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Pope thanks Jains for commitment to care for the planet
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Pope thanks Jains for commitment to care for the planet
Pope Francis on Wednesday thanked the Jain community for its commitment to protect “our sister Earth.”
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शंका समाधान
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१. अच्छी पत्नी ही अच्छी माँ की भूमिका अदा कर सकती है!
२. success से प्रसन्नता आनी चाहिए लेकिन आजकल हो उल्टा रहा है!
३. career के साथ करैक्टर पर भी ध्यान दें क्योंकि वह ज्यादा मुख्य है!
४. मित्र चुनते वक्त ये चार गुण उसमे देखें - उसकी सोच बड़ी हो, bad habits ना हों, positive soch
और अच्छे संस्कार वाला हो! नहीं तो आपके संस्कारों पर संगती भारी पड़ सकती है!
५. व्यापारी को खुश रहने के लिए ये ४ बातो का ध्यान रखना चाहिए - over estimate से बचे, over burden से बचे, work time limited होना चाहिए, काम out of line नहीं होना चाहिए!
६. वर्षा का जल स्वास्थ के लिए अमृत है - ना काई लगती है ना फफूंद!
७. दानी की प्रसंशा होती है और त्यागी की पूजा!
८. army jobs का कोई निषेध नहीं है - defence ग्रहस्थ का धर्म है लेकिन attack करना हिंसा है!
संकलन:
- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज (शंका समाधान)
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कहा नेमी के चरण पड़े.. गिरनार की धरती हैं:) भगवान नेमिनाथ जी का मोक्ष कल्याणक आने वाला हैं!!
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✿ आओ जाने क्यों कुण्डलपुर सबको प्यारा है? बड़े बाबा लागे जीवंत आदिनाथ सम न्यारा है? जहाँ छोटे बाबा ने ठाणा मंदिर बने अनुपम प्यारा हैं? आख़िर क्यों? #vidyasagar #kundalpur
कुण्डलपुर जी का अतिशय बहुत निराला और प्राचीन है, श्रीधर केवली की निर्वाण भूमि होना, यह अवगत कराती है कि ईसा से छह शताब्दियों पूर्व भगवान महावीर स्वामी का समवसरण यहाँ पर आया था. तथा पहिली बार प्रतिमा जी के दर्शन भट्टारक सुरेन्द्र कीर्ति जी को पहाड़ पर हुए, उन्होंने प्रतिमा जी को खुदाई कर निकलवाया और प्रभु के सर पर छत की व्यवस्था करवाई. परन्तु कुछ वर्षों पश्चात राजा छत्रसाल जब मुगलों के हाथों राज्य हार कर वन वन भटक रहा था और भटकते भटकते शांति की खोज में कुण्डलपुर जी पहुंचा और श्री १००८ आदिनाथ भगवान के चरणों में बड़े बाबा के मंदिर बनवाने के भाव रख पुनः राज्य विजय को निकला, और जीत गया, कालांतर में विक्रम संवत १७५७ ई को राजा क्षत्रसाल ने बड़े बाबा के मंदिर जी का निर्माण कराया,एवं पंचकल्याणक कराया.
अतिशय की सबसे बड़ी घटना तो वह थी, जब मूर्ती पूजा विरोधी औरंगजेब अपनी बड़ी भरी सेना लेकर पहाड़ पर चढ़ आया और उसने बड़े बाबा की प्रतिमा को खंडित करने का असफल प्रयास किया, जैसे ही उसने प्रतिमा जी के दाहिने पैर के अंगूठे पर तलवार का वार किया, पैर के अंगूठे से दूध की धार निकल पडी, वह जान बचाकर वहां से जैसे ही भागा मधुमक्खियों ने उस पर और उसकी सेना पर आक्रमण कर दिया. बड़े बाबा के दाहिने पैर के अंगूठे का निशान और मधुमक्खियों के शांत और व्यवस्थित छत्ते इसी बात का प्रमाण हैं.
कुण्डलपुर जी सिद्ध क्षेत्र, बड़े बाबा का अतिशय क्षेत्र प्राचीन मंदिरों का गढ़ है. जहाँ लगभग २४०० वर्ष पुराने श्रीधर केवली के चरण विराजमान हैं. पहाड़ एवं तलहटी में लगभग ५०० वर्ष पूर्व के ६१ और जिन मंदिर हैं, जिनमे पार्श्वनाथ भगवान और चंद्रप्रभु भगवान के दर्शन बहुतायत में मिलते हैं. यहाँ आस पास के क्षेत्र में गुप्तकाल की प्रतिमाओं का भी उल्लेख है.
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Wao:) क्षुल्लक श्री ध्यानसागर जी हस्तिनापुर में विराजमान हैं #Jainism #Hastinapur
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Dream. It's free of cost.Achieve it. Coz dreaming ain't enough.
