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2617वीं महावीर जयन्ती समारोह सम्पन्न
‘‘साधना-काल में कष्टों को सहन कर भगवान महावीर कहलाए: मुनि किशनलाल’’
तोशाम (भिवानी), 29 मार्च 2018।
संलग्न - कार्यक्रम फोटोआचार्यश्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती प्रेक्षाप्राध्यापक ‘शासनश्री’ मुनि किशनलालजी व ‘शासनश्री’ साध्वी सुप्रभाजी के सान्निध्य में वीरवार को तोशाम के मैन चोक में भगवान महावीर की 2617वीं जन्म जयन्ती का आयोजन किया गया। जिसमें सुबह 6 बजे जैन तेरापंथ भवन से ज्ञानशाला के बच्चों, महिला मण्डल, युवक परिषद् आदि ने प्रभात फेरी में भाग लिया प्रभात फेरी तोशाम के विभिन्न गली मोहल्लों से होती हुई पुनः तेरापंथ भवन पहुंची।
महावीर जयन्ती के भव्य कार्यक्रम में प्रेक्षाप्राध्यापक ‘शासनश्री’ मुनिश्री किशनलालजी ने भगवान महावीर के जीवन प्रसंग को उल्लेखित करते हुए कहा कि चैत्र शुक्ला त्रयोदशी के दिन माता त्रिशला के गर्भ से महावीर का जन्म हुआ। भगवान महावीर के तीन नाम थे - वर्धमान, महावीर और ज्ञातपुत्र। जिस दिन वे जन्मे थे, उस दिन से उनके घर में ऐश्वर्य की खूब वृद्धि हुई, इसीलिए वे वर्धमान कहलाए। उन्होंने साधना-काल में कष्टों को वीर-वृत्ति से सहन किया, इसलिए वे ‘महावीर’ कहलाए। साधना-काल में भगवान् ने अनेक कष्ट सहे। कुछ लोग उन्हें चोर समझ कर पीटने लग जाते। बच्चे पत्थरों से मारते, कुत्तों को काटने के लिए प्रेरित करते, चंडकौशिक सर्प ने भीषण डंक लगाए। संगम नामक देव ने भगवान् को एक रात्रि में 10 मारणान्तिक (मृत्यु हो जाए ऐसे) कष्ट दिए। भगवान् क्षमाशूर थे। उन्होंने सब कुछ समभाव से सहन किया। भगवान् ने कठोर तप तपा। आज भगवान महावीर का नाम बड़ आदर के साथ लिया जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि व्यक्ति को मानवीय एकता में विश्वास करना चाहिए। जातिवाद में विश्वास नहीं करना चाहिए। भगवान महावीर ने मानवीय एकता का संदेश दिया था। मुनिश्री ने यह भी बताया कि आज अनेक घरों में शराब के नशे के कारण परिवार में परस्पर लड़ाई अशांति का माहौल है। व्यक्ति नशा मुक्त रहने का संकल्प लेकर अपने जीवन का कल्याण कर सकता है।
इससे पूर्व ‘शासनश्री’ साध्वी सुप्रभाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि परिवार में बालक के जन्म पर खुशियां मनाई जाती है भगवान के जन्म पर तीन लोक में आनन्द ही आनन्द छा गया था। भगवान महावीर का जन्म अहिंसा की प्रतिष्ठा का जन्म हैं उन्होंने सत्य, अहिंसा, अचैर्य, ब्रह्मचर्य का संदेश दिया।
इस अवसर पर साध्वी मनीषाश्रीजी, साध्वी उदितयशाजी, दीक्षार्थी मुकुल जैन, नायब तहसीलदार नरेन्द्रजी गरेवाल, कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी व एस.एस. जैन सभा के अध्यक्ष राजेन्द्र जैन, दीपक जैन, पवन जैन आदि ने उपस्थित होकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ किशोर मण्डल के बालक-बालिकाओं ने लघु नाटिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम का प्रारंभ तेरापंथ महिला मण्डल के मंगलाचरण से हुआ। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री निकुंज कुमार व श्री पवन जैन ने किया।
दीक्षा कार्ड व पोस्टर का अनावरण
राजेन्द्र जैन, नरेन्द्र गरेवाल व समाज के विशिष्टजनों ने प्रेक्षाप्राध्यापक ‘शासनश्री’ मुनि किशनलालजी को तोशाम में 25 अप्रैल 2018 के भव्य दीक्षा समारोह का कार्ड व पोस्टर अनावरण हेतु भेंट किया।
- अशोक सियोल
9891752908
(1). प्रभात फेरी
(2) मैन चोक तोशाम में प्रवचन देते मुनिश्री
(3) उपस्थित जन समुदाय
(4) मुनिश्री
Google Translate English:
2617th Mahavir Jayanti Festival concludes
