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पर्युषण महापर्व का तीसरा दिन - अभिनव सामायिक दिवससमता की साधना है सामायिक: मुनिश्री किषनलालहांसी, 21 अगस्त 2017
पर्युषण काल धर्म आराधना का काल है आत्मा पर नित्य प्रवृत्ति से राग, द्वेष युक्त क्लेष चिपक जाते हैं, जिन्हें तप, तप, स्वाध्याय, ध्यान आदि से दूर करने का प्रयास किया जाता है। पर्युषण पर्व का तीसरा दिन अभिनव सामायिक दिवस के रूप में मनाया गया। आचार्यश्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती प्रेक्षाप्राध्यापक ‘षासनश्री’ मुनि किषनलालजी ने अभिनव सामायिक की व्याख्या करते हुए कहा कि सामायिक समता की साधना है। काया की चंचलता, मन की चंचलता व वाणी की चंचलता, समता की साधना में बाधक तत्व है। शरीर को एक ही आसन में स्थिरता से रखकर वाणी का मौन व मन को जप से टिका कर समता की साधना की जा सकती है। मुनिश्री ने शरीर के केन्द्रों पर रंगों के आलम्बन के साथ नमस्कार महामंत्र का विषेष जाप करवाया। जिससे श्रद्धालुओं ने भाग लेकर आत्मावलोकन की दिषा में अपना मार्ग प्रषस्त किया।
तेरापंथ युवक परिषद के प्रधान श्री राहुल जैन, श्री सुभाष जैन, श्री रविन्द्र जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि मुनिश्री के सान्निध्य में विषेष जप की आराधना 8 दिनों के लिए अनवरत प्रवाहमान है। इस दौरान आज अभिनव सामायिक में 190 श्रावक-श्राविकाओं ने एक साथ सामायिक की।
राहुल जैन संलग्न: कार्यक्रम फोटो
English by Google Translate:
Third Day of the Legendary Advocacy - Innovative Share Day
Share of Samata is shared: Munishri Kishan Lal
Paryushana period is the period of worship and rituals, anger and hatred are afflicted by the constant tendency of soul, who are tried to remove from the tenacity, tenacity, self-meditation, meditation etc. The third day of the Purushottam Gala was celebrated as an innovative shared day. Interpretation of the Abhinavishri Mahasramanji's intuitive audience, 'Mission Shree' Muni Kishanlalji, said that sharing is a sadhana. The restlessness of the body, the restlessness of the mind and the transience of speech, is the hostile element in the practice of equality. By keeping the body in a single posture, it can be followed by the silence of speech and chanting the mind with chanting. Munishri used to chant the syllabus of the Mahamantra with the combination of colors on the centers of the body. By which the devotees participated and in the eyes of observing their path.
Shri Rahul Jain, Shri Rahul Jain, the head of the Tarapanth Yuva Parishad, Shri Ravindra Jain, informed Shri Ravindra Jain while giving this information, saying that the worship of Prachin chant in the vicinity of Munishri is continuous for 8 days. During this time, 190 Shravak-Shravikis shared together in Abhinav Shat
Rahul Jain