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‘स्थाई-अस्थाई का चक्र ही जीवन’ रेलमगरा में रैली निकाल नशा मुक्ति का संकल्प लिया धर्म सभा में बोले आचार्य महाश्रमण follow discipline for progress and be honestरेलमगरा। तेरापंथ धर्मसंघ की ओर से व्यसन व नशा मुक्ति रैली में शामिल जैन धर्मावलंबी
रेलमगरा 10 april 2011 जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो
आदमी नए वस्त्रों को धारण करने के लिए पुराने वस्त्रों को उतार देता है, वैसे ही जीवन चक्र में शरीर पुराने को छोड़ नए को ग्रहण करता है। इसलिए मृत्यु शाश्वत व निश्चित है, शरीर अस्थाई व आत्मा चिरकाल स्थाई है। स्थाई व अस्थाई के चक्र को ही जीवन कहते हैं।
यह शब्द रेलमगरा के चन्द्रशांता कांप्लेक्स के बाहर स्थित ग्राउंड में धर्मसभा को संबोधित करते हुए तेरा पंथ धर्मसंघ के अधिष्ठाता आचार्य महाश्रमण ने शनिवार को कही। आचार्य ने कहा कि धन भी स्थाई शाश्वत नहीं है, यह कभी भी साथ छोड़ सकता है। इसलिए आदमी को जागरूक बनना चाहिए और धर्म का संचार करना चाहिए ताकि धर्म का कभी नाश न हो यदि धर्म का नाश हुआ तो निश्चित दुनिया मिट जाएगी। 21वीं सदी के बारे में जानकारी देते हुए आचार्य ने कहा कि आज के समय में लोग प्रवचन टीवी पर देखते हैं, जबकि संतों के बीच में प्रवचन सुनने से ज्ञान में बढ़ोतरी होती है। प्रवचन सुनने मात्र से ही कई पापों से मुक्ति मिल जाती है क्योंकि इस दौरान वह गलत कार्यों से वंचित होता है। श्रावकों को सीख देते हुए आचार्य ने कहा कि आदमी को ईमानदारी के साथ काम करना चाहिए तथा किसी को धोखा नहीं देना चाहिए तथा जुआ नहीं खेलना चाहिए।
शिक्षा व्यवस्था पर आचार्य ने कहा कि शिक्षा संस्थानों में मौखिक के साथ अलौकिक शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे शिक्षा जगत में नया विकास होगा, और बालकों को धर्म का ज्ञान शिक्षा के दौरान मिलने से धर्म के प्रति संचार बढ़ेगा।
अहिंसात्मक जीवन शैली की दी प्रेरणा
जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो
आचार्य ने अहिंसात्मक जीवन शैली से जीने की सीख देते हुए कहा कि अपने अपने अनुशासन में कार्य करने से सही समय पर वह आगे बढ़ सकता है। क्योंकि झूठ के सहारे लंबे समय तक नहीं चला जा सकता है।