Jeevan Vigyan Academy
News in Hindi
हांसी शहर से 1857 की क्रांति का आगाज करने वाले लाला हुमचन्द जैन की स्मृति में
जैन जीवन कार्यषाला
शुद्ध और अच्छा आचार-विचार ही जैन जीवन शैली: मुनि किषनलाल
हांसी, 30 अक्टूबर 2017।
भारत में उत्पन्न प्रत्येक बच्चा हिन्दूस्तानी है, जैन वही है जो सही अर्थों में मैन है जिसका आचार और विचार अच्छा है वही जैन जीवन शैली है। भारत ने कभी किसी अन्य देष पर आक्रमण नहीं किया बल्कि भारत ने सदैव अपनी रक्षा की है यही हमारी संस्कृति है। श्रेष्ठ जीवन ही जैन जीवन शैली है। आचार्यश्री महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती प्रेक्षाप्राध्यापक ‘शासनश्री’ मुनिश्री किषनलाल ने हांसी शहर से सन 1857 की क्रांति का आगाज करने वाले लाला हुकचन्द जैन की स्मृति में आयोजित ‘जैन जीवन शैली’ कार्यषाला पर व्यक्त किये। मुनिश्री ने आगे कहा कि सम्यक् दर्षन, सम्यक् दृष्टिकोण, अनेकांत आहार शुद्धि व आपसी सौहार्द की भावना ही जैन जीवन शैली है। राजेष कासनियां अध्यक्ष - सिविल सोसाइटी के संयोजकत्व में श्री संजय सिंगला, विजय कुमार-जैन पैट्रोल पम्प, सुश्री नेहा धवन, प्रवीण मित्तल - उद्योगपति, बलवानसिंह दलाल, के.एल. ग्रोवर, फतेहसिंह गुर्जर, डाॅ. लवकेष टूटेजा ने अपने विचार रखे। तेरापंथ सभा अध्यक्ष दर्षन कुमान जैन ने अतिथियों का स्वागत किया। सूरत से समागत श्रीमती निर्मला मेहता ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त की। मुनिश्री निकुंजकुमार ने जीवन शैली के सूत्रों की पालना पर जोर दिया। संयोजन करते हुए प्रेक्षा प्रषिक्षक लाजपतराय जैन ने कहा कि सिविल सोसाइटी का उद्देष्य स्वस्थ समाज की सरंचना है अगर इनकी मांगों पर सरकार ध्यान दे तो हांसी शहर में अपराध के ग्राफ में निष्चित कमी आएगी व शहर का विकास आएगा।
इस दौरान कार्यषाला में आए अनेक विषिष्टजनों ने मुनिश्री किषनलालजी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए बताया कि आज पहली बार मुनिश्री द्वारा सरल तरीके से जैन धर्म के मर्म को समझा है और हमें बहुत ही खुषी हुई इस कार्यषाला में आकर।
श्री कुक्कू सरदारष, गोविंद सिंगला, अषोक कनौजिया, पवन सोलंकी, सतीष चुचरा, सुभाष जैन, धनराज जैन, डालचन्द जैन, अषोक जैन आदि इस अवसर पर विषेष रूप से उपस्थित रहे एवं अतिथियों का सम्मान किया।
- अषोक सियोल
संलग्न फोटो: अतिथियों का सम्मान करते हुए।
English by Google Translate:
In memory of Lala Humchand Jain, who started the 1857 revolution from Hansi city
Jain life workshop
Pure and good ethics - Jain life style: Muni Kishan Lal
October 30, 2017
Every child born in India is Hindustani, Jain is the one who is the man in the right sense, whose conduct and thoughts are good, that is the Jain life style. India has never attacked any other country, but India has always protected itself. This is our culture. Best life is Jain life style. Munshri Kishanlal, the intuitive observer professor of Acharyashree Mahasaman, expressed her on 'Jain Lifestyle' workshop organized in memory of Lala Hukchand Jain, who started the revolution of 1857 from Hansi city. Munishri further said that the sense of contemplation, perspective, multiplicity, food purification and mutual harmony are only Jain lifestyles. Raj Keshan Chairperson - In the convening of Civil Society, Mr. Sanjay Singla, Vijay Kumar-Jain Patrol Pump, Ms. Neha Dhawan, Pravin Mittal - Industrialist, Balwan Singh Dalal, KL. Grover, Fateh Singh Gurjar, Dr. Lovech Tuteja kept his thoughts. Teerathanth Sabha President Darshan Kuman Jain welcomed the guests. Shrimati Nirmala Mehta, who is also involved in Surat, expressed her feelings too. Munichi Nikunjkumar emphasized the cure of lifestyle styles. Combining observer Lajpatrai Jain said that the purpose of the civil society is the formation of a healthy society, if the government focuses on their demands then the loss of crime in the city of Hansi will be reduced considerably and the city will develop.
In the meantime, many tribals in the workshop expressed their gratitude to Munishri Kishan Lalji and said that for the first time today, the simple understanding of the religion of Jainism has been understood by Munishree and we are very pleased to join this workshop.
Shri Kukku Sardarsh, Govind Singla, Ashok Kanowia, Pawan Solanki, Satish Chuchra, Subhash Jain, Dhanraj Jain, Dalchand Jain, Ashok Jain etc. were present on this occasion and held respect to the guests.
- Ashok Sion
Enclosed Photo: Respecting Guests