News in Hindi
👉 उधना, सूरत - दक्षिण गुजरात स्तरीय आंचलिक कार्यशाला अस्तित्व का आयोजन
🌀 शासन श्री साध्वी श्री ललितप्रभा जी के सान्निध्य में
🌀 अभातेमम अध्यक्ष श्रीमती कुमुद कच्छारा व सूरत महापौर डॉ जगदीश पटेल की गरिमामय उपस्थिति
🌀 18 शाखाओं से लगभग 450 बहिनो की उपस्थिति
दिनांक 01-08-2018
प्रस्तुति -🌻 संघ संवाद 🌻
Source: © Facebook
👉 शाहीबाग (अहमदाबाद): मंत्र दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन
👉 हिसार - मंत्र दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन
👉 राजसंमद - अणुव्रत समिति के चुनाव
👉 श्री गंगानगर - मंत्र दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन
👉 सूरत - चित्त समाधि शिविर व मेडिकल चेकअप केम्प का आयोजन
👉 बड़ौदा - EVALUATE YOURSELF कार्यशाला
👉 पूर्वांचल, कोलकाता - महिला मंडल द्वारा "Elevate Yourself" कार्यशाला का आयोजन
👉 वणी, यवतमाल (महा) - जैन विद्या सप्ताह का आयोजन
👉 अहमदाबाद (शाहीबाग): युवती बोध कार्यशाला का आयोजन
👉 जयपुर - तेरापंथ महिला मंडल (शहर) द्वारा विद्यालय के बच्चों के मध्य कार्यक्रम
👉 K.G.F - चातु्र्मास के अनमोल क्षण करे स्वयं का आध्यात्मिक आरोहण कार्यशाला
प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 चेन्नई: जैन श्वेताम्बर तेरापंथ महासभा की विशेष परियोजना *"तेरापंथ नेटवर्क" का दूसरा वार्षिक अधिवेशन* आयोजित..
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 अणुव्रत महासमिति द्वारा
अणुव्रत समितियो के लिए
*अगस्त माह का प्रकल्प ⬇*
*पत्रिका ग्राहक अभिवृद्धि अभियान*
🌀 प्रकल्प आयोजित करने का
सघन प्रयास काम्य है।
🍥 प्रस्तुति 🍥
*अणुव्रत सोशल मीडिया*
संप्रेषक - 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रंखला -- 46* 📜
*लिछमणदासजी भंडारी*
*जसवंतगढ़*
जोधपुर नरेश जसवंतसिंहजी की लिछमणदासजी पर बहुत अच्छी कृपा थी। राज्य की ओर से उन्हें कई प्रकार की बख्शीसें थीं। वे भी हर प्रकार से राज्य की भलाई में अपना योगदान देते रहते थे। एक बार भंडारीजी मघवागणी के दर्शनार्थ सुजानगढ़ गए। वहां एक दिन वे सुजानगढ़ निवासी श्रावक हनुमतमलजी सेठिया के संपर्क में आए। पहले जान पहचान हुई फिर वार्तालाप और विचार विमर्श। बातों ही बातों में भंडारीजी को पता लगा कि काफी दिनों से सेठियाजी की बीकानेर नरेश के साथ खटपट चल रही है।
नदी में रहते हुए घड़ियाल के साथ विरोध करना बड़ा खतरनाक होता है, इसीलिए सेठियाजी बड़े चिंतातुर रहा करते थे। एक दिन भंडारीजी से परामर्श करते हुए उन्होंने कहा— "बीकानेर राज्य में हमारे परिवार के लिए अब कदम-कदम पर खतरे उत्पन्न होते जा रहे हैं, अतः सोचता हूं कि इस राज्य को छोड़कर कहीं अन्यत्र जा बसूं। आप कोई परामर्श दीजिए कि हमारे लिए कहां बसना सुविधाजनक रहेगा?"
