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News in Hindi
अहिंसा दिवस
अहिंसा सब जीवों के लिए कल्याणकारी है: मुनिश्री किषनलाल
हांसी, 2 अक्टूबर 2017।
प्रेक्षाप्राध्यापक ‘षासनश्री’ मुनिश्री किषनलालजी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा भवन में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का अंतिम दिन ‘अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया गया। अहिंसा दिवस पर मुनिश्री किषनलालजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि अहिंसा सभी जीवों के लिए कल्याणकारी है। जैन धर्म में अहिंसा का विषेष महत्त्व है जिसमें सूक्ष्म हिंसा से भी बचने का प्रयास किया जाता है। उन्होंने कहा कि हिंसा दो प्रकार की होती है आवष्यक हिंसा और दूसरी अनावष्यक हिंसा। आवष्यक हिंसा खेती-बाड़ी आदि में जो सूक्ष्म जीवों की हिंसा होती है वह अनिवार्य हिंसा है जो जीवन चलाने के लिए करनी पड़ती है, जिसे विवेकपूर्वक कुछ कम भी किया जा सकता है। दूसरी अनावष्यक हिंसा है जो बिना किसी कारण जीवों की हत्या करना, मारना इससे हमें बचने का प्रयास करना चाहिए। मुनिश्री ने आगे कहा कि अणुव्रती वह व्यक्ति हो सकता है जो दूसरों को धोखा नहीं देता, दुकान में नाप-तोल में गड़बड़ नहीं करता। झूठ, चोरी, हिंसा से बचने का प्रयास करता है। उन्होंने यह भी बताया कि गांधीजी ने अहिंसा का सिद्धांत अपनाया। गांधीजी के प्रयास से पांच लोगों को नाॅबल पुरस्कार मिला। गांधीजी ने अनेकों लोगों को अहिंसा का रास्ता अपनाने के लिए समझाया, आज वह अहिंसा का सिद्धांत संपूर्ण मानव जाति के लिए उपयोगी है।इस अवसर पर अणुव्रत समिति के अध्यक्ष अषोक जैन, उपाध्यक्ष सुभाष जैन, सदस्य एवं तेरापंथी सभा के अध्यक्ष दर्षन कुमार जैन, मंत्री चिराग जैन, सदस्य धनराज जैन, डालचन्द जैन, घड़ी वाले अषोक जैन, प्रेक्षा प्रषिक्षक लाजपतराय जैन, नवरत्न जैन, महिला मण्डल सदस्य श्रीमती आरती जैन, श्रीमती षिल्पा जैन, बिमला जैन, सुमन जैन, पुष्पा जैन के अलाव आदि अनेक श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे। - राहुल जैन
English by Google Translate:
Nonviolence day
Ahimsa is welfare for all living beings: Munishri Kishan Lal
October 2, 2017
The last day of the intransitive enlightenment week was celebrated in the form of 'Non-violence Day' in Thirapanth Sabha Bhawan in the proximity of observer 'Shishan Shree' Munishri Kishanlalji.On Nonviolence Day, Munishri Kishan Lalji said in his exhortation that non-violence is welfare for all living beings. In Jainism, there is a special significance of non-violence, in which efforts are made to avoid even micro-violence.He said that there are two types of violence, essential violence and other unnatural violence. Essential Violence In the field of farming and violence, the violence of the micro-organisms is mandatory violence which has to be done to run a life, which can be done with less wisdom. The second is unwarranted violence which should be attempted to kill us without killing any organism for any reason.Munishri further said that the atomicity can be a person who does not cheat others, does not mess up in the shop. Attempts to avoid lies, theft, violence.He also said that Gandhiji adopted the principle of non-violence. Five people got the Nobel Prize in the efforts of Gandhiji. Gandhiji explained to many people to adopt the path of non-violence, today the principle of non-violence is useful for the whole mankind.On this occasion, Ashok Jain, Chairman of the Nuclear Committee, Mr. Ashish Jain, Vice President, Subhash Jain, Member and President of Tervanti Sabha, Mr. Darshan Kumar Jain, Minister, Mr. Chirag Jain, Member Dhanraj Jain, Dalchand Jain, Clockwise Ashok Jain, Prachar Prakashak Lajpat Rai Jain, Navaratna Jain, Mahila Mandal Many Shravakas-Shravikas were present in the presence of members, Mrs. Aarti Jain, Smt. Shilpa Jain, Bimala Jain, Suman Jain, Pushpa Jain etc.- Rahul Jain