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सम्यक् दर्षन के लिए ज्ञान व बुद्धि का योग आवष्यक: मुनि किषनलाल
हांसी, 12 अक्टूबर, २०१७
समाज में दो प्रकार की अवधारणाएं हैं - एक है ज्ञान को प्राप्त करें दूसरी है खाओ पीयो मौज करो सब जीवों को एक दिन मरना है। ज्ञानी को भी अज्ञानी को भी फिर ज्ञान प्राप्त करने से क्या लाभ? भगवान महावीर गाथा से उपस्थित धर्मसभा को तेरापंथ भवन हांसी में सम्बोधित करते हुए आचार्यश्री महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती प्रेक्षाप्राध्यापक ‘षासनश्री’ मुनि किषनलाल ने कहा कि ज्ञान व आस्था और श्रद्धा के योग से सम्यक् दर्षन प्राप्त होता है ज्ञान से जागरूकता व एकाग्रता का विकास होता है बुद्धि पुष्ट होती है ज्ञान प्राप्त करने के लिए निरन्तर स्वाध्याय की आवष्यकता होती है स्वाध्याय व ज्ञान से भेद विज्ञान के मर्म को समझा जा सकता है अर्थात् शरीर भिन्न है आत्मा भिन्न है। महासती चन्दनबाला के जीवनवृत्त से षिक्षा देते हुए मुनिश्री ने कहा कि जीव काल को कब प्राप्त हो जाए यह निष्चित नहीं है अतः श्रावकत्व को चाहिए कि वह सम्यक दर्षन की आराधना करते हुए ज्ञान प्राप्ति के लिए निरन्तर प्रयासरत रहें।
इस अवसर पर सभा अध्यक्ष दर्षन कुमार जैन, प्रेक्षा प्रषिक्षक लाजपतराय जैन, पूर्व अध्यक्ष धनराज जैन, महिला मण्डल अध्यक्षा श्रीमती सरोज जैन, अमिता जैन आदि विषेष रूप से उपस्थित थे।
- अषोक सियोल
9891752908
English by Google Translate:
Need for knowledge and wisdom for a proper review: Muni Kishan Lal
October 12, 2017
There are two types of concepts in the society - one is to attain the knowledge. Second, eat and drink. All the living beings die one day. Knowledgeable even the wise, then what benefit from getting knowledge? While addressing the gathering of Lord Mahavir Gath in the Tharapanth Bhawan Hansi, the spiritual successor of 'Acharyashree Mahishram', 'Shanshan Shree' Muni Kishanlal said that knowledge and faith and reverence are received from the right time, awareness and concentration are developed through knowledge. To gain knowledge, there is an urgent need for self-knowledge. Distinguishing knowledge can be understood in the heart of science, that is, the body is different soul is different. While giving education from the life story of Chandanbala, Munishree said that it is not uncommon to get a biological time, therefore, Shravavkavata should be constantly trying to get the knowledge while worshiping the right vision.
Speaking on the occasion, Speaker Darshan Kumar Jain, Prachanda Teacher Lajpat Rai Jain, former Chairman Dhanraj Jain, Women's Chairperson Mrs. Saroj Jain, Amita Jain were among the most notable present.
- Ashok Sion9891752908