Update
🎁 *तेरापंथ नेटवर्क एक अनूठा उपहार* 🎁
जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा
*सूरत के जैन तेरापंथ कार्ड धारकों के लिए*
प्रस्तुत कर रही है एक अनूठी योजना
🏡 *'अपना घर'* 🏡
इस योजना के अंतर्गत वर्षों से अपने घर का सपना संजोए हुए लोगों को किस्तों और कम मूल्य में अपना घर प्राप्त करवाने की दिशा में गति करने से पूर्व एक सर्वे किया जा रहा है।
इच्छुक लोग *26 नवंबर 2017 को तेरापंथ भवन, सिटीलाइट में मध्यान्ह 11:00 बजे से 2:00 बजे के बीच अपने जैन तेरापंथ कार्ड की छायाप्रति (फोटोकॉपी) के साथ उपस्थित होकर सर्वे फार्म प्राप्त करें और उसे अतिशीघ्र भरकर जमा कराएं।*
ज्ञातव्य है कि यह योजना सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए है, जिन्होंने जैन तेरापंथ कार्ड का फार्म भरते समय *Rented House* को ✔सलेक्ट किया था।
संपर्क सूत्र: 9327922483
*जैन तेरापंथ कार्ड के और फायदों से जुड़ने के लिए डाउनलोड करें*
*Terapanth network app*
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.ionicframework.terapanth544897
प्रसारक - तेरापंथ *संघ संवाद*
*24/11/17* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द, श्रमणी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*Prakash Technoplast India pvt Ltd*
Next but one to Ashoka Laylend Factory. (Opp to M.R.F. Tyres.After Karnataka Border Arch Take Right Side Service Road. Hosur road tamilnadu
☎ 8105066401,
T++++++++++S+++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Gherilal Ji Katariya*
Nakoda nivas
Gannagara Street
Pandavpura taluk
Mandya Dist
☎9964524973,8792614459
T++++++++++S+++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*Jain terapanth bhawan*
Chitappa avenue
Rayapuram extn
*Tirupur -1*
☎ 8107033307,
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*पडप्पै*
☎9380194818
T++++++++S+++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*"Bagrecha Glass House, Konjikode" से प्रातः 6:40 बजे विहार करके Anil Ji Jain,"Madhuram",Jaledha Nagar,Palakkad* पधारेगे
☎ 7200690967
T++++++++S+++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*राम श्याम बाठिया*
शांति ले आऊट T.C पाल्या मैन रोड बेगलौर
☎8890788494,9243108975
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*Mukeshji Chandreshji Mandoth*
#337,15th Cross
Mahalakshmi Layout
Bangalore
☎.9945613370,9964310421
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा 4* का प्रवास
*विकनुर Gov.School*
*हैदराबाद- नागपुर रोड*
☎9959037737
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*प्रिन्स अपार्टमेन्ट*
*तण्डियारपेट*
☎:9884200325,9444265162
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*नौरतनमल डागा*
का निवास स्थान
४५, वैलायुदम रोड(VSV नगर)
मेहता स्कूल के पास,
*सिवाकासी*
☎91 9443327831
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धीश्री जी ठाणा 3* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*हिरियुर*
T++++++++++S+++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*सिंघनुर*
☎7230910977,8830043723
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*हेम गंगोत्री यूनिवर्सिटी*
हासन बैगलोर हाइवे
☎7798028703
T+++++++++S++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमणजी* की सुशिष्या *समणी निर्देशिका चारित्रप्रज्ञाजी* एवं सहवर्तिनी समणीवृन्द का प्रवास
Sri jain swethamber Terapanth trust (S H G Terapanth bhavan)
