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सम्यक दर्षन यथार्थ की साधना है: मुनि किषनलाल
हांसी, 13 अक्टूबर 2017।सम्यक दर्षन, सम्यक् ज्ञान व सम्यक् चरित्र होना भाग्य की बात है। सम्यक् का अर्थ होता है सही दृष्टिकोण, सत्य की अनुभूति मोह, मान, माया, लोभ मिथ्यात्व की भावना पैदा करता है। सम्यक्त्व की साधना यथार्थ की साधना है। देव, गुरु और धर्म को स्वीकार करना और राग द्वेष सहित साधना करना तेरापंथ धर्मसंघ की विषेषता है। इतिहास की घटनाओं से उदाहरण प्रस्तुत करते हुए आचार्यश्री महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती प्रेक्षा प्राध्यापक ‘षासनश्री’ मुनि किषनलाल ने कहा कि अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय व मुनि की आराधना करने से वांच्छित फल प्राप्त हो सकते हैं। दीपावली के परिपेक्ष्य में बोलते हुए मुनिश्री किषनलाल ने कहा कि जिस धर में प्रेम, सौहार्द, सद्भाव है वहां लक्ष्मी स्वतः निवास करती है इसके विपरित जहां क्लेष, कलह, दुर्भावना व फलकपट है वहां अषांति रहती है। जहां अषान्ति है वहां विकास नहीं हो सकता। वर्द्धमान रहने के लिए मंत्र, जाप व विषेष ध्यान की साधना अपेक्षित है।
इस अवसर पर सभाअध्यक्ष श्री दर्षन कुमार जैन, प्रेक्षा प्रषिक्षक लाजपतराय जैन, अषोक जैन, संजय जैन व षिल्पा जैन आदि उपस्थित थे।
- अषोक सियोल
9891752908
English by Google Translate:
Sanyakara Darshan is the sadhana of truth: Muni Kishan Lal
October 13, 2017It is a matter of fate to be a regular expression, timely and appropriate character. Samayak means the right approach, the realization of truth creates a feeling of attachment, pride, delusion, greed, misery. Sadhana of Samyakta is the meditation of truth. To worship God, Guru and religion and to do sadhana along with ritual abhorrence is the specialty of the Tharpanth Dharma Sangh. Presenting examples from the events of history, the spiritual progress of Acharyashree Mahasaman, 'Shishan Shree' Muni Kishan Lal said that worshiping Arihant, Siddha, Acharya, Upadhyay and Muni can achieve desired results. Speaking in the context of Deepawali, Munishri Kishan Lal said that Lakshmi resides in the same way in which there is love, harmony, harmony, unlike in the face of conflict, discord, malice and bliss, there remains unrest. Where there is an impoverishment, there can not be development. To remain enlightened, meditation, chanting and meditation of special meditation are expected.
Meeting on this occasion was attended by Shri Darshan Kumar Jain, Chairman of the Press, Lecturer Lajpat Rai Jain, Ashok Jain, Sanjay Jain and Shilpa Jain.
- Ashok Sion
9891752908