"In times of sadhana, suffering from suffering, Lord Mahavir is said to be: Muni Kishan Lal"
Toshham (Bhiwani), March 29, 2018
Lord Mahavir's 2617th birth anniversary was held in Tosham's Man Chok on Thursday in the proximity of Munshi Kishan Lalji and 'Shree Sadashiv Sadhvi Suprabhaji', the intensive auditor general of Acharyashree Mahishmaniji. In the morning, at 6 in the morning, at Jain Terrapanth Bhavan, Gyanshala's children, women's wing, youth council etc. participated in Prabhat Ferry. Prabhat Ferry re-entered the Terapanth Bhawan with the various alleys of Toshham.
In the grand program of Mahavir Jayanti, 'Teacher', Munshri Kishan Lalji referred to the life story of Lord Mahavira, saying that Mahavira was born with the birth of Mother Trishala on the day of Chaitra Shukla Triadshi. There were three names of Lord Mahavira - Vardhaman, Mahavir and Janaaputra. From the day they were born, there was enormous increase in the wealth of their house, which is why they are called Vardhaman. He tolerated hardships with sadness during the meditation period, so they are called 'Mahavir'. In the time of meditation, God has endured many hardships. Some people seem to be banging them as a thief Kidnapping with stones, motivating dogs to bite, Chandakoshi serpent put a grueling sting. A God named Sangam gave God a 10 deadly (like death) in one night. God was forgiving. He tolerated everything with equanimity. God knows the harsh tenacity. Today Lord Mahavira's name is taken with great respect.
He also said that the person should believe in human unity. Do not believe in casteism. Lord Mahavir gave the message of human unity. Munishri also said that due to the addiction of alcohol in many households, there is an atmosphere of turmoil in the family. The person can make the welfare of his life by having a resolve to stay free of addiction.
Prior to this, 'Gadhshree' Sadhvi Suprabhaji said in her note that happiness is celebrated on the birth of a child in the family. On the birth of God, joy was enjoyed in three people. Lord Mahavir is born of the reputation of non-violence, he gave the message of truth, nonviolence, acharya, brahmacharya.
On this occasion, Sadhvi Manisha Shreeji, Sadhvi Udityashaji, Dikshayari Mukul Jain, Naib Tehsildar Narendra Garewal, presiding over the program, social worker and SS. Jain Sabha's Speaker Rajendra Jain, Deepak Jain, Pawan Jain etc. attended and expressed their views. Tarapanth Kishore Mandal's boys and girls presented a short play The program was started from the Mangalacharan of the Teerapanth Mahila Mandal. The program was conducted by Munishri Nikunj Kumar and Shri Pawan Jain.
Unveiling the initiation card and poster
Rajendra Jain, Narendra Garewal and special guests of the society presented the poster for the unveiling of the cardinal and poster of the grandeur of the grand initiation ceremony of Tasham on April 25, 2018, to the observer 'Rajshree' Muni Kishan Lalji.
- Ashok Siol
9891752908
(1). morning walk
(2) Munichi giving a lecture at Man Chok Tosham
(3) present mass community
(4) Munitri