Jeevan Vigyan Academy
English:
Second Day of the Mahaparv Purushottam - Swadhyayana Day
Self-discovery is Swadhyaya: Muni Kishan Lal
Laughter, August 19, 2017
The second day of the 'Purushottana Mahaparv' was celebrated as 'Swadhyayana' day in the proximity of observer 'Science Shree' Munishri Kishanlalji. Munishri, while addressing the holy assemblies at the Thrapanth Bhawan Sabha House in Hansi, said that Swadhyaya is the mirror of seeing itself, who does not know himself, knowing what others will get. From self-study, the person grows on the path of meditation by observing self.
Munishri further said that every person in the society gives information about others but does not want to know about himself. Who tried to know himself - I am not the body, the breath and the clothes. I am animate, the soul, through my knowledge consciousness, the person reaches the ultimate goal.
Observer Muni Kishan Lalji said that Mr. Ainstein said, "I will try to know who knows if I am the next birth of koshi to know the mater." Swadhyay is an important part of life building.
Muni Nikunj Kumar, how did Marich undertook a practice in the past in the journey of Lord Mahavira's life? How to reach Mahavira's Tirthankar post Gave lectures.
Mr. Darshan Kumar Jain, President of Teerpanth Sabha, Mr. Rahul Jain, the Chief of Terapanth Youth Council, expressed his views while giving information about the upcoming programs of the Purushottam festival. Mr. Ravindra Jain conducted the program.
Rahul Jain
News in Hindi
पर्युषण महापर्व का दूसरा दिन - स्वाध्याय दिवस
स्वयं की खोज है स्वाध्याय: मुनिश्री किषनलाल
हांसी, 19 अगस्त 2017
प्रेक्षाप्राध्यापक ‘षासनश्री’ मुनिश्री किषनलालजी के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व का दूसरा दिन ‘स्वाध्याय दिवस’ के रूप में मनाया गया। मुनिश्री ने हांसी के तेरापंथ भवन सभा भवन में उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि स्वाध्याय अपने आपको देखने का दर्पण है, जो अपने को नहीं पहचानता वह दूसरों को जानकर क्या प्राप्त करेगा। स्वाध्याय से व्यक्ति आत्म निरीक्षण कर साधना के पथ पर बढ़ता है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि समाज में हर व्यक्ति दूसरों के बारे में जानकारी करता है किन्तु अपने बारे में जानने की कोषिष नहीं करता। जिसने अपने आपको जानने का प्रयास किया - मैं शरीर, श्वास और वस्त्र ही नहीं हूं। मैं चेतन हूं, आत्मा हूं अपनी ज्ञान चेतना के द्वारा व्यक्ति परम लक्ष्य तक पहुंच जाता है।
प्रेक्षाप्राध्यापक मुनि किषनलालजी ने कहा कि आंइस्टीन ने कहा मैंने मेटर को जानने की कोषिष की मेरा अगला जन्म हो तो जानने वाले को जानने का प्रयास करूंगा। स्वाध्याय जीवन निर्माण का महत्त्वपूर्ण अंग है।
मुनि निकुंज कुमार ने भगवान महावीर के जीवन की अतीत यात्रा में मरीच ने साधना का उपक्रम कैसे किया? किस तरह महावीर के तीर्थंकर पद तक पहुंचेगा। का व्याख्यान दिया।
तेरापंथ सभा के अध्यक्ष श्री दर्षन कुमार जैन, तेरापंथ युवक परिषद के प्रधान राहुल जैन ने पर्युषण पर्व के आगामी कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए अपने विचार व्यक्त किये। श्री रविन्द्र जैन ने कार्यक्रम का संचालन किया।
राहुल जैन
संलग्न: कार्यक्रम फोटो