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Alive Darshan:) ✿ ओ बुन्देली के देवता.. कुण्डलपुर के बाबा तुम्हे प्रणाम.. #vidyasagar #kundalpur
क्या आपको पता हैं, आचार्य श्री को दीक्षा लिए हुए 48 वर्ष हो गए ओर इस पेज में 38,000 LIKES हैं, क्या आप नई चाहते की पेज पर आचार्य श्री की 50th दीक्षा दिवस तक इस पेज पर भी 50,000 LIKES हो जाए! नीचे दिए गए लिंक को अपना STATUS बनाए इस पेज को SHARE करे:))
https://www.facebook.com/VidyasagarGmuniraaj/
thankYou:) picture shared by Mr. brajesh Jain -big thanks him.
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exclusive update -कुंडलपुर में सहभागिता निभाने की जिम्मेदारियां ली #vidyasagar #kundalpur
आगामी 4 जून से आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के सानिध्य में होने जा रहे⚱ मस्तकाभिषेक महोत्सव⚱की तैयारी को लेकर विजय नगर में 🇮🇳सर्वधर्म सभा🇮🇳 की बैठक हुई। बैठक में सभी ने आचार्यश्री के प्रति गहरी आस्था एवं श्रद्धा भाव प्रकट करते हुए महोत्सव में अपनी सक्रिय भागीदारी करने का आश्वासन दिया।🌾🌾
महोत्सव की निदेशिका डॉ. सुधा मलैया ने कहा कि आचार्यश्री 🏵आज न सिर्फ जैनियों वरन जन-जन के मान्य संत हो गए हैं, उनके मंगल सानिध्य में मस्तकाभिषेक महोत्सव का विशाल आयोजन हम सभी जिले वासियों के लिए अत्यंत गौरव एवं सौभाग्य की बात है।👑
इस महान आयोजन में जन-जन की सहभागिता होनी चाहिए। जिले के प्रत्येक व्यक्ति को अपना आयोजन समझकर इसमें तन-मन-धन से सहयोग करना चाहिए।⚓
गायत्री शाक्तिपीठ🕌के जीपी असाटी व पंकज हर्ष ने महोत्सव में स्वच्छता की जिम्मेदारी स्वेच्छा से लेते हुए सभी से स्वच्छता बनाए रखने का आव्हान किया। सिख समाज🕌ने महोत्सव में जल व्यवस्था में सहयोग का आश्वासन दिया।
सिंधी समाज⛩ने भी पेय जल व्यवस्था एवं अन्य कार्यों में सहयोग की बात कही।
इस मौके पर कैलाश शैलार, विवेक शेंडेय, राकेश अग्रवाल, पंकज हर्ष श्रीवास्तव, अनवर, मनु मिश्रा, देवेंद्र सेठ प्रमुख रूप से उपस्थित थे।🏝
🐥मांस-मंदिरा बंद कराने की मांग🐥
बैठक में सुनील राय ने मांस, मदिरा आदि पदार्थों से दमोह को महोत्सव के दौरान मुक्त रखने की मांग करने☘ एवं आदेश जारी कराने की बात कही।🍁
मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों ने गढ़ी मुहल्ला एवं महोत्सव में पेयजल व्यवस्था तथा यातायात की जिम्मेदारी की बात कही।🙏 उन्होंने महोत्सव के दौरान मांस आदि विक्रय केंद्रों को बंद करने के लिए लोगों को प्रेरित करने तथा स्वागत के बैनर आदि लगाने का आश्वासन दिया।🌷🎊
उन्होंने कहा कि महोत्सव में सभी धर्म के प्रतिनिधियों को एक साथ एक मंच पर लाने की यह एक सराहनीय पहल है।🌸 इससे समाज और शहर में एकता और सद्भावना का एक अच्छा माहौल तैयार होगा साथ ही बाहर से आने वाले लोगों के लिए भाईचारा का एक अच्छा संदेश प्रसारित होगा।
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३ जून २०१६ - मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज प्रवचन - सच्चे देव, शास्त्र और गुरु के प्रति जब हमारी सच्ची श्रद्धा
सभी को सादर जय जिनेंद्र। शुक्रवार ३ जून २०१६ ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी।
आज का विचार: सच्चे देव, शास्त्र और गुरु के प्रति जब हमारी सच्ची श्रद्धा जागृत हो जाती है तो ये श्रद्धा हमें एक निश्चिन्तता देती है कि कोई है जो हमें इस संसार के प्रपंच से निकाल लेगा। यही श्रद्धा हमारे भीतर साधर्मी के प्रति वात्सल्य का कारण भी बनती है। आज मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज हमें सच्ची श्रद्धा और साधर्मी वात्सल्य की प्रेरणा इस प्रवचन अंश के माध्यम से दे रहे हैं।
Thought of the day:Devotion towards true Dev (God), Shastra (Scriptures) and Guru (Teacher/master) gives us the assurance that there is someone there who will help us out of the mundane worldand it's suffering. It is also the reason for our love compassion towards our fellow beings on the path of Dharma. Munishri Kshamasagarji inspires us in today's pravachan clip to attain such devotion and compassion.
