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फलोदी में चातुर्मास में आराधना का ठाठ
फलोदी नगर में परम पूज्य गुरुदेव गणाधीश उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. के निश्रावर्ती पूज्य मुनिराज श्री मुक्तिप्रभसागरजी म. व फलोदी के नंदन प्रवचनकार मुनिराज श्री मनीषप्रभसागरजी म. का फलोदी का चातुर्मास धूम धाम से चल रहा है।
चातुर्मास में विभिन्न प्रकार के आयोजन हुए व चल रहे है। पूज्य मुनिराज श्री मनीषप्रभसागरजी म. के सांसारिक पिताजी कन्हैयालालजी भंसाली के जीव राशी क्षमापना के उपलक्ष में दो दिवसीय कार्यक्रम सानंद सम्पन्न हुआ। दि. 25-9-2015 को सुबह त्रिपोलिया बाजार स्थित उनके निवास स्थान पर स्नात्र पुजा, पद्म पुष्प महिला मण्डल द्वारा पढ़ाई गई। रात्री में वैरागी जम्बुस्वामी के जीवन पर आधारित नाटिका का मंचीय कार्यक्रम हुआ। स्थानीय बालक-बालिकाओं की भाव-सभर प्रस्तुति को देखने पुरा गांव जैसे उमड़ पडा था। सभी ने नाटिका की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और साथ ही बच्चों का उत्साहवर्धन किया।
दि. 26-9-2015 के सुबह 9.30 बजे बेंड़-बाजे के साथ धुम-धाम से पूज्य मुनि भगवतों को कन्हैयालालजी भंसाली के निवास स्थान पर पावन पगलिये करवाये गये। पश्चात् ओसवाल न्याति नोहरे में पूज्य मुनिजी ने कन्हैयालालजी को जीव-राशी क्षमापना व सभी जीवों से क्षमायाचना कराते हुए श्रीसंघ से भी क्षमायाचना करवाई गयी।
इस अवसर पर मुनि मनीषप्रभसागरजी म. ने कहा कि आज से आपको शेष जीवन में भी जप-तप त्याग व समता से व्यतीत करते हुए अपने लक्ष्य के प्रति जागरूक रहते हुए मंजिल को प्राप्त करने पुरूषार्थ करे।
दोपहर में श्रीस्ंाघ का स्वामीवात्सल्य का आयोजन भंसाली परिवार की ओर से किया गया। बाहर से पधारे परिवारजनों ने श्रीमान कन्हैयालालजी भंसाली का बहुमान किया। दोपहर दो बजे आदिनाथजी मंदिर में आदिनाथ पंचकल्याणक पूजा पढ़ाई गई। रात्री में भक्ति का आयोजन हुआ।
चातुर्मास के दौरान तपस्या में नौ उपवास, तेले, शासन चक्र तप एवं प्रत्येक रविवार को एकासनें, अक्षयनिधि तप आदि तपस्याएं हो रही है। पूज्यश्री की निश्रा में प्रत्येक रविवार को शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में बालक-बालिकाओं को प्रभु पुजा, नव तत्त्व, कर्म मीमांसा आदि का ज्ञान देकर संस्कारित किया जा रहा है। पूज्य श्री मनीषप्रभसागरजी म. द्वारा सशक्त उदाहरणों के माध्यम से जीवन जीने की कला के आदर्श प्रस्तुत किये जाते है जिनकी अनुपालना से बालकों का जीवन, ज्ञान की खुश्बू से सुगंधित हो रहा है।
चातुर्मासिक आराधना-साधना के दौरान जैन दर्शन पर आधारित प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया। जिसमें परिक्षार्थियों का उत्साह आश्चर्यजनक रहा। परिक्षा के परिणाम के लिए 2 वर्ग बनाये गये। प्रथम पाँच स्थान प्राप्त करने वालों को विशेष तथा शेष सभी परिक्षार्थियों को सांत्वना पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वर्षों के बाद गांव में भव्य चातुर्मास से श्रावक-श्राविका वर्ग सहित अन्य धर्मावलंबियों में भी उत्साह का वातावरण बना हुआ है।
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