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दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर संघीजी सांगानेर में जगत्पूज्य गुरुवर मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाऋषिराज ने रविवार को धर्मसभा में कहा कि
आप जब भी मंदिर में जाएं तो बिल्कुल शांत मन से जाओ। हम मंदिर में जाते हैं तो मान स्तंभ के दर्शन करते हैं। इसका विज्ञान समझाते हुए मुनिश्री ने कहा कि मान स्तंभ के दर्शन से प्राणी के मानो का अहंकारों का क्षय हो जाता है। वह निर्मल होकर भगवान की प्रतिमा के सामने पहुंचता है। भगवान अथवा गुरु से कभी पाप कर्म करने के लिए आशीर्वाद मत मांगना। पाप कर्म का आशीर्वाद भगवान की सीमा से बाहर है।
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श्री बाहुबली भगवान के महामस्तकाभिषेक का मंगल द्रश्य @ गोम्टेश बाहुबलीजी तीर्थ, कर्नाटक, भारत #Gomesthwar #Bahubali #Shravanbelgola
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*जो भाग्य में लिखा है वही मिलेगा एक ऐसी ही ताजा घटना आपके सामने प्रस्तुत है
*परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य भगवन 108 श्री विद्यासागर जी महाराज*
के परम प्रभावक शिष्य,तरुणाई के प्रखर वक्ता,गुणायतन तीर्थ प्रणेता
*1⃣परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज*
*2⃣परम पूज्य मुनि श्री 108 विराटसागर जी महाराज*
का मंगल विहार 26/05/2017 *राजस्थान की धर्म नगरी उदयपुर* की औऱ चल रहा था रास्ते में एक *वाना गांव* आया वहा के सरकारी स्कूल में द्वय मुनिराज की आहार चर्या और दिन का विश्राम हुआ जब *द्वय मुनिराज* ने शाम को वहां से विहार किया आगे रात्रि विश्राम *मेनार गांव* के अंदर होना था जो कि जाना -आना 1.5 km था *द्वय मुनिराज* ने कहा कि सुबह फिर आगे विहार करना है 1.5 km अंदर जाने -आने से क्या फायदा *द्वय महाराज* ने अंदर जाने से मना कर दिया लोग चिंता में पड़ गए की आज का रात्रि विश्राम कहा पर होगा पास में 3-4 मकान अजैन के थे लेकिन उन लोगों से बात किए उन लोगों ने कहा कि यहां कोई व्यवस्था नही हो सकती अब क्या किया जाए *द्वय मुनिराजों* ने निर्णय लिया कि चिंता की कोई बात नही है आज का रात्रि विश्राम यही पर रोड के किनारे (साइड) में होगा *वहां पर लोगों ने जल्दी जल्दी व्यवस्था की सड़क किनारे* लगभग 10 मिनिट ही हुए होंगे वहां के *ना जाने कि एक गरीब अजैन* व्यक्ति के मन मे कैसा विचार आया *श्री मोहनलाल जी कुमार* जो मटके आदि बनाने का काम करते है *द्वय मुनिराज* के समक्ष आए प्रणाम किया (अक्सर अजैन व्यक्ति प्रणाम ही करते है) *द्वय मुनिराजों* ने आशीर्वाद दिया उन्होंने कहा बाबा जी हमारा मकान खाली है *चुकि अजैन व्यक्ति है औऱ अजैन व्यक्ति अक्सर बाबा जी ही बोलते है* अपने आराध्य गुरुदेव है फिर क्या था पहले वहां कुछ लोगों ने जाकर देखा वहां पर बहुत ही अच्छा मकान था छोटा सा लेकिन उनका दिल बड़ा था उन्होंने कहा कि बाबा जी के साथ जितने भी लोग चलकर आए है 60-70 लोग थे हमारे मकान में सभी लोग ठहरेंगे लेकिन सभी लोग अपने अपने घर चले गए *द्वय मुनिराज* भी वहां गए रात्री विश्राम किया *श्री मोहनलाल जी कुमार* ने किसी श्रावक से रात में 9 बजे के आस - पास बोला कि मुझे बाबा जी चरण पखारना है तब उस श्रावक ने बताया कि हमारे गुरुदेव कुआ के जल से पैर धोते है और कोई जल से नही ओर आप अभी पैर नही पखार सकते अभी *दोनों मुनिराज* ध्यान (सामायिक) कर रहे है आप सुबह दोनों महाराज श्री के पैर पखार सकते है सुबह 4 बजे उठकर 1 km दूर से कुआ का जल लाए और जब सुबह *द्वय मुनिराज* का वहां से विहार होने लगा उस समय पूरे परिवार ने गुरुदेव के चरणों मे श्री फल भेंट किया गुरुदेव के चरण पखारे आरती की औऱ कहा की धन्य हो गए हम पहली बार किसी महान संत के चरण हमारे घर में पड़े