मैत्री समूह
9827440301
https://m.facebook.com/Maitreesamooh
Link: https://soundcloud.com/user-289993/vn1rnvsywhgw
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३ जून २०१६ - मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज प्रवचन - सच्चे देव, शास्त्र और गुरु के प्रति श्रद्ध�
३ जून २०१६ - मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज प्रवचन - सच्चे देव, शास्त्र और गुरु के प्रति जब हमारी सच्ची श्रद्धा सभी को सादर जय जिनेंद्र। शुक्रवार ३ जून २०१६ ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी। आज का विचार: सच्चे
News in Hindi
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✨श्री शांतिनाथ भगवान का जन्म-तप-मोक्ष महा कल्याणक महोत्सव✨
स्थान:- श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन बिस पंथी मंदिर,मल्हारगंज,इंदौर
सानिध्य:- परम पूज्य आचार्य श्री शिवसागरजी महाराज
परम पूज्य आर्यिका श्री कीर्तिवाणी माताजी ससंग
🙏🏻महामहोत्सव का मंगलमयी आयोजन की किया जा रहा हे आप सभी पधारकर धर्म लाभ ले🙏🏻
शनिवार 4 जून 2016
प्रातः 7:02 बजे से:- पंचामृत महा मस्तकाभिषेक
प्रातः 8:01 बजे से:- शांतिधारा एवं महापूजन
प्रातः 9:00 बजे:- मंगल प्रवचन
प्रातः 9:30 बजे:- निर्वाणलाडू
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***अति दुर्लभ फ़ोटो और अमूल्य जानकारी***
वर्तमान में विराजित 600 से अधिक दिगम्बर जैन सन्तों के परम्पराजनक गुरु आचार्य श्री आदिसागर जी अंकलीकर महाराज का जन्म सन् 1866 में कर्नाटक.के एक छोटे से गाँव अंकली में हुआ था ।कर्नाटक भारत के दक्षिण में है. दिगम्बर संतों की इन क्षेत्रों में एक समृद्ध परंपरा और जैनियों के लिए एक उल्लेखनीय इतिहास है । महाराज जी बचपन से ही बहुत धार्मिक प्रवृति वाले थे ।जब वे 15 वर्ष की आयु के थे,तब ही उनकी माता जी का स्वर्गवास हो गया और २७ साल की उम्र में उनके पिताजी का देहांत हो गया।और यही उनके वैराग्य का कारण बना और वे 6 प्रकार के आवश्यक का पालन करने लगे । 40 साल की उम्र में उन्होंने क्षुल्लक दीक्षा ले ली ।इसके बाद उन्होंने अपनी आध्यात्मिक प्रगति को आगे बढ़ाना चालू कर दिया
इन्होंने कुंथलगिरि में कुलभूषण और देशभूषण भगवन्त को साक्षी मानकर दीक्षा ग्रहण की
४७ साल की उम्र में उन्होंने मुनि दीक्षा ले ली और कपड़े सहित अपना सभी सामान त्याग कर निर्ग्रन्थ हो गए। वे बहुत बड़े तपस्वी थे । वे 7 दिन में 1 बार आहार करते थे और बाकी समय जंगल में तपस्या करते थे ।वह अपने आहार में केवल 1 ही चीज (अगर आम का रस लेते थे तो केवल आम का रस ही लिया करते थे और कुछ नहीं) लेते थे । वे गुफाओं में तपस्या करते थे । 1 बार तपस्या करते हुए उनके सामने 1 शेर आ गया था, कुछ समय बाद वो वापस चला गया और उन्हें बिलकुल भी परेशान नहीं किया ।
आचार्य श्री १०८ आदि सागर जी महाराज ने 32 मुनि दीक्षा और 40 आर्यिका दीक्षा देकर संघ का निर्माण किया।
आचार्य श्री महावीरकीर्ति जी,मुनि श्री नेमी सागर जी और मुनि श्री मल्लिसागर जी इनके प्रमुख शिष्य हुए
उसके बाद के वर्षो में उन्हें मोतियाबिंद नामक रोग हो गया और उन्होंने सल्लेखना लेने का निर्णय किया और सन् 1944 सामाधि मरण किया ।
समाधि उदगांव, कुंजवन में हुई!
इनकी समाधी के समय की अन्तिम मयूर पिंछी श्री ब्रम्हनाथ पुरातन दिगम्बर जैन मंदिर, कोल्हापुर, महाराष्ट्र में सुरक्षित है!
और चरित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर महाराज जी जब अपनी गृहस्थ अवस्था में थे तो वे आचार्य श्री आदिसागर जी महाराज को अपने कंधे पर बिठा कर नदी पार करा देंते थे, और फिर वापस छोड़ कर भी आते थे, फिर महाराज से निवेदन करते थे की “मैं तो आपको नदी पार करा रहा हूँ, आप मुझे संसार सागर पार करा देना”!
हमारे लिए सारी दिगंबर परंपरा महान पूजनीय है...
आचार्य आदिसागर जी की परम्परा के पट्टाचार्य - आचार्य महावीर कीर्ति जी - वात्सल्य रत्नाकर आचार्य विमलसागर जी - तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मति सागर जी - आचार्य सुनील सागर जी [वर्तमान पट्टाचार्य]! दिगंबर परंपरा की जय..हो...ऐसे साधू सदा जयवंत रहे..
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@कुन्थुगिरी
जय हो जय हो जय हो...