भंडारीजी ने उनके बड़े और धनी परिवार की आवश्यकताओं तथा सुविधाओं का विचार किया और कहा— "सुजानगढ़ के पास ही जोधपुर राज्य की सीमा है, अतः क्यों नहीं आप वहां नई बस्ती बसा लेते? आप जैसे समर्थ व्यक्ति जहां भी जाकर बसेंगे, दूसरे लोग स्वयं ही खिंचे आएंगे।"
सेठियाजी को यह बात ठीक लगी। इससे जहां उनका राज्य परिवर्तन हो जाता था वहां परिजनों से निकट संबंध भी बना रह सकता था। उन्होंने भंडारीजी को साथ लेकर स्थान का निरीक्षण परीक्षण किया और सुजानगढ़ तथा लाडनूं के लगभग मध्य में अपना मकान प्रारंभ करवाकर नई बस्ती की नींव रखी। भंडारीजी के सुझाव पर बस्ती का नाम भी तत्कालीन जोधपुर नरेश जसवंतसिंहजी के नाम पर 'जसवंतगढ़' रखा गया। धीरे-धीरे अन्य बहुत से लोगों ने भी वहां अपने मकान बनवा लिए। यद्यपि कालांतर में बीकानेर नरेश से समझौता हो जाने के कारण सेठिया परिवार पुनः सुजानगढ़ ही आ गया, परंतु जसवंतगढ़ धीरे-धीरे उन्नति करता चला गया।
लिछमणदासजी ने जोधपुर जाकर जब सारे समाचार जोधपुर-नरेश को सुनाए तो वे बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने इस कार्य के लिए उनकी प्रशंसा की। एक भी किसी बड़े सेठ का अपने राज्य में आकर बसना उस समय राज्य की समृद्धि के लिए बहुत उपयोगी माना जाता था।
*'एक व्यंग, अनेक रंग' कैसे...? एक घटना प्रसंग के माध्यम से...* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 392* 📝
*हृदयहारी आचार्य मलधारी हेमचन्द्र*
*साहित्य*
मालधारी हेमचंद्र प्रवचनकार और साहित्यकार थे। विशेषावश्यक भाष्य की वृत्ति के अंत में उन्होंने स्वरचित दस ग्रंथों की सूचना दी है एवं रचना का क्रम भी दिया है। क्रम इस प्रकार है—
*1.* आवश्यक टिप्पण
*2.* शतक विवरण
*3.* अनुयोगद्वार वृत्ति
*4.* उपदेशमाला सूत्र
*5.* उपदेशमाला वृत्ति
*6.* जीवसमास विवरण
*7.* भवभावना सूत्र
*8.* भवभावना वृत्ति
*9.* नन्दी टिप्पण
*10.* विशेषावश्यक भाष्य वृत्ति।
'मुनि सुव्रत चरित्र' ग्रंथ की प्रशस्ति में आचार्य मलधारी हेमचंद्र के 9 ग्रंथों की सूचना है। नन्दी टिप्पण का उल्लेख इसमें नहीं है। उनके ग्रंथों का परिचय इस प्रकार है—
*1. आवश्यक टिप्पण* इस ग्रंथ का नाम आवश्यक टिप्पण है। आचार्य हरिभद्र की आवश्यक वृत्ति के कठिन स्थलों की सरल व्याख्या इसमें है। शब्दार्थ लिखकर भावार्थ लिखने की शैली टिप्पण ग्रंथों की रही है। इस टिप्पण की रचना इसी शैली के आधार पर है। इस ग्रंथ के प्रारंभ में और विशेषावश्यक भाष्य विवरण के अंत में प्रस्तुत ग्रंथ को आवश्यक टिप्पण नाम से सूचित किया गया है। ग्रंथ का पूरा नाम 'आवश्यक वृत्ति-प्रदेश व्याख्या' है। टीकाकार हरिभद्र के आवश्यक लघु वृत्त ग्रंथ के अंश का व्याख्यान इस ग्रंथ में होने के कारण यह नाम अधिक सार्थक है। इस नाम की सूचना इस ग्रंथ की अंतिम प्रशस्ति में प्राप्त है। प्रस्तुत ग्रंथ का एक और नाम हारिभद्रीयावश्यक वृत्ति टिप्पण भी है। ग्रंथ का ग्रंथमान 4600 पद्य परिमाण है।
*2. शतक विवरण* बंधशतक ग्रंथ एक तात्त्विक रचना है। मूल ग्रंथ के रचनाकार शिवशर्मा सूरि हैं। ग्रंथ में उपयोग और योग के साथ गुणस्थानों एवं जीवस्थानों का वर्णन है। इसी प्रसंग में कर्मवाद की भी विस्तार से चर्चा है। मूल ग्रंथकार शिवशर्मा सूरि ने इस ग्रंथ का नाम बंधशतक दिया है। मलधारी हेमचंद्र ने इस ग्रंथ पर 'विनयहिता' नामक प्रस्तुत वृत्ति की रचना की है। इससे मूल ग्रंथ को समझने का मार्ग सुगम हुआ है। मूल ग्रंथ में 106 पद्य हैं। इस पर मलधारी जी की यह 3740 पद्य परिमाण विस्तृत टीका है। इस ग्रंथ की अंतिम प्रशस्ति में मलधारी की गुरु परंपरा है। ऐतिहासिक बिंदुओं को प्राप्त करने के लिए टीका की प्रशस्ति महत्त्वपूर्ण है। विशेषावश्यक भाष्य की टीका में इस टीका का 'शतक विवरण' नाम से उल्लेख है।
*हृदयहारी आचार्य मलधारी हेमचन्द्र द्वारा रचित अनुयोग द्वार आदि रचनाओं* के बारे में आगे और जानेंगे व प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
*तन मन और आत्मा: वीडियो श्रंखला ३*
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*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
संप्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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