रांजनाश्रीजी म. पू. प्रियमंत्रांजनाश्रीजी म. ठाणा 20 की पावन निश्रा में सिंधनूर निवासी कुमारी शिल्पा महावीरचंदजी नाहर की भागवती दीक्षा ता. 29 मई 2015 को अत्यन्त उल्लास भरे वातावरण में संपन्न हुई। इस अवसर पर सोने में सुहागा श्रमण संघ के उपप्रवर्तक श्री नरेश मुनिजी म. पू. शालिभद्रमुनिजी म. उग्र विहार कर पधारे। उनका सानिध्य प्राप्त होने से सकल संघ में उल्लास का वातावरण छा गया।

दीक्षा निमित्त पूज्यश्री एवं साध्वी मंडल चेन्नई से उग्र विहार कर सिंधनूर पधारे। ता. 27 मई को पूज्यवरों का मंगल प्रवेश हुआ। ता. 28 को वर्षीदान का भव्य वरघोडा संपन्न हुआ। रात्रि को विदाई समारोह का भव्य आयोजन हुआ। जिसमें मुंबई से पधारे संजय भाई भाउफ ने अपनी प्रस्तुति दी। दीक्षा के अवसर पर कुमारी शिल्पा ने अपने हृदय में संयम कैसे प्रकट हुआ, का विवेचन किया। उसने अपनी मां का स्मरण किया। जब शुभ मुहूत्र्त में पूज्यश्री ने उसके हाथों में रजोहरण सौंपा तो तालियों की गडगडाहट से जनसमूह ने उसके त्याग को बधाया। उन्हें पूजनीया साध्वी श्री सुलोचनाश्रीजी म.सा. की शिष्या पूजनीया तपोरत्ना श्री सुलक्षणाश्रीजी म. की शिष्या घोषित करते हुए पू. प्रियसूत्रांजनाश्रीजी नाम दिया। यह ज्ञातव्य है कि श्री सुलोचनाश्रीजी म. सा. के पास इनकी सांसारिक तीन भुआजी म. पू. प्रियस्वर्णांजनाश्रीजी म. पू. प्रियश्रेष्ठांजनाश्रीजी म. पू. प्रियकृतांजनाश्रीजी म. पूर्व में दीक्षित हैं। दीक्षा के साथ तीन साध्वीजी म. की बडी दीक्षा भी आज संपन्न हुई। बल्लारी में दीक्षित पू. प्रियशैलांजनाश्रीजी म. चेन्नई में दीक्षित पू. प्रिय मुद्रांजनाश्रीजी म. व प्रिय मंत्रांजनाश्रीजी म. को बडी दीक्षा प्रदान की गई। इस समारोह की सबसे बडी विशेषता यह रही कि समारोह में तीन बज गये पर पाण्डाल वैसा का वैसा भरा रहा। इस अवसर पर पूज्यश्री का गुरुपूजन किया गया। जिसका लाभ चेन्नई निवासी एक गुरु भक्त परिवार की ओर से लिया गया।

पूज्यश्री का धोबी पेठ में पदार्पण

पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. आदि ठाणा 5 एवं पू. साध्वी श्री तरूणप्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा, पू. साध्वी श्री सुलोचनाश्रीजी म. आदि ठाणा, पू. साध्वी श्री सम्यक्दर्शनाश्रीजी म. आदि ठाणा, पू. साध्वी श्री विमलप्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा, पू. साध्वी श्री विराग-विश्वज्योतिश्रीजी म. आदि ठाणा का 15 अप्रेल को चेन्नई महानगर के धोबी पेठ में मंगल प्रवेश हुआ।

धोबी पेठ संघ की ओर से वरघोडे के साथ भावभीना मंगल प्रवेश करवाया गया। धोबी पेठ संघ कन्याकुमारी प्रतिष्ठा के समय से ही पूज्यश्री के प्रवास की प्रार्थना कर रहा था। दादावाडी से विहार कर पूज्यश्री एस. आर. मंदिर पधारे, जहाँ सकल श्री संघ का धोबी पेठ संघ की ओर से नाश्ते का आयोजन किया गया।

श्री शांतिनाथ मंदिर एवं दादावाडी के दर्शन कर पूज्यश्री पाण्डाल पधारे। जहाँ पूज्यश्री का मंगल प्रवचन हुआ। पूज्यश्री ने अपने प्रवचन में धोबी पेठ संघ की एकता, भावना, उल्लास की महिमा करते हुए कहा- ऐसा लगता है जैसे आज चातुर्मास का प्रवेश हुआ हो। इतनी तैयारी के पीछे एक मात्र समर्पण और भक्ति की भावना है। इस भावना की जितनी अनुमोदना की जाये, कम है। पूज्यश्री ने कई उदाहरणों से श्री संघ की महिमा समझाई।