38/ New No 50 Singarachari street near Krishna sweets Triplicane chennai -5
☎ 9840143333
T++++++++S+++++++++++S
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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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👉 उदयपुर - अभातेमम अध्यक्ष की संगठन यात्रा
👉 अहमदाबाद - साध्वी श्री सम्पूर्णयशा जी का मंगलभावना समारोह
👉 वलसाड - एक प्रेरणादायी कार्यक्रम वैवाहिक प्रसंग में भी आयोजित हुई गुरु इंगित शनिवार सामायिक
👉 शहादा - नए युग मे करे प्रवेश कार्यशाला का आयोजन
👉 लिलुआ,कोलकत्ता- नए युग मे करे प्रवेश कार्यशाला का आयोजन
👉 पीलीबंगा - "निर्माण" एक कदम स्वच्छता की ओर कार्यक्रम
👉 जोधपुर - तपोयज्ञ के बैनर का विमोचन व सामूहिक उपवास का प्रत्याख्यान
👉 विजयनगर (बेंगलोर) - जैन संस्कार विधि के बढ़ते कदम
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
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Update
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 205* 📝
*जैन आगम निधि-संरक्षक*
*आचार्य देवर्द्धिगणी क्षमाश्रमण*
*आगम-कार्य*
दुष्काल में हृदय को कंपाने वाले नाखूनी पंजे फैलाए। उस समय अनेक श्रुतधर काल-कलवित हो गए एवं श्रुति की बहुत क्षति हुई। दुष्काल की समाप्ति के बाद वल्लभी में पुनः जैन संघ एकत्रित हुआ। विशिष्ट वाचनाचार्य नानागुणालंकृत श्री देवर्द्धिगणी क्षमाश्रमण इस श्रमण संघ के अध्यक्ष थे।
श्रमण सम्मेलन में त्रुटित-अत्रुटित समग्र आगम पाठों का श्रमणों की स्मृति से संकलन हुआ एवं श्रुत को स्थायित्व प्रदान करने हेतु उसे लिपिबद्ध किया गया। आगम लेखन का कार्य आचार्य आर्यरक्षित के युग में भी अंशतः प्रारंभ हो चुका था। अनुयोगद्वार में दो प्रकार के श्रुत का उल्लेख है। द्रव्यश्रुत एवं भावश्रुत। लिखित श्रुत द्रव्यश्रुत में मान्य है।
आचार्य स्कंदिल और आचार्य नागार्जुन के समय में भी आगम लिपिबद्ध होने के उल्लेख मिलते हैं पर देवर्द्धिगणी के नेतृत्व में समग्र आगमों का जो व्यवस्थित संकलन एवं लिपिकरण हुआ, वह अपूर्व था, अतः परंपरा से वह श्रेय आचार्य देवर्द्धिगणी को है। इस संदर्भ का प्रसिद्ध श्लोक है
*वल्लहिपुरम्मि नयरे, देवड्ढिपमुहेण समणसंघेण।*
*पुत्थइ आगमु लिहिओ नवसयअसीआओ वीराओ।।*
वल्लभी नगरी में देवर्द्धिगणी प्रमुख श्रमण संघ ने वीर निर्वाण 980 (विक्रम संवत् 510) में आगमों को लिपिबद्ध किया था।
आगम वाचना के समय स्कंदिली एवं नागार्जुनीय उभय वाचनाएं देवर्द्धिगणी क्षमा श्रमण के समक्ष थीं। नागार्जुनीय वाचनाओं के प्रतिनिधि आचार्य कालक (चतुर्थ) थे। स्कंदिली वाचना के प्रतिनिधि देवर्द्धिगणी स्वयं थे। उभय वाचनाओं में पूर्ण समानता नहीं थी। विषमांश रह जाने के कारण आचार्य स्कंदिल एवं आचार्य नागार्जुन का प्रत्यक्ष मिलन नहीं हो पाया। अतः दोनों निकटवर्ती वाचनाओं में यह भेद स्थाई रूप से रह गया। देवर्द्धिगणी ने श्रुत संकलन कार्य में अत्यंत तटस्थ नीति से काम किया। पूर्व वाचनाकार आचार्य स्कंदिल की वाचना को प्रमुखता प्रदान कर तथा नागार्जुनीय वाचना को पाठांतर के रूप में स्वीकार कर उदारता और गंभीरता का परिचय दिया तथा जैन संघ को विभक्त होने से बचा लिया।
*आचार्य देवर्द्धिगणी द्वारा किए गए नंदी निर्यूहण कार्य* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 29* 📝
*हरचंदलालजी सिंधड़*
*सामयिक प्रेरणा*
स्वामीजी के आगमन के पश्चात लगभग बीस वर्षों तक तेरापंथ के साधु-साध्वियों के किसी सिंघाड़े का जयपुर जाना नहीं हुआ। एक बार मारवाड़ में विहरण करते समय आचार्यश्री भारमलजी से एक स्थानकवासी साधु ने बात-चीत करते हुए कहा— 'आप लोग जयपुर क्यों नहीं जाते?'