*इसे कहते है भाग्य में जो लिखा है वही मिलेगा उस गरीब व्यक्ति के भाग्य में लिखा था कि उसके घर मे एक दिन किसी महान दिगम्बर जैन संत के चरण पडेंगे और वही हुआ!*
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*लेखक*- *गुरु चरणों के अनन्य भक्त*
*श्री अशोक झिरोता - किशनगढ़*
*जिला - अजमेर राजस्थान*
*गुरु जी के साथ विहार में साथ चल रहे थे*
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आज अर्थमय युग हो गया हैं, इसलिए विकास का क्रम रुक गया हैं। --THIS ERA HAS BECOME MONEY ORIENTED HENCE ITS SEQUENTIAL, PROGRESS HAS COME TO HALT.
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News in Hindi
Six Substances [ 6 Dravya ] @ a Glance
Albert Einstein presented the theory of relativity when he was only 26 years old (in 1905). Ten years later, he presented the general theory of relativity. He is considered as one of the most influential scientists of all time. His theory of relativity revolutionized the science. That theory deals with the fundamental ideas such as time, space, mass, motion and gravitation. He spent the last 25 years of his life trying to develop a complete unified field theory that includes electromagnetic forces. He was not successful. Many scientists are still trying to fulfill Einstein’s dream of developing a complete unified field theory.
According to Jain philosophy the main factor of the universe is Dravya (substance), which is broadly divided into two categories of Jiva Dravya (living substance) and Ajiva Dravya (non-living substance). We believe that a substance has infinite qualities. Everything in this universe is either Jiva Dravya (living substance) or Ajiva Dravya (non-living substance) or a result of these two substances.
>> Again, Ajiva Dravya (non-living substance) is of five types:
1) Matters & energy (Pudgalä Dravya)
2) Medium of motion (Dharmä Dravya)
3) Medium of rest (Adharmä Dravya)
4) Space (Akäshä Dravya) and
5) Time (Käla Dravya)
Thus, we have six basic substances (Dravyas) (Five non living substances and one living substance). The universe is made of these six substances. All these substances are indestructible, imperishable, immortal, eternal and continuously undergo transformation. If we compare these substances with Einstein’s fundamental ideas, it would be seen that his five elements; time, mass, space, motion and gravitation are the same as five Ajiva Dravya (non-living substances) of Jainism. Time is Käla Dravya, Space is Akasha Dravya, Mass is Pudgala Dravya and Motion is Dharma Dravya and Adharma Dravya (no motion). Gravitational force is also a derivative of Pudgala Dravya (Mass Substance). We also consider electromagnetic force as a derivative of Pudgala Dravya (Mass Substance). We can therefore state that Jain approach is identical to the fundamental ideas of unified field theory. But we recognize one more substance. That is consciousness /awareness/soul (Jiva Dravya).
>> The Six Universal Substances or Entities (Dravyas) are as follows:
1 Jiva Dravya (Soul /Consciousness) - Living substance
2 Pudgala Dravya (Matter /Mass) - Nonliving substance
3 Dharma Dravya (Medium of motion) - Nonliving substance
4 Adharma Dravya (Medium of rest) - Nonliving substance
5 Äkäsha Dravya (Space) - Nonliving substance
6 Käla Dravya (Time) - Nonliving substance
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