इस अवसर पर पू. साध्वी श्री मधुस्मिताश्रीजी म., पू. साध्वी श्री सम्यक्दर्शनाश्रीजी म., पू. साध्वी श्री विश्वज्योतिश्रीजी म. ने भी अपने विचार रखे। पू. विश्वज्योतिश्रीजी म. ने कहा- चेन्नई मेरी जन्मभूमि है। दीक्षा के पश्चात् पहली बार जन्मभूमि में मेरा आगमन हुआ है। यह मेरे लिये परम सौभाग्य की बात है कि पूज्यश्री की निश्रा में हमारा आना हुआ है। जन्मभूमि की ओर से पूज्यश्री का हार्दिक अभिनंदन है। समारेाह में मुमुक्षु जयादेवी सेठिया एवं संयम कुमार सेठिया का श्री संघ की ओर से बहुमान किया गया।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में धोबी पेठ श्री संघ के आगेवान श्री केवलचंदजी राठौड, शांतिलालजी लूंकड, श्री प्रकाशजी पारख, ललित सुन्देशा, तिलोकजी भंसाली, रमेशजी पारख, शांतिलालजी गुलेच्छा, मोहनलालजी गुलेच्छा, गौतमजी सेठिया आदि श्रावकों व श्री शांतिनाथ जैन मंडल तथा महिला मंडल का बहुत पुरूषार्थ रहा। समारोह के पश्चात् सकल संघ का स्वामिवात्सल्य धेबी पेठ श्री जैन श्री संघ की ओर से रखा गया। मात्र एक दिन का प्रवास धोबी पेठ संघ के लिये ऐतिहासिक व अविस्मरणीय बन गया।

सिंधनूर में दादावाडी बनेगी

सिंधनूर में दादावाडी बनने के लिये भूमि का क्रय कर लिया गया है। लगभग 2 एकड से अधिक भूमि श्री संघ द्वारा खरीदी गई है। पूजनीया साध्वी श्री सुलोचनाश्रीजी म. सा. की प्रेरणा से बनने वाली इस दादावाडी का कार्य शीघ्र ही प्रारंभ किया जायेगा।

सिंधनूर में अंजनशलाका प्रतिष्ठा संपन्न

सिंधनूर नगर के चौमुख मंदिर की पुन: प्रतिष्ठा अंजनशलाका पूज्य गुरुदेव उपाध्याय गणाधीश श्री मणिप्रभसागरजी म. सा. आदि विशाल साधु साध्वी मंडल की पावन निश्रा में ता. 31 मई 2015 रविवार को संपन्न हुई। कारणवश समस्त प्रतिमाओं का उत्थापन किया गया था। जिसकी पुन: प्रतिष्ठा 31 मई को संपन्न हुई। विधिविधान कराने संगीतकार व विधिकारक श्री अरविन्दभाई चौरडिया का आगमन हुआ था।

भावसार परिवार द्वारा पालीताणा यात्रा संघ का आयोजन

पालीताणा स्थित श्री जिन हरि विहार धर्मशाला में पूज्य उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. के शिष्य मुनि श्री मयंकप्रभसागरजी म. मुनि श्री मेहुलप्रभसागरजी म. आदि ठाणा की निश्रा में एवं पूज्या खानदेश शिरोमणि साध्वी दिव्यप्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा व साध्वी प्रियदर्शनाश्रीजी म. आदि ठाणा के सान्निध्य में दि. 17 मई को बडौदा निवासी श्रीमति गुणवंताबेन बालुभाई भावसार परिवार का बडौदा से श्री सिद्धाचल महातीर्थ का यात्रा संघ आयोजन करने पर श्री बाबुलालजी लुणिया द्वारा अभिनंदन किया गया।

इस पावन अवसर पर मुनि मेहुलप्रभसागरजी म. एवं पूज्या खानदेश शिरोमणि साध्वी दिव्यप्रभाश्रीजी म. आशीर्वचन फरमायें। पूज्या साध्वी दक्षगुणाश्रीजी म. ने तीर्थ-भक्ति गीतिका गायी।