आचार्यश्री ने कहा— 'वहां कोई तेरापंथी घर तो विशेष है नहीं, अतः उधर जाने का कभी कोई अवसर नहीं आया।'
स्थानकवासी साधु ने आश्चर्यान्वित होते हुए कहा— 'भीखणजी का समझाया हुआ जौहरियों का बादशाह तो वहां बैठा हुआ है, फिर और घर होते क्या देर लगती है? घर तो वहां जाओगे तभी बनेंगे। अपने-आप थोड़े ही बन जाएंगे।'
उनकी प्रेरणा बहुत महत्त्वपूर्ण और सामयिक थी। आचार्यश्री के मन में बात बैठ गई। वस्तुतः बार-बार जाने, टिक कर रहने और निरंतर परिश्रम से ही क्षेत्र बनते हैं। बने हुए क्षेत्र भी इसी आधार पर टिकते और सुदृढ़ बनते हैं। यदि साधु-साध्वियों का आवागमन लंबे समय तक अवरूद्ध रहे तो सुदृढ़ से सुदृढ़ क्षेत्र भी ढीला हो जाता है।
*जयपुर पदार्पण*
आचार्य भारमलजी ने जयपुर पधारने का निर्णय किया। मारवाड़ से विहार पर मार्गवर्ती क्षेत्रों में थोड़ा-थोड़ा समय लगाते हुए वे किशनगढ़ होकर जयपुर पधारे। वहां सम्वत् 1869 का चातुर्मास पदमसिंह ढड्ढा की हवेली में किया। चातुर्मास के बाद भी कारणवश फाल्गुन तक जयपुर में ही रहे। लाला हरचंदलालजी तथा उनके पुत्र ताराचंदजी ने उस समय पूरा-पूरा धार्मिक लाभ उठाया। धर्म प्रचार में भी उनका महनीय सहयोग रहा।
जयपुर की वह यात्रा उपलब्धियों की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण रही। जयाचार्य, उनके दो बड़े भाई मुनि स्वरूपचंदजी और मुनि भीमराजजी तथा माता कल्लूजी की दीक्षाएं जयपुर में ही संपन्न हुईं। अनेक नए परिवार श्रद्धालु तथा सुलभबोधी बने। लाला हरचंदलालजी के समग्र परिवार को सुदृढ़ धार्मिक संस्कार उसी अवसर पर प्राप्त हुए। उस चातुर्मास के पश्चात् तेरापंथ के लिए जयपुर एक व्यवस्थित विहार क्षेत्र बन गया। यही कारण था कि सम्वत् 1870 का अगला चातुर्मास सवाई माधोपुर करके शेषकाल आचार्यश्री पुनः जयपुर पधारे। वहां अनेक सिंघाड़े एकत्रित हुए। उन सबको आगामी चातुर्मास के लिए विभिन्न क्षेत्रों का निर्देश दिया गया। मुनि वेणीरामजी को जयपुर चातुर्मास करने का आदेश मिला। आचार्यश्री वहां से मारवाड़ की ओर विहार करने गए। मुनि वेणीरामजी चातुर्मास से पूर्व अनेक क्षेत्रों में विहार करने के पश्चात पुनः जयपुर की ओर आ रहे थे। मार्गवर्ती "चासटू" गांव में उनको अचानक ज्वर हो गया। स्थानीय यति से औषधि ली गई। तेरापंथ से आंतरिक द्वेष होने के कारण उसने विष दे दिया। फलतः उसी दिन मुनिश्री का असामयिक निधन हो गया।
*लाला हरचंदलालजी के तेरापंथी बनने का पता चलने पर विरोधी लोगों ने उन पर अपना रंज किस प्रकार निकाला...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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*आ गया है तेरापंथ नेटवर्क का बहु प्रतीक्षित नया फीचर*
🔺 *Matrimony—* Terapanth Network की Matrimonial Directory के माध्यम से युवाओं के लिए अपनी मैचिंग के अनुसार तेरापंथ समाज में ही जीवनसाथी चुनना आसान है।
आप *Terapanth Network App* नीचे दिए गए Link से *Play Store* से Download कर सकते हैं।
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प्रसारक - तेरापंथ *संघ संवाद*
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👉 अहिंसा यात्रा के बढ़ते कदम
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "आसनसोल" पधारेंगे
👉 आज का प्रवास - आसनसोल
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
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