आयोजक संघपति परिवार ने पूज्य साधु-साध्वीजी भगवंतों को कामली अर्पण कर गुरुभक्ति की। भावसार समाज द्वारा आयोजक परिवार का अभिनंदन किया गया।

सभा का संचालन रोहित भाई भावसार ने किया। आभार संघपति श्री नरेश भाई भावसार ने व्यक्त किया।

पालीताणा में दीक्षा दिवस मनाया

पालीताणा स्थित श्री जिन हरि विहार धर्मशाला में पूज्य गणाधीश उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म. के शिष्य मुनि मयंकप्रभसागरजी म. मुनि मेहुलप्रभसागरजी म. आदि ठाणा के सानिध्य में दि. 31 मई को मुनि कल्पज्ञसागरजी म. के संयम जीवन के चतुर्थ वर्ष प्रवेश पर अभिनंदन किया गया।

संयम जीवन के चतुर्थ वर्ष प्रवेश के उपलक्ष में दुर्ग निवासी श्रीमति शांतिदेवी छाजेड परिवार की ओर से श्री आदिनाथ मंदिर में आदिनाथ पंचकल्याणक पूजा का आयोजन किया गया। जिसमें मिनेश जैन सी.ए., कंचन बाफना, लक्ष्मी गोलछा, नीता बाफना आदि ने उत्साह से भाग लिया।

पूज्य मुनि श्री कल्पज्ञसागरजी म. को सभी साधु एवं साध्वी श्री दिव्यप्रभाश्रीजी म. आदि ने संयम जीवन की शुभकामनाएं प्रदान की व दादा गुरुदेव से चारित्र भावों के अभिवृद्धि की कामना की।

शंखेश्वर में दीक्षा संपन्न

      श्री शंखेश्वर महातीर्थ की पुण्यधरा पर श्री आदिनाथ जिनालय एवं जिनकुशल सूरि दादावाड़ी परिसर में बाड़मेर निवासी मुमुक्षु कु. मीना छाजेड़, मुमुक्षु श्रीमती गीता बोथरा की दिक्षा पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री जिनकांतिसागरसूरिजी म. के शिष्य प्रशिष्य एवं प.पू. गणाधीश उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. के निश्रावर्ती पूज्य मुनि श्री मुक्तिप्रभसागरजी म.सा. पू. मुनि श्री मनीषप्रभसागरजी म.सा. के वरदहस्त से 28 मई को सानंद संपन्न हुई।

      पूज्या साध्वी श्री कल्पलताश्रीजी म. आदि ठाणा एवं पूज्या साध्वी श्री संघमित्राश्रीजी म.सा आदि ठाणा की सानिध्यता प्राप्त हुयी।

      विशाल उपस्थिति दीक्षा विधान के अंतिम समय तक बनी रही। मुमुक्षु का 26 मई को जिन कुशल दादावाड़ी गाजे बाजे सहित मंगल प्रवेश हुआ। 27 मई को मुमुक्षु गीता व मीना का डोरा बंधन हुआ। दादावाड़ी प्रांगण खचाखच भरा हुआ था। पूरा बाड़मेर, सुरत, नवसारी आदि की उपस्थिति में संघ दोनों का अभिनंदन कर रहा था।

      आगमवेत्ता डाँ. सागरमल जी सा जैन, मोहनजी गोलेच्छा चैन्नई, अरविंदजी कोठारी आदि ने उद्बोधन दिया।

      मुमुक्षु मीना का साध्वी मननप्रियाश्री एवं मुमुक्षु गीता का साध्वी परमप्रियाश्री नाम रखा गया। वे पू. कल्पलताश्रीजी म.सा. की शिष्या घोषित की गयी।

News in Hindi [Pdf]

Click on image to download the PDF.

Photos:

.

2015.06.02 Jahaj Mandir - Palitana sangh- (3)

Sources
Jahaj Mandir.com
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Murtipujaka
        • Jahaj Mandir [Khartar Gaccha]
          • Share this page on:
            Page glossary
            Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
            1. Jahaj Mandir
            2. Jahaj Mandir Mandawala
            3. Jahaj Mandir.com
            4. Mandawala
            5. Mandir
            6. Palitana
            7. आचार्य
            8. जालना
            9. दर्शन
            10. पूजा
            11. राजस्थान
            12. लक्ष्मी
            13. शिखर
            14. श्रमण
            15. सोलापुर
            Page statistics
            This page has been viewed 1373 times.
            © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
            Home
            About
            Contact us
            Disclaimer
            Social Networking

            HN4U Deutsche Version
            Today's Counter: